बेटी क्रिकेट में करे नाम, इसलिए पंजाब की इस मां ने शहर छोड़ सड़क के किनारे लगाई रेहड़ी
International Womens Day पंजाब के मानसा की चरणजीत कौर चाहती हैं कि उनकी बेटी गुरलीन कौर क्रिकेट में नाम कमाए। इसके लिए उन्होंने शहर छोड़ दिया और दूसरे शहर में फुटपाथ के किनारे रेहड़ी लगा लिया। वहां वह खाना बेचकर बेटी की कोचिंग के लिए पैसे जुटाती हैं।
जालंधर, [प्रियंका सिंह]। International Women's Day: पंजाब के मानसा की चरणजीत कौर का सपना है कि उनकी बेटी गुरलीन कौर एक कामयाब क्रिकेटर बने, लेकिन इसमें कई बाधाएं थीं। परिवार की आर्थिक दशा की बाधा के साथ ही दूसरी मुश्किल भी थी। बेटी को क्रिकेटर बनाने का चरणजीत का सपना उनके शहर मानसा में पूरा होना मुश्किल था। वहां लड़कियों को किक्रेट सिखाने के लिए कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में उन्होंने अपना शहर छोड़ा और जालंधर शिफ्ट हो गईं। यहां बेटी की कोचिंग का खर्च निकालने के लिए वह फुटपाथ के किनारे रेहड़ी लगाकर खाना बेचती हैं।
जालंधर में खाने की रेहड़ी लगाती हैं मानसा की चरणजीत कौर
यहां बेटी का दाखिला हंसराज कन्या महाविद्यालय में करवाया। चरणजीत कौर अपने तीन बच्चों और पति नवजिंदर सिंह के साथ जालंधर में किराये के मकान में रह रही हैं। लाकडाउन के कुछ दिन पहले यहां पर रहने के लिए आई चरणजीत को लगा कि यहां गुजारा आसान नहीं है। इसलिए रोज घर से खाना बनाकर सर्किट हाउस के बाहर सड़क किनारे रेहड़ी लगानी शुरू कर दी। रोज घर से कढ़ी, चावल और राजमाह बनाकर लाने लगीं।
क्रिकेट की प्रैक्टिस के दाैरान गुरलीन कौर। (जागरण)
ट्रेनिंग के लिए हंसराज कन्या महाविद्यालय में करवाया बेटी का दाखिला
लोगों को खाना पसंद आया और परिवार का हाथ बंटाने में मदद मिली। चरणजीत कहती हैं, कोई भी काम बड़ा-छोटा नहीं होता। शहर में लोगों को काम के लिए बहुत भटकना पड़ता है। जब हाथ में हुनर हो तो काम करने में कैसी शर्म? चरणजीत रोज फुटपाथ के किनारे दोपहर 12 बजे टेबल लगाकर बैठती हैं। तीन बजे तक वह काम समेट कर घर लौट जाती हैं।
अपनी पढ़ाई के लिए भी किया संघर्ष
चरणजीत कहती हैं, संघर्ष की कीमत समझती हूं। मैंने उस दौर में पढ़ाई की जब लड़कियों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था, खासकर शादी के बाद। ग्रेजुएशन की पढ़ाई उन्होंने शादी के बाद ही पूरी की। उन्हेंं साहित्य पढऩेे का बहुत शौक था। वह आगे टीचिंग लाइन में जाना चाहती थीं, लेकिन किसी कारणवश यह पूरा नहीं हो पाया। अब अपने बच्चों के सपने पूरा करने के लिए पूरी मेहनत कर रही हूं। चरणजीत बेटी को बेहतरीन क्रिकेटर बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहीं। बेटी मैदान में पसीना बहाती है तो मां दिन में जी तोड़ मेहनत करती है, ताकि बेटी की डाइट और सुविधाओं में कोई कमी न आए।
यू ट्यूब से आया आइडिया
चरणजीत को खाने का बिजनेस शुरू करने का आइडिया मोहाली के खरड़ में सड़क किनारे रेहड़ी लगाने वाली हरप्रीत कौर से मिला। उनकी कहानी उन्होंने प्राइम टीवी और यूट्यूब पर देखी थी।
महिलाओं की सोच बदलना लक्ष्य
चरणजीत कहती हैं कि पढ़ी-लिखी महिलाएं कई बार अपने हुनर को व्यवसाय बनाने में हिचकती हैं। मुझे यही सोच बदलनी है। अगर कोई मां अपने बच्चे को आगे बढ़ाने के लिए काम करना चाहती है, लेकिन लोगों के बारे में सोच कर ऐसा नहीं करती, तो यह गलत है। उन्हेंं किसी की परवाह नहीं करनी चाहिए।
महिलाएं हिम्मत करें तो कोई नहीं हरा सकता: गुरलीन
चरणजीत की बेटी गुरलीन बीए फर्स्ट ईयर में पढ़ रही हैं। वह एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं, लेकिन अब क्रिकेट में करियर बनाना चाहती हैं। गुरलीन बाएं हाथ की तेज गेंदबाजी पर फोकस कर रही हैं। मां को पूरी उम्मीद है कि बेटी जल्द बड़ा मुकाम हासिल करेगी।
गुरलीन का कहना है कि वो किसी और की तरह नहीं बल्कि खुद के जैसी बनना चाहती हैं। पापा बॉलीवॉल के खिलाड़ी थे, उनको देख कर ही को देखकर ही शुरू से ही खेल में रुचि पैदा हुई। बेस्ट गेंदवाज और भारतीय टीम के लिए खेलने का सपना है। माता-पिता के सपने को पूरा करना है। दुनिया में कोई भी ताकत महिलाओं से बड़ी नहीं है। अगर वो हिम्मत करें तो उन्हेंं कोई नहीं हरा सकता है।
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