हिमाचल विस चुनाव मेें धूमल की हार से पंजाब में भी निराशा
हिमाचल विधानसभा चुनाव मेंं प्रेम कुमार धूमल की हार से पंजाब के जालंधर में भी निराशा है। जालंधर धूमल की कर्मस्थली रहा है।
जालंधर, [धर्मेंद्र जोशी] । हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल की हार से पंजाब में भी निराशा है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की हार से शहर में उनके नजदीकियों और शुभचिंतक में मायूसी है। जालंधर कभी धूमल की कर्मस्थली रही है। यहां रह रहे उनके नजदीकी रिश्तेदारों समेत ढेरों शुभचिंतकों को अब तक विश्वास नहीं हो रहा कि प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए हैं।
भतीजे अरविंद ने कहा, भाजपा को प्रदेश में जिता अपनी सीट बलिदान कर गए
कभी दोआबा कॉलेज में प्रोफेसर रहे प्रेम कुमार धूमल की हार पर बात करने पर बडि़ंग निवासी भतीजे अरविंद धूमल ने कहा कि उनकी हार पर यकीन नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि प्रेम कुमार धूमल के सामने मुख्य जिम्मेदारी थी भाजपा को पूरे हिमाचल में जिताना। कोई 15-20 सीटें फंसी थीं।
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अरविंद ने कहा कि उन्होंने खासतौर पर उन हलकों पर ज्यादा ध्यान दिया। अपने हलके को समय नहीं दे पाए। हिमाचल में भाजपा की जीत पक्की करते हुए उन्होंने अपनी सीट बलिदान कर दी। उनका हलका हमीरपुर से बदलकर सुजानपुर कर दिया गया जो बिल्कुल नया था।
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टिकट में देरी से नहीं मिला प्रचार का समय
अरविंद ने कहा कि 16 अक्टूबर को चुनाव के एलान के बाद 9 नवंबर को वोटिंग के चलते टिकटों के देरी से प्रचार का उतना समय नहीं मिल पाया। उन्हें सीएम कैंडिडेट भी देरी से 31 अक्टूबर को घोषित किया गया। हार के पीछे भाजपा के अंदर की गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। यह ह्यूमन नेचर है कि हर कोई बड़ा पद पाना चाहता है।
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अगर धूमल साहब जीत जाते तो खुशी दोगुनी हो जाती : शर्मा
प्रो. धूमल से 1973-74 में इंग्लिश पढ़ने वाले जालंधर भाजपा के जिलाध्यक्ष रमेश शर्मा ने कहा कि गुजरात व हिमाचल प्रदेश में भाजपा की जीत पर हमें बहुत खुशी है। अगर धूमल साहब जीत जाते तो हमारी खुशी दोगुनी हो जाती।
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धूमल को ही सीएम बनाया जाए : रमणीक खन्ना
शहीद बाबू लाभ सिंह नगर निवासी धूमल के प्रशंसक रमणीक खन्ना ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा की जीत के लिए भागदौड़ करने वाले धूमल को ही सीएम बनाया जाना चाहिए। भाजपा ने पहले से ऐसा एलान कर रखा था। उन्होंने सवाल किया, अगर अमृतसर से लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद अरुण जेटली को वित्त मंत्री बनाया जा सकता है तो धूमल को सीएम क्यों नहीं बनाना चाहिए?
उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक सीएम बनने के लिए छह महीने में उन्हें विधायक बनना होगा। कुटलैहड़ हलके से भाजपा के एमएलए वीरेंद्र कंवर ने उनके लिए अपनी सीट छोड़ने का एलान भी कर दिया है।
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