हेरोइन तस्करों ने अपनाई हाईटेक तकनीक, वाट्सएप कॉलिंग और गूगल लोकेशन से कर रहे डिलीवरी
हेरोइन की तस्करी के लिए तस्कर हाइटेक तकनीक अपना रहे हैं। एक दूसरे से संपर्क साधने के लिए वाट्सएप कॉलिंग व गूगल लोकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जालंधर, [मनीष शर्मा] हेरोइन की तस्करी के लिए अफ्रीकन तस्कर हाइटेक तकनीक अपना रहे हैं। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए और एक दूसरे से संपर्क साधने के लिए वह वाट्सएप कॉलिंग व गूगल लोकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह खुलासा जालंधर पुलिस द्वारा अब तक हेरोइन की तस्करी में पकड़े गए अफ्रीकन देशों के तस्करों से पूछताछ के बाद हुआ है।
इस साल अब तक जालंधर पुलिस ने लगभग आठ किलो हेरोइन के साथ 15 से ज्यादा अफ्रीकी देशों के तस्करों को गिरफ्तार किया है।पुलिस जांच के मुताबिक अफ्रीकी तस्करों व दिल्ली बैठे मुख्य सरगना से लेकर डिलीवरी वाले व्यक्ति तक वाट्सएप से ही बात होती है। चूंकि नॉर्मल फोन कॉल टैप होने से उनके तस्करी के गोरखधंधे की पोल न खुल जाए और लोकेशन से वो पकड़े न जाएं, इसलिए वाट्सएप कॉल को ही तस्करी के दौरान बातचीत का जरिया बनाया गया है।
पिल्लर नंबर बताकर देते हैं डिलीवरी
हाल ही में पकड़ी गई जिंबाब्वे की युवती समेत कई पुराने केसों की पुलिस जांच में पता चला कि दिल्ली में फ्लाईओवर के नीचे लगे पिल्लरों के नंबर बताकर उन्हें यह डिलीवरी दी जाती है। पुलिस के मुताबिक इनका मुख्य सरगना भी अफ्रीकन ही है, लेकिन वो डिलीवरी करने वालों के सामने नहीं आता। यही नहीं, किसी एक पिल्लर नंबर पर बुलाकर बाद में अचानक नंबर बदल भी दिया जाता है, ताकि अगर यह ट्रैप हो या तस्करी के लिए बुलाए अफ्रीकन के साथ कोई हो तो उसका पता चल सके।
डिलीवरी के लिए गूगल लोकेशन
तस्करी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे अफ्रीकन को डिलीवरी प्वाइंट तक पहुंचने के लिए गूगल लोकेशन दी जाती है। जो उनको वाट्सएप पर भेजी जाती है। डिलीवरी देने से पहले वो रास्ता न भटकें या फिर गलत आदमी को डिलीवरी न दें, इसके लिए उन्हें गूगल में दी लोकेशन पर पहुंचने के लिए कहा जाता है। वहीं, इसी लोकेशन से वो हेरोइन लेकर निकले अफ्रीकन पर भी नजर रखते हैं। इन तस्करों की मानें तो यह लोकेशन किसी की व्यक्तिगत जगह की नहीं होती, डिलीवरी दूसरी जगह ली जाती है। संभवत: उसके बाद इसे छोटे-छोटे हिस्से में आगे बेचा जाता है।
आम बोलचाल के सिखाये जाते हैं शब्द
पुलिस जांच के मुताबिक रास्ते में किसी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए इन तस्करों को हिंदी व पंजाबी के कुछ शब्द भी सिखाए जाते हैं। उन्हें बताया जाता है कि सिख मिले तो सत श्री अकाल कहकर करें। जबकि साधारणतया नमस्ते इस्तेमाल करें। वहीं, आम बोलचाल वाली कुछ हिंदी व पंजाबी भी उन्हें सिखाई जाती है ताकि अगर आसपास की बातों में खतरा महसूस हो तो वो इससे उसे समझकर वहां से निकल सकें।
जल्द पैसा कमाने का जरिया
पुलिस जांच के मुताबिक वर्क परमिट, टूरिस्ट अथवा स्टडी वीजा पर यहां आने वाले अफ्रीकन युवक-युवतियां जल्द पैसा कमाने के लिए तस्करी शुरू कर देते हैं। चूंकि अफ्रीकन देशों में ज्यादा गरीबी है, इसलिए वो नशे के बड़े स्मगलरों के चंगुल में फंस जाते हैं। पुलिस पूछताछ में वो प्रति खेप के बदले 10 हजार मिलने की बात कहते हैं लेकिन जांच अफसरों की मानें तो दोगुने दाम में बिकने वाली हेरोइन के लिए उन्हें 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक मिलते हैं।
कोड वर्ड का करते हैं इस्तेमाल
पुलिस का ये भी मानना है कि हेरोइन लेने से लेकर डिलीवरी तक में यह कुछ कोड वर्ड भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन वो इनकी अपनी भाषा में हैं। जिनको पुलिस ट्रैक करने की कोशिश कर रही है।
पूरी तरह अलर्ट होकर काम कर रही पुलिस: एसएसपी
देहात जालंधर के एसएसपी नवजोत सिंह माहल का कहना हैकि हेरोइन तस्करी में संलिप्त इन विदेशी तस्करों से हमने गहनता से पूछताछ की ताकि उनके कामकाज के तरीके और पूरे नेटवर्क का पता चल सके। कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिससे इसकी यहां डिलीवरी लेने वालों के साथ दिल्ली बैठे सरगनाओं की पहचान कर पकडऩे की भी कार्रवाई की जा रही है। हमने इसके लिए छापामारी भी की है और कुछ लोग पकड़े भी हैं। पुलिस ऐसे तस्करों को पकडऩे के लिए पूरी तरह अलर्ट होकर काम कर रही है।
अफ्रीकन तस्करों के पकड़े जाने के कुछ प्रमुख मामले
- 19 दिसंबर को फिल्लौर बस स्टैंड से सैंडिल की हील में भरकर 450 ग्राम हेरोइन तस्करी करती जिंबाब्वे की अलीशा मोजज पकड़ी गई।
- 13 दिसंबर को दोमोरिया पुल से नाइजीरियन ननमाड़ी को 100 ग्राम हेरोइन समेत पकड़ा गया।
- 14 दिसंबर को नाइजीरियन महिला लिलियन को 200 ग्राम हेरोइन समेत पकड़ा।
- 14 दिसंबर को तंजानिया की बेटराइस सस्टेनस व चीकू को एक किलो हेरोइन के साथ पकड़ा गया।
- 8 दिसंबर को नाइजीरियन ओबे को 255 ग्राम हेरोइन समेत पकड़ा गया।
- 19 नवंबर को नाइजीरियन केलविन को डेढ़ किलो हेरोइन के साथ पकड़ा गया।