गुरु के बिना कामयाबी नहीं मिलती
गुरु के बिना कामयाबी नहीं मिल सकती। गुरु पूर्णिमा पर मैं श्रीगंगानगर में बिताए स्कूल टाइम को याद करता हूं।
गुरु के बिना कामयाबी नहीं मिल सकती। गुरु पूर्णिमा पर मैं श्रीगंगानगर में बिताए स्कूल टाइम को याद करता हूं। मैं स्कूल की पढ़ाई कर रहा था तो मेरे पास मेडिकल व नॉन मेडिकल दोनों थे। 11वीं व 12वीं में जाने के बाद बायो व मैथ्स का लेवल हाई हो गया, जिससे फिजिक्स को लेकर थोड़ी समस्या आ रही थी। जब इस बारे में वहां के खालसा कॉलेज के प्रोफेसर पवन पाहवा जी को पता चला तो उन्होंने हमें इसकी कोचिंग दी। उस वक्त की पढ़ाई में उनका बड़ा योगदान रहा। शायद मैंने उन्हें सिर्फ 500 रुपये दिए होंगे और वे मुझे छह माह पढ़ाते रहे। इसके बाद जब मैं मुंबई के इंश्योरेंस कंपनी में काम करता था तो वहां हमारे मार्केटिग हेड राहुल सिन्हा थे। उन्हें पता चला कि मेरे यूपीएससी के एग्जाम होने हैं तो उन्होंने मुझे दो महीने की छुट्टी दी, जो शायद प्राइवेट सेक्टर में मिलनी नामुमकिन होती है। यह भी एक गुरु की तरह ही सहयोग रहा। उनकी बदौलत आज आइएएस हूं।
- घनश्याम थोरी, डीसी
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सबसे बड़े गुरु 'वाहेगुरु'
वाहेगुरु ही मेरा सबसे बड़ा गुरु है, हर मुसीबत में उन्होंने मेरा साथ दिया है और मुझे सही रास्ता दिखाया है। जब जब भी कोई ऐसी दिक्कत आती है, जिसमें मुझे गुरु की आवश्यकता होती है तो उनके ही सामने बैठकर अरदास करता हूं और मेरी हर परेशानी दूर हो जाती है। कोरोना वायरस जैसी गंभीर परेशानी सामने खड़ी है और इससे लड़ने के लिए सबसे आगे पुलिस वाले ही खड़े हो रहे हैं। इस मुसीबत में भी मुझे अपने गुरु की आवश्यकता थी तो मैंने सच्चे दिल से अरदास की कि इस मुसीबत से लड़ने के लिए बल प्रदान करें और सही मार्ग दिखाएं। गुरु ने मेरी फरियाद सुनी और मेरे साथ साथ मेरी सारी टीम को बल दिया ताकि इस लड़ाई तो जीत सकें। उन्हीं की कृपा से आज हम इस वायरस के खिलाफ सफल लड़ाई लड़ रहे हैं और कामयाब भी होंगे।
- नवजोत सिंह माहल, एसएसपी