सिविल अस्पताल जालंधर को मिला मेडिकल कॉलेज का रुतबा, हर साल तैयार होंगे आठ स्पेशलिस्ट डॉक्टर
नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने सिविल अस्पताल में डीएनबी की सीटों के लिए जनवरी 2019 का बैच शुरू करने की मंजूरी दे दी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) ने सिविल अस्पताल में मेडिसन, सर्जरी और अनेस्थीसिया में डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) और अनेस्थीसिया डिप्लोमा की दो-दो सीटों के लिए साल जनवरी 2019 बैच को मंजूरी दे दी है। यह जानकारी सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. जसमीत कौर बावा ने दी। उन्होंने बताया कि सोमवार को ही एनबीई की ओर से ईमेल के माध्यम से सीटों की अनुमति देने के लिए पत्र जारी किया है। इसी के साथ सिविल अस्पताल का अब मेडिकल कॉलेज के बराबर का रुतबा होगा। वहीं अस्पताल में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी पूरी होगी और राजस्व भी मिलेगा।
उन्होंने बताया कि डीएनबी के दाखिले की प्रक्रिया चल रही है और जुलाई तक बैच शुरू होने की संभावना है। उन्होंने इसका श्रेय अस्पताल के स्टाफ की मेहनत को दिया। अस्पताल को डीएनबी व डिप्लोमा की सीटें मिलने के बाद अस्पताल के स्टाफ में खुशी का माहौल है। हालांकि गायनी विभाग के डाक्टरों व स्टाफ में उनके विभाग को डीएनबी सीटें न मिलने से निराशा रही। गायनी विभाग की कार्यप्रणाली में खामियां उजागर होने की वजह से सीटें मिलने में पिछड़ा रहा। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. जसमीत कौर बावा ने अगले साल गायनी विभाग की डीएनबी की सीटों को हासिल करने की बात कही है।
बता दें कि एनबीई की ओर से फरवरी महीने से ही चारों विभागों की बारी-बारी से टीम भेजकर इंस्पेक्शन की जा रही थी। इस दौरान टीम ने संबंधित विभाग में जाकर इस बात का पता लगाया था कि यहां पर उक्त कोर्स को मंजूरी दी जा सकती है कि नहीं। टीम की रिपोर्ट के बाद ही सिविल अस्पताल को आठ सीटें मिल पाई हैं।
कब कब हुई इंस्पेक्शन
- मेडिसनः 21 फरवरी 2019
- सर्जरीः 28 मार्च 2019
- अनेस्थीसियाः 1 मार्च 2019
- गायनीः 12 मार्च 2019
7.53 लाख रुपये सलाना आमदनी होगी
सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. जसमीत कौर बावा ने बताया कि सिविल अस्पताल ने एनबीआई से मंजूरी मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन को करीब 7.5 लाख रुपये राजस्व मिलेगा। डीएनबी करने वाले डॉक्टर एमबीबीएस होंगे और वह अगले तीन साल तक सिविल अस्पताल में डीएनबी कोर्स करेंगे। पहले साल आठ, दूसरे साल 16 तथा तीसरे साल अस्पताल में सेवाएं देने वाले व डीएनबी करने वाले डाक्टरों की संख्या 24 हो जाएगी। इसके चलते अस्पताल में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी भी पूरी होगी। फिलहाल सिविल अस्पताल में 85 के करीब डॉक्टर हैं। सिविल अस्पताल को 16 सीटें मिलने के बाद सिविल अस्पताल को हर साल 13 लाख रुपये की आमदनी होगी। पिछले साल सिविल अस्पताल ने एनबीआई से डीएनबी की 16 सीटों के लिए आवेदन किया था, जिसमें मेडिसिन, सर्जरी, गायनी और अनेस्थीसिया की 4-4 सीटें शामिल थी। सिविल में करीब 85 डॉक्टर हैं।
क्या है डीएनबी
एसएमओ डॉ. चन्नजीव सिंह का कहना है कि डीएनबी चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की ओर से नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीआई) की ओर से दी जाने वाली डिग्री का नाम है। डीएनबी को एमएस और एमडी के बराबर माना जाता है। कोई भी एमबीबीएस विद्यार्थी एनबीआई डीएनबी करने के बाद देश के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों से बतौर स्पेशलिस्ट काम करने के लिए मान्य हो जाता है।
इन्हें मिली मंजूरी
- मेडिसन, सर्जरी व एंस्थीसिया की डीएनबी की दो-दो सीटों मिली हरी झंडी।
- एंस्थीसिया के डिप्लोमा के लिए भी दो सीटें हुईं मंजूर
- गायनी विभाग को नही मिल पाई डीएनबी की सीटें