डा. राजेश कुमार ने डीएवी के प्रिंसिपल का पदभार संभाला, पांच महीने बाद कालेज को मिले नए प्राचार्य
डीएवी कालेज जालंधर के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. सलिल कुमार उप्पल ने नवनियुक्त प्राचार्य का स्वागत किया और कार्यभार हस्तांतरित करते हुए उनको बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की। नवनियुक्त प्रिंसिपल डा. राजेश कुमार ने कहा कि वह कालेज नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए कार्य करेंगे।
जासं, जालंधर। डा. राजेश कुमार डीएवी कालेज के प्राचार्य बन गए हैं। मंगलवार को उन्होंने अपना पदभार भी संभाल लिया। इस अवसर पर नवनियुक्त प्रिंसिपल डा. राजेश कुमार का सकाय सदस्यों, कर्मचारियों ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान कालेज प्रांगण में यज्ञ भी करवाया, जिसमें सर्व कल्याण के लिए सभी ने आहुति डाली। डा. राजेश इससे पहले बतौर प्रिंसिपल डीएवी कालेज अजमेर और डीएवी कालेज अमृतसर में अपनी सेवाएं सफलतापूर्वक प्रदान कर चुके हैं।
डीएवी सीएमसी नई दिल्ली के सदस्य प्रिंसिपल इंद्रजीत तलवाड़ ने इस अवसर पर डीएवी कालेज के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए नवनियुक्त प्राचार्य डा. राजेश कुमार को बधाई दी। कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. सलिल कुमार उप्पल ने नवनियुक्त प्राचार्य का स्वागत किया और कार्यभार हस्तांतरित करते हुए उनको बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की।
डा. राजेश बोले- डीएवी कालेज जालंधर का प्राचार्य बनना गौरव की बात
डा. राजेश कुमार ने पद्मश्री डा. पूनम सूरी प्रधान डीएवी सीएमसी नई दिल्ली, समस्त डीएवी सीएमसी, स्थानीय डीएवी मैनेजिंग कमेटी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि डीएवी कालेज जालंधर का प्राचार्य बनना गौरव की बात है। उन्होंने अपनी नई भूमिका में कालेज को आगे से आगे बढ़ा कर नई ऊंचाइयों पर ले जाने का विश्वास दिलाया।
स्टाफ सचिव डा. मनु सूद ने कहा कि डा. राजेश कुमार एक बहुत ही गतिशील, ऊर्जावान प्राचार्य होने के नाते निश्चित रूप से कालेज, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। संस्था के प्रति उनकी पारदर्शिता, ईमानदारी, उद्देश्य और कार्य के प्रति समर्पण सर्वविदित है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उपप्राचार्य अर्चना ओबराय, रजिस्ट्रार कुंवर दीपक, उपरजिस्ट्रार प्रो. नरेश कुमार, संयुक्त सचिव प्रो. पुनीत पूरी आदि थे।
बता दें कि डा. एसके अरोड़ा के सेवा निवृत्त होने के बाद प्रो. सलिल कुमार उप्पल को कार्यवाहक प्राचार्य नियुक्त किया गया था। उसके बाद से फैकल्टी और छात्रों को नए प्रचार्य की नियुक्ति का इंतजार था।