Certificate में Correction का फर्जीवाड़ा होगा बंद, रिश्वत लेने पर पकड़े जाएंगे कर्मचारी
प्रशासन से जुड़ी 200 से ज्यादा सेवाएं अब सेवा केंद्रों के जरिये दी जा रही हैं। लोग इसमें सेवा केंद्र के जरिये आवेदन कर सकते हैं लेकिन बाकी काम दफ्तरों का क्लेरिकल स्टाफ ही करता है।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। मैरिज, बर्थ-डेथ या रेजिडेंस सर्टिफिकेट जैसे सरकारी दस्तावेजों में करेक्शन के नाम पर फर्जीवाड़ा व रिश्वतखोरी नहीं हो सकेगी। अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने यह कोशिश की तो वो तुरंत पकड़ा जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार अब दस्तावेजों में करेक्शन का काम केंद्र सरकार की नेशनल इंफर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) से वापस ले रही है। यह काम अब राज्य सरकार का डायरेक्टोरेट ऑफ गवर्नेंस एंड रिफॉर्म्स (डीओजीआर) करेगी।
सरकार धीरे-धीरे अब एनआईसी से बनवाए ई-डिस्ट्रिक्ट सॉफ्टवेयर को बंद कर सारा काम ई-सेवा में करने जा रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों से कामकाज दूसरे सॉफ्टवेयर में बदलने के लिए करेक्शन की प्रक्रिया भी बंद की गई है।
सेवा केंद्र के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उनके पास गवर्नेंस रिफॉमर्स डायरेक्टोरेट से यह हिदायत आई है कि इसी हफ्ते ई-डिस्ट्रिक्ट सॉफ्टवेयर के जरिए दी जा रही सरकारी सेवाओं को ई-सेवा में शिफ्ट किया जा रहा है। इसके बाद उसी के जरिए करेक्शन भी होगी।
पहले करो गलती, फिर ठीक करने के नाम पर रिश्वत
प्रशासन से जुड़ी 200 से ज्यादा सेवाएं अब सेवा केंद्रों के जरिये दी जा रही हैं। लोग इसमें सेवा केंद्र के जरिये आवेदन कर सकते हैं, लेकिन बाकी काम दफ्तरों का क्लेरिकल स्टाफ ही करता है। सबसे हैरत की बात यह थी कि लोग फॉर्म में सही जानकारी भी भरकर देते थे तो दस्तावेज वापस आने के बाद उसमें गलतियां मिलती थीं। इसे ठीक करवाने के लिए फिर लोगों को सेवा केंद्रों की दौड़ लगानी पड़ती। फिर वह दस्तावेज पीछे सरकारी दफ्तरों में जाता था। इसके बाद समय ज्यादा लग जाता तो लोगों को फिर अफसरों के दफ्तरों में धक्के खाने पड़ते और रिश्वत का खेल शुरू हो जाता। कई दस्तावेजों की करेक्शन का आवेदन तो सेवा केंद्र से होता है, लेकिन डिलीवरी सीधे हो जाती। लोग भी लगातार ऐसे आरोप लगाते रहते हैं जबकि सरकार ने रिश्वतखोरी का यह खेल बंद करने के लिए ही सरकारी दफ्तरों में पब्लिक डीलिंग खत्म करवाई थी।
जानबूझकर गलती की तो होगा एक्शन
अभी तक सरकारी कर्मचारी अपनी गलती को खुद ही सुधार लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। करेक्शन का काम अब जिले में नहीं, बल्कि चंडीगढ़ स्थित डीओजीआर के दफ्तर में होगा। वहां अगर किसी दस्तावेज में गलती होती है तो यह भी देखा जा सकेगा कि आवेदन में गलती भरी गई थी या क्लर्क व अन्य सरकारी कर्मचारी के स्तर पर हुई है। ऐसे में उनके खिलाफ भी एक्शन हो सकेगा। मोहाली में बैठी टीम लगातार इस बारे में सरकार व संबंधित विभागों के उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भी देगी कि किस विभाग से जुड़े दस्तावेजों में ज्यादा गड़बड़ी की जा रही है। चंडीगढ़ से करेक्शन ठीक होने पर लोगों को सरकारी दफ्तरों में नहीं जाना होगा। सेवा केंद्र में आवेदन के बाद वहीं से डिलीवरी मिलेगी। अभी तक एनआइसी यानि थर्ड पार्टी के पास काम होने से सारा डेटा राज्य सरकार के कंट्रोल में नहीं रह पाता था।
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