दशहरा पर पहली बार सिर्फ दशानन का दहन
दशहरा उत्सव के अभी तक के इतिहास में पहली बार केवल रावण के पुतले का ही दहन किया जाएगा।
शाम सहगल, जालंधर : दशहरा उत्सव के अभी तक के इतिहास में पहली बार केवल रावण के पुतले का ही दहन किया जाएगा। कोरोना के कारण सरकार व प्रशासन ने नियमों का पालन करते हुए सीमित दायरे में व निर्धारित संख्या की उपस्थिति में दशहरा मनाने की मंजूरी दी है। इस कारण संस्थाओं ने भी इस बार केवल रावण के पुतले का का ही दहन करने का निर्णय लिया है। वहीं, गली-मोहल्ले व कालोनियों में दशहरा मनाने की तैयारियां कर रहीं संस्थाएं बाजार से केवल रावण के पुतले की ही मांग कर रही हैं। इससे पहले से मंदी की मार झेल रहे कारीगरों का कारोबार भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सीजन की आस लगा कर बैठे पुतला तैयार करने वाले कारीगरों को इस बार निराशा ही हाथ लगी है। यह पहली बार होगा के दशहरे के अवसर पर केवल एक पुतला जलाकर रस्म अदायगी की जाएगी।
- अकेला रावण जलाना बनी विवशता
दशहरा पर एक रावण का पुतला दहन करके पर्व मनाने की तैयारी कर रहे बस्ती शेख निवासी पवन कुमार ने बताया कि इस बार ऐसा करना विवशता बन गया है। कोरोना महामारी के बीच परंपरा को जीवित रखना भी जरूरत है। कमेटियों के साथ लोग भी भीड़ में जाने से कतरा रहे है। इस कारण सीमित संख्या के बीच एक पुतले का दहन करके परंपरा को कायम रखा जाएगा।
- एक पुतले के दहन से ही करेंगे रस्म अदायगी
अर्बन एस्टेट फेस वन में दशहरा मनाने के लिए पुतला खरीदने आए पुरुषोत्तम लाल बताते हैं कि एक पुतले का दहन करके केवल रस्म अदायगी की जाएगी। जिला प्रशासन ने दशहरा पर केवल 100 लोगों की इजाजत दी है। ऐसे में व्यापक स्तर पर दशहरा में आना संभव नहीं है।
कारीगरों को भी मलाल
जेल रोड पर पुतले तैयार कर रहे कारीगरों को भी इस बात का मलाल है कि मोहल्ला स्तर के आयोजक केवल एक पुतले का ही दहन करेंगे। कारीगर संजीवन लाल बताते हैं कि हर बार दशहरे पर आयोजक तीन पुतले लेकर जाते हैं। यह पहला अवसर है जब केवल एक पुतले की ही मांग की जा रही है। इस बार पुतलों का कद तो छोटा हुआ ही है, साथ ही संख्या भी कम रह गई है। दशहरे के सीजन में इस रोड पर 300 से अधिक पुतले 50 से लेकर 80 फुट तक तैयार करके बेचे जाते हैं, जबकि इस बार महज 5 से लेकर 20 फुट तक के मुश्किल से सौ पुतलों की बिक्री हो सकेगी।