अब ऑनलाइन ही जमा होंगे शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के मेडिकल बिल, होगा यह फायदा
पंजाब राज्य शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों कर्मचारियों पेंशनर्स और उनके आश्रितों के मेडिकल बिल अब केवल ऑनलाइन ई-ऑफिस साॅफ्टवेयर से ही जमा होंगे।
जालंधर, [अंकित शर्मा]। पंजाब राज्य शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों के मेडिकल बिल अब केवल ऑनलाइन ई-ऑफिस साॅफ्टवेयर से ही जमा होंगे। सरकार की तरफ से यह आदेश डिपार्टमेंट की तरफ से पेपरलेस वर्किंग प्रक्रिया को बढ़ावा देते हुए सभी सेवाओं को ऑनलाइन साॅफ्टवेयर से जोडऩे के लिए किया गया। इसके जरिए आवेदकों को अपने केस का स्टेट्स जानने के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने से उन्हें अपने केस का स्टेट्स भी पता चलता रहेगा। यही कारण है कि इसमें शिक्षा विभाग के साथ पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल किए गए हैं। इस संबंध में डायरेक्टर सेहत एंड परिवार भलाई पंजाब की तरफ से डायरेक्टर शिक्षा विभाग कालेज, डायरेक्टर शिक्षा विभाग एलिमेंटरी, सेकेंडरी और पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड को दो दिन पहले आर्डर निकाल कर कोई भी बिल अब मैन्युअल या दस्ती रूप में स्वीकार न करने संबंध में कह दिया है, ताकि तुरंत प्रभाव से इन बदले नियमों को लागू कर प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा सके।
मेडिकल बिलों को लेकर होने वाले भ्रष्टाचार पर लगेगी रोक
मेडिकल बिलों को सबमिट करवाने की प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाने से भ्रष्टाचार के मामले भी रुकेंगे। क्योंकि डीईओ दफ्तर प्राइमरी में ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं, जिनमें क्लर्कों की तरफ से मेडिकल बिलों की पेमेंट हड़प ली गई थी और आवेदक को उसकी भनक तक नहीं लगी थी। इनमें बहुचर्चित मामला डीईओ प्राइमरी के क्लर्क बीरमेहरबान टोनी द्वारा 42 लाख रुपए का रहा है। यह मामला विजिलेंस टीम की रिपोर्ट के आधार पर उजागर हुआ था। इसमें एमपीलैंड फंड, मेडिकल बिलों आदि को आवेदकों को न देकर अपने रिश्तेदारों के खातों में डलवा लिया गया था। तब टीम ने पीड़ितों की शिकायतों के आधार पर ही जांच करके दो डीईओ, क्लर्क बीर मेहरबान सहित 6 को मामले में आरोपित बनाया था। इसी तरह नकोदर में एक मामला इसी तरह मेडिकल बिलों को आवेदकों को न दिए जाने का दर्ज किया जा चुका है।