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जालंधर में डीसी घनश्याम थोरी ने एक साल में बदली प्रशासन की सूरत, लोगों को दी सहूलियतें

जालंधर में पिछले साल 14 जून को डीसी का पदभार संभालने वाले घनश्याम थोड़ी ने एक साल में प्रशासन की सूरत बदल दी। डिप्टी कमिश्नर ने सेहत विभाग अस्पताल प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तालमेल बनाकर काम किया।

By Vinay KumarEdited By: Published: Mon, 14 Jun 2021 10:31 AM (IST)Updated: Mon, 14 Jun 2021 10:31 AM (IST)
जालंधर में डीसी घनश्याम थोरी ने एक साल में बदली प्रशासन की सूरत, लोगों को दी सहूलियतें
जालंधर में पिछले साल 14 जून को डीसी घनश्याम थोरी ने पदभार संभाला था।

जालंधर, जेएनएन। जालंधर में पिछले साल 14 जून को डीसी का पदभार संभालने वाले घनश्याम थोड़ी ने एक साल में प्रशासन की सूरत बदल दी। कोरोना काल में चुनौतियां ज्यादा थीं, बावजूद उन्होंने सूझबूझ से काम किया। बात कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की उपलब्धता की हो या अस्पतालों में लेवल-दो व तीन के बेडों की व्यवस्था करने की, डीसी ने सेहत विभाग, अस्पताल प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तालमेल बनाकर काम किया। जिले में मनरेगा को लागू करवा कर राज्य भर के तीन सर्वश्रेष्ठ जिलों में अपना स्थान बनाया। इसके लिए मुख्यमंत्री के साथ वर्चुअल बैठक करके जिले के हालात व जरूरतों से अवगत करवाते हुए विशेष पैकेज भी दिलवाए।

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बेहतर व्यवस्था होने से दूसरे राज्यों से भी पहुंचे मरीज

डीसी ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया। इसमें अस्पतालों में दाम निर्धारित करने के साथ-साथ आक्सीजन की उपलब्धता को सुनिश्चित किया। यह पहला अवसर था जब जिला प्रशासन ने जिले के सभी प्रमुख अस्पतालों को अपना आक्सीजन प्लांट लगाने के निर्देश दिए ही नहीं बल्कि इसे प्रभावी ढंग से लागू भी करवाया। इसके साथ ही जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को 24 घंटे सुनिश्चित किया। यही कारण रहा कि जिले में दूसरे राज्यों से भी कोरोना के मरीज उपचार करवाने के लिए पहुंचे।

जीरो पेंडेंसी के साथ कायम की मिसाल

डीसी घनश्याम थोरी ने नागरिक सेवाओं को सुनिश्चित बनाने के लिए सेवा केंद्रों में जीरो पेंडेंसी के साथ उपलब्धि हासिल की। खासकर मुलाजिमों की हड़ताल के बाद भी लोगों को परेशानी नहीं आने दी। इसके लिए मुलाजिमों को सम्मानित भी किया गया।

स्टिंग आपरेशन करने पर दिया सम्मान

जिले में कालाबजारी खत्म करने के लिए पहली बार जिला प्रशासन की तरफ से स्टिंग आपरेशन करने वालों को 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया। डीसी घनश्याम थोरी बताते हैं कि कालाबाजारी रोकने के लिए यह जरूरी था। इससे लोगों में जागरूकता तो आई ही, साथ ही कालाबाजारी पर भी लगाम लगी है।


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