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पहले देखो खाते में पैसे हैं कि नहीं, फिर बनाओ एस्टीमेट अैर निकालो टेंडर...

निकाय विभाग के संयुक्त निदेशक ने नगर निगम को हिदायत दी है कि पहले वह फंड चेक करे और उसके बाद ही विकास कार्यों के प्रस्ताव पारित कर मंजूरी को भेजे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 02:30 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 02:30 PM (IST)
पहले देखो खाते में पैसे हैं कि नहीं, फिर बनाओ एस्टीमेट अैर निकालो टेंडर...
पहले देखो खाते में पैसे हैं कि नहीं, फिर बनाओ एस्टीमेट अैर निकालो टेंडर...

जागरण संवाददाता, जालंधर। खाली खजाने के चलते सरकार ने शहर में विकास कार्यों पर रोक लगा दी है। सरकार की तरफ से निगम प्रशासन को स्पष्ट हिदायतें जारी कर दी गई हैं कि विकास कार्यों के प्रस्ताव पारित करके मंजूरी के लिए तभी सरकार के पास तभी भेजे जाएं, जब खजाने में उस काम को करवाने की धनराशि हो। सरकार ने यह आदेश पिछले कुछ समय में निगम के विकास कार्यों को लेकर भेजे गए प्रस्तावों के चलते जारी किया है। निकाय विभाग के संयुक्त निदेशक मोहिंदर पाल ने इस संबंध में लिखित आदेश जारी किए हैं। निगम प्रशासन के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक निगम फिलहाल 40 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है।
 

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संयुक्त निदेशक ने आदेश में कहा है कि नगर निगम प्रशासन पहले अपने खातों को चेक करें और उनके पास उपलब्ध धन के मुताबिक ही विकास कार्यों संबंधी प्रस्तावों को पारित कर सरकार की मंजूरी के लिए भेजे। पत्र में कहा गया है कि हाउस में लाखों रुपये की लागत वाले विकास कार्यों को पारित करवा दिया जाता है और प्रस्ताव सरकार को भेज दिए जाते हैं। यह गलत है।

विकास कार्यों के प्रस्ताव तो भेज दिए जाते हैं पर आमदनी का कोई ब्योरा नहीं दिया जाता है। कई बार अदायगियां समय पर नहीं हो पाने के चलते कानूनी पेंचीदगियों का भी सामना करना पड़ता है। इससे किरकिरी भी होती है। लिहाजा, नगर निगम प्रशासनों को हिदायतें जारी की जाती हैं कि जितने फंड उपलब्ध हों, उसके मुताबिक ही विकास कार्यों के प्रस्ताव पारित किए जाएं और टेंडर किए जाएं।
- मोहिंदर पाल, संयुक्त निदेशक निकाय विभाग


निगम पर ठेकेदारों के करीब 30 करोड़ रुपये बकाया

वार्डों के विकास के लिए नगर निगम द्वारा करीब नौ करोड़ रुपये के टेंडर तीन बार निकाले जा चुके हैं। अदायगी नहीं होने के चलते किसी भी ठेकेदार ने टेंडर के लिए आवेदन ही नहीं किया। ठेकेदारों को निगम से 30 करोड़ रुपये की धनराशि लेनी है जिसकी अदायगी निगम नहीं कर पा रहा है। ओएंडएम ब्रांच की ओर से शहर में वाटर पाइपलाइन बिछाने के टेंडरों के लिए भी निगम को कोई ठेकेदार नहीं मिल रहा। प्रदेश भर के नगर निगमों का लगभग ऐसा ही हाल है। माना जा रहा है कि इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से नगर निगम प्रशासनों को शुक्रवार को पत्र जारी कर हिदायतें जारी की गईं। इससे पहले सरकार की ओर से फंड की कमी होने के चलते नई सड़कें बनाने की बजाय पैचवर्क कराने की भी हिदायतें जारी की गईं थीं।


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