ईएसआइसी अस्पताल में टीबी के मरीज की मौत, डाक्टरों पर लगाए गए लापरवाही के आरोप
ईएसआइसी अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों के इलाज को लेकर खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : सिविल अस्पताल में कोविड केयर सेंटर बनने के बाद ईएसआइसी अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों के इलाज को लेकर खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। टीबी से युवक की मौत होने के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में कोताही बरतने के आरोप लगाए। परिजनों को शव घर लेकर जाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं अस्पताल प्रबंधन ने आरोपों को नकारा है। सोढल निवासी शक्ति का कहना है कि उसके 23 साल के बेटे पंकज को टीबी थी। टीबी के सैंपलों की जांच के लिए उसे अस्पताल का स्टाफ बार-बार चक्कर लगवाए जा रहे थे। रविवार को बेटे की तबीयत खराब हो गई ती। उसे अस्पताल में दाखिल करने के लिए स्टाफ आनाकानी कर रहा था। इसके बाद मंगलवार को उसे ईएसआइसी अस्पताल में दाखिल किया गया। शक्ति ने अस्पताल के डॉक्टरों पर आरोप लगाए कि वह दूसरे मरीजों की जांच कर लौट जाते थे और बेटे की जांच नहीं करते थे। इस बात से बेटा मानसिक तनाव में था। अस्पताल का छाती रोग विशेषज्ञ केवल एक ही बार देखने आया। वीरवार को देर रात उसकी मौत हो गई। मौत के बाद मृतक को खुद ही स्टेचर पर लेकर वार्ड से नीचे आए और उन्हें शव घर लेकर जाने के लिए भी खासी मुसिबतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने सेहत विभाग के आला अधिकारियों से गुहार लगाई है कि मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उधर, ईएसआइसी अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. लवलीन गर्ग ने आरोपों को नकारा है। उन्होंने कहा कि मरीज कोरोना काल से पहले से ही टीबी मरीज था। लॉकडाउन के दौरान मरीज ने टीबी की दवा छोड़ दी थी और डिफॉल्टर हो गया था। टीबी की वजह से उसके फेफड़े खराब हो चुके थे। अस्पताल के डॉक्टर बराबर उसकी जांच पड़ताल कर दवा दे रहे थे। मृतक की फाइल मंगवाकर गहन जांच पड़ताल करके रिपोर्ट विभाग की डायरेक्टर को सौंप दी है।