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युवा महोत्सव 2021 में छाया जालंधर एलपीयू का धीरेंद्र, अपनी कविता से किया पंजाब का नाम रोशन

युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित युवा महोत्सव 2021 में पंजाब राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र धीरेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता के वर्ग में पूरे भारत में तीसरा स्थान प्राप्त करके पंजाब का नाम चमका दिया है।

By Vinay kumarEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 01:16 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 01:16 PM (IST)
युवा महोत्सव 2021 में छाया जालंधर एलपीयू का धीरेंद्र, अपनी कविता से किया पंजाब का नाम रोशन
युवा महोत्सव 2021 में कविता पेश करते हुए एलपीयू के धीरेंद्र।

जालंधर, जेएनएन। धीरेंद्र सिंह ने अपनी कविता के जरिए देश में पंजाब का नाम रोशन किया है। भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित युवा महोत्सव 2021 में पंजाब राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र धीरेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता के वर्ग में पूरे भारत में तीसरा स्थान प्राप्त करके पंजाब का नाम चमका दिया है। धीरेंद्र ने ना केवल अपने माता-पिता और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी का नाम रोशन किया बल्कि पूरे पंजाब के सम्मान को राष्ट्रीय स्तर तक ऊंचा किया है। धीरेंद्र की कविता देश पर आधारित थी।

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उत्साह नए भारत का

वीर शिवा और राणा को यह प्राणों से प्यारा था,

रानी लक्ष्मी बाई के सपनों का एक सितारा था।

आजाद, भगत और बिस्मिल के लिए निराला था,

चाहे फाँसी का फंदा हो पर वो भी उन्हें मतबाला था।

भारत की इस पावन  मिट्टी मे वीरों की  कुर्वानी है,

विधवाओं के आंसू और मांओ की कोख निशानी है।

कटे, फटे और लहू मे तर जिस्मो की चीखें है इसमें,

मां, बहनों की अजमत और पुरखों की लाशें है इसमें।

वो लाशें अब बोल रही हैं यह धरती सिर्फ तुम्हारी है,

इसके अमन को बर्बाद न कर यह हम सबको प्यारी है।

शिव की जटा से निकली जो वो गंगा यहां पे बहती है,

फिर भी भारत मां अपने ऊपर कितने दुःख सहती है।

आज़ादी को याद करूं तो आंखों से अश्क छलकते है,

वो मंजर दिल पर आ जाये तो दिल मे अंगार सुलगते है।

आजादी मे कितनो ने अपना सर्वस्य निछावर कर डाला

अपनी आंखों के सामने अपने बेटों को कटवा डाला।

दुश्मन से रण मे  ना  हरे सदा  लहू  जलपान किआ,

अपने जिस्म का हर कतरा भारत मां को दान किया।

धेय मे सांस रही ना रही पर आश हमेशा जिन्दा थी,

भारत की आजादी मे हर एक कुर्बानी चुनिंदा थी।

उन वीरो की कुर्वानी का कोई अपमान नहीं होगा,

चाहे कुछ भी हो जाये गद्दारों का सम्मान नहीं होगा।

अब भारत का मुस्तकबिल हम सब लिखने वाले हैं,

मरते दम तक हम केबल हिंदुस्तान पे मिटने वाले हैं।

इतिहास के हर पृष्ठों की एक नई पहचान हैं यह

पूरी दुनिया मे  शौर्य  की एक  अलग शान हैं यह

शिक्षा के वीर पुरुष कलाम का स्वाभिमान हैं यह

हर सच्चे भारतवासी का अमिठ सम्मान हैं यह

इकबाल के गीत सभी मीरा का मधुर  गान हैं यह

मन्दिर मे सीता राम और मस्जिद मे रहमान हैं यह

अकबर के नव रत्नों मे से तानसेन की तान हैं यह

इसको तुम छोटा ना समझों पूरा हिंदुस्तान हैं यह

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