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लोकसभा चुनाव से पंजाब में महंगी हुई गेहूं की कटाई, श्रमिक लौट गए यूपी व बिहार

गेहूं की कटाई के समय लोकसभा चुनाव होने से खेतों में काम करने वाले मजदूरों की कमी हो गई है। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 02:31 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 09:04 PM (IST)
लोकसभा चुनाव से पंजाब में महंगी हुई गेहूं की कटाई, श्रमिक लौट गए यूपी व बिहार
लोकसभा चुनाव से पंजाब में महंगी हुई गेहूं की कटाई, श्रमिक लौट गए यूपी व बिहार

जालंधर [जगदीश कुमार]। कृषि प्रधान प्रदेश पंजाब में इस साल गेहूं की बंपर फसल हो रही है। इससे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। वहीं गेहूं की कटाई के समय लोकसभा चुनाव होने से खेतों में काम करने वाले मजदूरों की कमी हो गई है। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। बता दें गेहूं की कटाई के लिए ज्यादातर मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश से ही आते हैं। इस बार बिहार और उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होने के कारण मजदूर अपने घरों में ही रहना पसंद कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश और बिहार में लोकसभा के सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव में मताधिकार व चुनावी गतिविधियों में भाग लेने के लिए पंजाब के खेतों में काम करने वाले ज्यादातर मजदूर वापस लौट गए हैं। होली को गांव जाने के बाद चुनावी प्रक्रिया में व्यस्त हो गए हैं। नतीजतन, पंजाब में गेहूं की कटाई और ढुलाई के लिए मजदूरों का संकट छाने लगा है। इसका दोआबा के बजाय मालवा व माझा में ज्यादा असर पड़ेगा।

मजदूरों ने कटाई की मजदूरी भी बढ़ाई

दोआबा किसान संघर्ष कमेटी के प्रधान हरसुरिंदर सिंह का कहना कि कटाई शुरू होने वाली है और 60-65 फीसद मजदूरों की कमी आड़े आ रही है। इसका मुख्य कारण उत्तर प्रदेश व बिहार में होना वाला मतदान है। कुछ मजदूर एडवांस भी लेकर गए हैं, अगर वह समय पर वापस नहीं आते हैं तो किसानों को दोहरी मजदूरी की मार पड़ेगी। इस समय पंजाब में मजदूरों की कमी होने से उन्होंने खेतों में काम करने की मजदूरी बढ़ा दी है। पिछले साल चार हजार रुपये प्रति एकड़ कटाई दी गई थी जो अब 4500 से 5000 रुपये के करीब पहुंच गई है। इसमें ढुलाई और भराई भी शामिल है।

माझा व मालवा में मजदूरों से कटाई करवाना मजबूरी

भारतीय किसान यूनियन के प्रधान हरमीत सिंह कादिया का कहना है कि गेहूं की फसल तकरीबन तैयार हो चुकी है। गेहूं की कटाई व ढुलाई को लेकर भी समस्या विकराल रूप धारण करने वाली है। हालांकि दोआबा में जमीन एक समान होने से कंबाइन से गेहूं की कटाई और तूड़ी तैयार हो जाती है। इसके बावजूद मजदूरों की जरूरत पड़ती है।

माझा व मालवा में खेत समतल न होने व खेतों में पेड़ लगे होने की वजह से मजदूरों से की कटाई करवाना किसानों की मजबूरी है। धान की कटाई के दौरान कंबाइन आपरेटरों ने 200 रुपये प्रति एकड़ दाम बढ़ाए थे। अब मजदूरों की कमी का भी पूरा फायदा उठाने की ताक में है। इस बार कंबाइन से कटाई 1600 से 2000 रुपये प्रति एकड़ होने की चांस है, जबकि धान की कटाई के समय यह 1200 से 1400 रुपये प्रति एकड़ था।

कृषि अधिकारी डॉ. नरेश गुलाटी ने बताया कि इस बार गेहूं की बंपर खेती होने के आसार हैं। पंजाब में गेहूं का रकबा 88 लाख एकड़ के करीब है। पिछले साल 48 टन प्रति हेक्टेयर गेहूं का झाड़ मिला था जो इस साल 51 टन होगा। पिछले साल 128 लाख टन गेहूं मार्केट में पहुंचा था जो इस साल 132 लाख टन होगा। रोपड़, आनंदपुर साहिब से निचले इलाके व मालवा व माझा के ज्यादा इलाके में मजदूरों की जरूरत काफी पड़ती है। दोआबा में कंबाइन से कटाई कर चार-पांच दिन में काम निपटा दिया जाता है। हालांकि गन्ने की कटाई और मई में धान की पनीरी लगाने के लिए मजदूरों की समस्या हो सकती है।

पंजाब में गेहूं का रकबा 88 लाख एकड़

पैदावार  180 मीट्रिक टन

सात चरणों में होंगे चुनाव

बिहार

11 अप्रैल(4), 18 अप्रैल (5), 23 अप्रैल (5), 29 अप्रैल (5) , 6 मई (5),12 मई (5) , 19 मई (8) 

उत्तर प्रदेश

11 अप्रैल (8), 18 अप्रैल (8), 23 अप्रैल (10), 29 अप्रैल (13), 6 मई (14),12 मई (14),19 मई (13)

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