राजनीति से मुंह मोड़ रहे धरती के भगवान, इस बार काेई भी नया चेहरा नहीं आया सामने
इस बार के चुनाव में किसी भी पार्टी ने न नए डॉक्टर पर दांव खेला और न ही किसी डॉक्टर ने आजाद प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाई।
जगदीश कुमार, [जालंधर]। धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों को स्टेथोस्कोप छोड़ राजनीति में आना रास नहीं आ रहा। यहीं कारण है कि इस बार पंजाब के किसी भी नए डॉक्टर ने चुनाव लड़ने का मन नहीं बनाया। और तो और पार्टियों ने भी किसी नए डॉक्टर चेहरे पर दांव नहीं खेला है। इस बार प्रमुख पार्टियों के चार डॉक्टर चुनावी मैदान में हैं, लेकिन ये सभी लंबे समय से सियासत से जुड़े हुए हैं। इससे पहले एनडीए सरकार में डॉ. सीपी ठाकुर और यूपीए में डॉ. अंबुमनि रामदास के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद चुनाव मैदान में उतरने के लिए डॉक्टरों के हौसले बुलंद हुए थे। पहली लोकसभा में भी 15 डॉक्टर संसद भवन की शोभा बने थे।
11वीं लोकसभा में तो इनकी संख्या सबसे अधिक 29 जा पहुंची थी। लेकिन फिर डॉक्टरों के खिलाफ एक के बाद एक बिल लोकसभा में पहुंचे तो उनका मनोबल गिरने लगा और वे चुनाव लड़ने से हिचकिचाने लगे। 15वीं लोकसभा में पंजाब से चार, 16वीं में दो और 17वीं में भी चार ही डॉक्टर मैदान में उतरे थे। इस बार अकाली दल और बसपा ने डॉक्टरों पर कोई दांव नहीं खेला, जबकि कांग्रेस ने फतेहगढ़ साहिब से डॉ. अमर सिंह व होशियारपुर से डॉ. राज कुमार चब्बेवाल को टिकट दी है।
आप ने होशियारपुर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके डॉ. रवजोत को आजमाया है। पटियाला से नवा पंजाब पार्टी के डॉ. धर्मवीर गांधी मैदान में हैं। इससे पहले 2014 में हुए चुनावों में अकाली दल, कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी किसी ने भी डॉक्टर को टिकट नहीं दी थी। आप ने अमृतसर से नेत्र रोग माहिर डॉ. दलजीत सिंह व पटियाला से हृदय रोग माहिर डॉ. धर्मवीर गांधी को मैदान में उतारा था। इनमें से सिर्फ गांधी को जीत नसीब हुई थी। 15वीं लोकसभा यानि 2009 में शिअद व बसपा ने दो-दो डॉक्टरों को उतारा था।
शिअद ने खडूर साहिब से डॉ. रतन सिंह अजनाला व आनंदपुर साहिब से डॉ. दलजीत सिंह चीमा को टिकट दी थी, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने होशियारपुर से डॉ. सुखविंदर सुखी व फरीदकोट से डॉ. रेशम सिंह पर दांव खेला था। ये भी अपने चुनावी भाग्य को नहीं बदल पाए थे।
डॉक्टरों को मैदान में उतरना चाहिए
देश में शिक्षित वर्ग खासकर डॉक्टरों को चुनाव मैदान में उतरना चाहिए। लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा व डॉक्टरों को होने वाली समस्याओं को संसद में पहुंचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा डॉक्टरों को लोकसभा और राज्यसभा में जाना चाहिए।
-डॉ. योगेश्वर सूद, प्रदेश प्रधान, आइएमए।
ज्यादा खर्च की वजह से नहीं लड़ रहे चुनाव
हमारे सदस्य गली मोहल्लों में मरीजों की सेवा करने वाले हैं। वर्तमान में चुनाव लड़ना महंगा है। नीमा के सदस्य भारी भरकम खर्च कर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
-डॉ. परविंदर बजाज, नीमा प्रदेश प्रधान।
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