पंजाब में पराली जलाने के मामले में आई कमी, जागरूक हो रहे किसान Jalandhar News
पिछले साल दैनिक जागरण ने पीएयू और कृषि विभाग के साथ मिलकर सूबे के 17668 किसानों तक पहुंच की और उन्हें पराली न जलाने का प्रण दिलवाया था।
जालंधर, जेएनएन। धान की कटाई के साथ ही शुरू होने लगा है खेतों में पराली जलाने का सिलसिला। जिंदगी को खाक में मिलाने का सिलसिला। हालांकि पंजाब में पराली न जले, इसके लिए जहां सरकारी स्तर पर प्रयास हो रहे हैं वहीं किसान भी जागरूक हो रहे हैं। यह भी धरतीपुत्रों के दृढ़ निश्चय का ही परिणाम है कि पंजाब में पिछले वर्षों की अपेक्षा पराली जलाने के मामलों और रकबे में कमी आई है।
पंजाब के लोगों को इस बार भी यही उम्मीद है कि किसान इस परंपरा को कायम रखते हुए पंजाब के पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहयोग देंगे और पराली के धुएं से सांसों में घुलने वाले जहर को खत्म करने की दिशा में किए जा रहे प्रयास में भागीदार बनेंगे। सूबे की आबोहवा खराब न हो इसके लिए 'दैनिक जागरण' ने भी पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) और कृषि विभाग के सहयोग से पिछले साल किसानों को जागरूक किया था।
इस साल फिर से 'दैनिक जागरण' द्वारा पंजाब में किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए प्रेरित करेगा। पिछले साल चलाए गए अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए। साल 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में कम पराली जली और पराली प्रबंधन के लिए किसानों ने रिकॉर्ड मशीनरी की खरीद करके नए कीर्तिमान स्थापित किए। आज से हम एक बार फिर इस अभियान की शुरुआत कर रहे हैं और उम्मीद है कि दैनिक जागरण के साथ मिलकर किसान पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए इस महायज्ञ में आहुतियां डालेंगे।
..केवल किसान ही क्यों, शहरी इलाकों के लोग जो प्रदूषण से पीड़ित होते हैं, वे भी इस समस्या के निराकरण के लिए क्या कर सकते हैं, यह भी सोचना होगा। 'दैनिक जागरण' शहरी क्षेत्रों में रहने वालों का भी आह्वान करने जा रहा है कि वे केवल कराहें या कोसें ही नहीं, इस समस्या के हल में भागीदार बनने के लिए अपने स्तर पर कुछ करने की ठानें। किसान के किस तरह मददगार बन सकते हैं कि वे पराली जलाने की मजबूरी से उबरें। जब सभी साथ चलेंगे तो परिणाम आएंगे। पिछले साल से भी बेहतर।
पिछले साल 'दैनिक जागरण' ने पीएयू और कृषि विभाग के साथ मिलकर सूबे के 17,668 किसानों तक पहुंच की और उन्हें पराली न जलाने का प्रण दिलवाया। 58 सेमीनार, 34 वर्कशॉप, 18 पैनल डिसक्शन, 25 चौपाल, 15 रैलियों के साथ नुक्कड़ नाटकों से भी किसानों को जागरुक किया। परिणाम स्वरूप किसानों ने पिछले साल कृषि मशीनरी खासकर पराली प्रबंधन के लिए 13 हजार से ज्यादा मशीनों की खरीद की। इनमें 5357 हैप्पी सीडर, 922 पैडी स्ट्रा चौपर, 1438 नल्चर, 1165 जीरो डिल, 795 रोटावेटर, 102 रोटरी स्लैशर आदि शामिल हैं। उम्मीद है कि यह मशीनरी भी इस बार पराली जलाने के आंकड़ों में कमी लाने में सहायक होगी।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें