डा. सुरिंदर बोले- जालंधर में पराली को गलाने के लिए 10 डीकंपोजर प्रदर्शनी प्लांट लगवाए गए
मुख्य खेतीबाड़ी अफसर जालंधर डा. सुरिंदर सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा किसानों को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अपनाते हुए मल्चर रोटावेटर स्ट्रा चौपर एमबी पलाओ हैपीसीडर या सुपरसीडर आदि मशीनों का इस्तेमाल करते हुए गेहूं व आलुओं की काश्त करने की सलाह दी जा रही है।
जालंधर, जेएनएन। जालंधर में धान की पराली की अच्छी संभाल करने के लिए किसान अलग-अलग प्रयास कर रहे हैं। मुख्य खेतीबाड़ी अफसर जालंधर डा. सुरिंदर सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा किसानों को सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अपनाते हुए मल्चर, रोटावेटर, स्ट्रा चौपर, एमबी पलाओ, हैपीसीडर या सुपरसीडर आदि जैसी अलग-अलग मशीनों का इस्तेमाल करते हुए गेहूं व आलुओं की काश्त करने की सलाह दी जा रही है। इसके साथ ही राज्य कृषि व किसान भलाई विभाग की हिदायतों अनुसार जिला जालंधर के अलग-अलग ब्लाकों में पराली डीकंपोजर तकनीक से धान की पराली को गलाने के लिए 10 प्रदर्शनी प्लांट भी लगवाए हैं।
डायरेक्टर खेतीबाड़ी व किसान भलाई विभाग पंजाब द्वारा माइक्रोबियल टेक्नालाजी से संबंधित प्रति प्रदर्शनी प्लांट 4 डीकंपोजर कप्सूल प्राप्त किए गए व हिदायतों अनुसार पांच लीटर पानी में 150 ग्राम गुड़ व 50 ग्राम बेसन का घोल 10 दिनों के लिए तैयार करते हुए जिला जालंधर के हर ब्लाक में धान की एक टन पराली पर इस घोल का स्प्रे करवाया गया।
इस घोल के स्प्रे उपरांत खेतों में पड़ी पराली की गलने की प्रक्रिया नोट की जा रही है। डा. सिंह के अनुसार ब्लाक भोगपुर के गांव कुरेशियां के गुरदीप सिंह ने अपने एक एकड़ रकबे में इस माइक्रोबियल टेक्नालोजी से तैयार किया घोल स्प्रे किया, जिसके बाद करीब 15-20 दिनों बाद धान की पराली गलने की प्रक्रिया शुरू हो गई व इसके बाद किसानों द्वारा गेहूं की बिजाई की गई।