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टैंकरों की E-Locking से रुकेगी पेट्रोल-डीजल की चोरी, OTP से होगा अनलॉक

ई-लॉकिंग से पेट्रोल पंप मालिक के मोबाइल पर कंपनी की तरफ से आने वाले ओटीपी से ही तेल टैंकर की अनलॉकिंग हो सकेगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 03:52 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 03:52 PM (IST)
टैंकरों की E-Locking से रुकेगी पेट्रोल-डीजल की चोरी, OTP से होगा अनलॉक
टैंकरों की E-Locking से रुकेगी पेट्रोल-डीजल की चोरी, OTP से होगा अनलॉक

जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। तेल डिपो से पेट्रोल पंप तक टैंकर पहुंचने के दौरान होने वाली पेट्रोल-डीजल की चोरी को रोकने के लिए अब इंडियन ऑयल की तरफ से तेल टैंकरों को ई-लॉक से सुसज्जित बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस प्रक्रिया के दौरान टैंकरों पर कोई ताला नहीं लटकाया जाएगा, बल्कि पेट्रोल पंप मालिक के मोबाइल पर कंपनी की तरफ से आने वाले ओटीपी से ही तेल टैंकर की अनलॉकिंग हो सकेगी।

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ई-लॉकिंग प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक टैंकर में एक प्रोसेसर लगा दिया जाएगा और सर्वर कंपनी के पास ही रहेगा। जैसे ही संबंधित टैंकर ऑयल डिपो से पेट्रोल-डीजल लेकर संबंधित पेट्रोल पंप की परिधि में पहुंचेगा। वैसे ही एक ओटीपी जनरेट होगा, जो स्वचालित प्रणाली से पेट्रोल पंप मालिक के मोबाइल पर पहुंचेगा। इसी ओटीपी को ट्रक में लगे प्रोसेसर में जब फीड किया जाएगा, तब ही टैंकर का लॉक खुल सकेगा। टैंकर पर मात्र ताला लगाए जाने से पेट्रोल-डीजल की रास्ते में चोरी होने की संभावना बनी रहती थी, जिसे ई लॉक प्रक्रिया से रोकने की कोशिश की जा रही है।

इंडियन ऑयल जालंधर के डिपो मैनेजर नीरज कुमार बंसल ने बताया कि बठिंडा और ऊना ऑयल टर्मिनल में ट्रकों को ई-लॉकिंग से सुसज्जित कर दिया गया है। जालंधर में भी जून माह तक टर्मिनल के समस्त 450 टैंकरों को ई लॉकिंग से सुसज्जित बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन कोविड-19 के चलते यह कुछ समय के लिए निर्धारित लक्ष्य से पिछड़ गया है। उन्होंने कहा कि दिसंबर माह तक जालंधर के भी सभी टैंकरों में ई लाक उपलब्ध करवाने की प्रबल संभावना है।

ई-लॉकिंग की बजाय टैंकरों में फ्लो मीटर लगवाएंः पीपीडीएपी

वहीं, दूसरी तरफ पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन, पंजाब (पीपीडीएपी) के प्रवक्ता मोंटी गुरमीत सहगल ने टैंकरों में उपलब्ध करवाए जाने वाली ई-लॉकिंग प्रक्रिया को कारगर न बताते हुए तेल कंपनियों का चोरी रोकने के लिए एक और एक्सपेरिमेंट ही बताया है। मोटी गुरमीत सहगल ने कहा कि तेल कंपनियों को टैंकरों में फ्लो मीटर लगवाए जाने चाहिए, जिससे यह साफ पता चल जाएगा कि टैंकर से कितने लीटर तेल पेट्रोल पंप के टैंक में गया है। कंपनियां तो तत्काल शॉर्टेज बुक करवाने को कहती हैं लेकिन पेट्रोल-डीजल तापमान के साथ बढ़ते और कम होते हैं। टैंकर में हिलता हुआ पेट्रोल-डीजल आता है, जिसे बरसों पुरानी डिप स्टिक (लोहे की रॉड) प्रक्रिया के साथ मापा जाता है। हिलते हुए और तापमान के साथ अपनी असल मात्रा से कम अथवा ज्यादा हो चुके पेट्रोल-डीजल को तत्काल डिप स्टिक के साथ सही मापा ही नहीं जा सकता है। घाटा तो पेट्रोल पंप संचालक उठा रहे हैं, जब शाम को पता चलता है कि टैंक में तेल ही कम गया है। पेट्रोल पंप संचालक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से तेल बेचते हैं, लेकिन खुद तेल खरीदने के लिए लोहे की रॉड से मापते हैं। उन्होंने कहा कि कंप्यूटरीकृत ई-लॉकिंग तो कभी भी हैक की जा सकती है। इसके बाद तेल कंपनियां फिर से कोई नया एक्सपेरिमेंट करेंगी।


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