किसानों की उम्मीद पर भी लागू हुई आचार संहिता, आयोग के भय से सियासी लोग नहीं पहुंच रहे मंडी
किसी भी सियासी नेता ने किसानों की परेशानी जानने की कोशिश नहीं की है। यही कारण है कि विभिन्न समस्याओं से दो-चार हो रहे किसानों के सामने अपनी बात रखने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है।
जेएनएन, जालंधर। लोकसभा चुनाव को लेकर लागू की गई आचार संहिता का असर शहर की मंडियों में भी देखने को मिल रहा है। खरीद का काम शुरू हुए करीब 15 दिन हो चुके हैं। बावजूद इसके किसी भी सियासी नेता ने किसानों की परेशानी जानने की कोशिश नहीं की है। यही कारण है कि विभिन्न समस्याओं से दो-चार हो रहे किसानों के सामने अपनी बात रखने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। यही नहीं किसी भी सियासी नेता की दखलअंदाजी न होने के चलते अफसरशाही भी हावी हो गई है।
आचार संहिता की अवहेलना का जोखिम नहीं लेना चाहते सियासी लोग
दरअसल, चुनाव को लेकर इस बार आयोग की सख्ती के चलते जहां सियासी लोग आचार संहिता की अवहेलना का जोखिम नहीं लेना चाहते। यही कारण है कि वह मंडियों में जाकर किसानों को किसी तरह का आश्वासन देने से कतरा रहे हैं। इसका प्रभाव सीधे रुप से पार्टी के उम्मीदवारों पर पड़ सकता है। चुनाव आचार संहिता के मुताबिक कोई भी सियासी नेता किसी भी वर्ग को किसी भी तरह का आश्वासन नहीं दे सकता ऐसा करना आचार संहिता का उल्लंघन माना जाया जाता है यही कारण है कि सियासी लोग मंडी में खरीद के काम का जायजा लेने से कतरा रहे हैं।
पहली बार सियासी रंग में नहीं रंग पाई मंडी
नई दाना मंडी में गांव से शेखे से गेहूं लेकर पहुंचे किसान अमृतपाल बताते हैं कि यह पहला अवसर है जब मंडी में कोई भी सियासी नेता नजर नहीं आया है। अन्यथा खरीद के दिनों में विभिन्न पार्टियों के राजनीतिज्ञ किसानों को पेश आ रहे हैं समस्याएं जानने तथा उसके समाधान के लिए अधिकारियों से वार्ता करते थे। इसी तरह गांव धोगढ़ी के किसान परमजीत ने बताया कि मंडी में सियासी नेताओं के आने से विभाग के अधिकारियों में भी भय बना रहता था। जबकि इस बार ऐसा नहीं है।