फोटो खिंचवाने के शौकीन दानवीरों से DC आए तंग, गुपचुप दान करने की दी सलाह
डीसी वरिंदर शर्मा ने कहा पुण्य का काम करना है तो चुपचाप मदद भेज दो। हम आपका नाम इंटरनेट पर जारी कर देंगे कि किस व्यक्ति ने हमें कितना दान दिया है।
जालंधर [मनीष शर्मा]। दान देते वक्त अफसरों के साथ फोटो खिंचवाने के शौकीन दानवीरों से डीसी भी तंग आ गए हैं। डीसी वरिंदर शर्मा ने इन दानवीरों को दान की परिभाषा समझाने की कोशिश की है। सोमवार को फ्लैग मार्च निकालने के बाद डीसी ने कहा कि वो दानवीरों को मुफ्त की सलाह दे रहे हैं कि पुण्य का काम करना है तो चुपचाप मदद भेज दो। हम आपका नाम इंटरनेट पर जारी कर देंगे, कि किस व्यक्ति ने हमें कितना दान दिया है। बाकी आप लोगों की मर्जी है। उन्होंने कहा कि यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यह अदृश्य बीमारी है, किसी को है या नहीं, पता नहीं चलता। यह कोई चेचक नहीं, जिसके निशान नजर आए। इसका कुछ पता नहीं चलता। इसके बावजूद अपनी फोटो सोशल मीडिया व अखबारों में चमकाने के चक्कर में बिना फोटो के लोग दान नहीं दे रहे हैं।
अफसर हर जगह घूम रहे, खुद की हालत का नहीं पता
डीसी वरिंदर शर्मा ने कहा कि अफसर कोरोना वायरस के मामले में पूरी तरह से एक्सपोज्ड हैं। हम हर रोज फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं। अस्पताल भी जा रहे हैं। बहुत सारे अच्छे लोग हैं, जो हमें मेडिकल का सामान देना चाहते हैं या चेक देना चाहते हैं। उनको लगता है कि मैं जानबूझकर उनसे नहीं मिल रहा। मैं तो किसी को भी नहीं मिल रहा। मेरी ऐसे सज्जनों से गुजारिश है कि सामान गुपचुप भेज दो। अगर आपको दिन-रात लोगों के बीच घूम रहे अफसरों या मुझसे मिलना है तो इससे आपको हमसे और आपसे हमको भी कोरोना वायरस का खतरा रहेगा। सोमवार को ही लुधियाना में एक एसीपी कोरोना पॉजीटिव मिला है। फिर भी मिलना है तो आपकी मर्जी है।
युद्धिष्ठिर से यक्ष प्रश्न का दिया उदाहरण
Curfew के बावजूद बेवजह बाहर घूमते लोगों के रवैये पर डीसी ने महाभारत में युद्धिष्ठर व यक्ष के बीच हुए सवाल-जवाब का उदाहरण दिया। यक्ष ने युद्धिष्ठिर से पूछा कि दुनिया की सबसे अजीब व हैरानी वाली कौन सी बात है? तो युद्धिष्ठिर ने जवाब दिया कि आदमी सोचता है कि वो कभी बीमार नहीं होगा। उसका शरीर कभी जर्जर नहीं होगा। आदमी यह नहीं समझता कि मुझे कभी मौत आएगी। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि घर पर रहो। हमारी तो मजबूरी है लेकिन लोग बाहर घूमकर खुद के साथ अपने परिवार को भी खतरे में डाल रहे हैं।
बीमारी फैली तो सख्ती के बजाय बेबसी दिखा रहे अफसर ही देंगे जनता को जवाब
कोरोना वायरस के जिले में 24 मरीज हो चुके हैं। जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। लोग अब भी बाहर घूम रहे हैं। यहां तक कि गली-मोहल्लों इलाके के लोगों ने सील कर दिए लेकिन अंदर कोई सैर कर रहा है तो कोई क्रिकेट खेल रहा है। पुलिस व सिविल प्रशासन सख्ती के बजाय सिर्फ अपील करने में लगे हैं। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर लोगों को सामाजिक जिम्मेदारी याद दिला रहे हैं तो डीसी वरिंदर शर्मा कह रहे हैं कि बाहर घूमने वाले ऐसे लोग हैं, जो हिमालय पर्वत की चोटी पर चढ़कर हाथ छोड़कर खड़ा होना चाहता है। हालांकि अगर शहर या जिले में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ा तो इन अफसरों को घरों में बैठे लाखों लोगों को यह जवाब जरूर देना पड़ेगा कि उनके सहयोग के बावजूद संक्रमण कैसे फैला?। अफसर बेवजह बाहर घूमने वालों पर सख्ती की जगह बयानबाजी का जुबानी जमा-खर्च क्यों कर रहे हैं?
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