कोरोना के शोर में दब गया ब्रेन ट्यूमर से ग्रस्त बच्ची का रोना
गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को दर्द झेलना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना वायरस की दहशत के दौर में अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को भी दर्द झेलना पड़ रहा है। सरकारी अस्पताल केवल कोरोना वायरस के मरीजों को ही प्राथिमकता दे रहे हैं। गोराया के निकटवर्ती इलाके छोटा रुड़का निवासी मस्तराम की 12 साल की बेटी रिया पिछले बीस दिन से ब्रेन ट्यूमर के दर्द से तड़प रही है। मस्त राम मजदूरी करता है और कर्फ्यू के चलते बेटी का इलाज करवाने के लिए जालंधर में गोपाल नगर स्थित ससुराल आया हुआ है। बच्ची को निजी अस्पताल दिखाया तो उन्होंने भारी भरकम खर्च बताया।
इसके बाद उन्होंने पिंगलाघर में काम करने वाली एक दिव्यांग महिला राजू से संपर्क किया। उसने उन्हें सिविल अस्पताल भिजवाया। साथ ही मस्तराम की सहायता के लिए दैनिक जागरण से संपर्क साधा। दैनिक जागरण टीम ने सिविल अस्पताल के बच्चा वार्ड में दाखिल मरीज रिया के परिजनों से संपर्क किया। मस्तराम ने बताया कि उनके दो बेटे और एक बेटी है। बेटी रिया गांव के स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती है। बेटी को काफी समय से सिर दर्द की समस्या थी। पिछले बीस दिन से बेटी के सिर में भयंकर दर्द हो रहा था। बेटी का दर्द देखकर ही वह गोराया से जालंधर ससुराल आए। बेटी रिया की मां सुनीता ने बताया कि वे आर्थिक रूप से भी काफी कमजोर हैं। इस संबंध में सिविल अस्पताल के बाल रोग माहिर डॉ. वजिदर सिंह ने बताया कि लड़की की हालत गंभीर है। उन्होंने कहा कि मरीज का आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना में कार्ड बनवा दिया है ताकि भविष्य में इलाज की राह में कमजोर आर्थिक स्थिति आड़े ना आए। मरीज की हालत देख उसे पीजीआइ चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया। उन्हें चंडीगढ़ तक मुफ्त एंबुलेंस भी मुहैया करवा दी गई। मस्तराम ने बताया कि वह चंडीगढ़ पहुंचे तो पीजीआइ वालों ने कर्फ्यू के कारण ऑपरेशन बंद होने और उन्हें 15 अप्रैल के बाद आने का कहकर लौटा दिया गया। उन्हें जेब से पांच हजार रुपये खर्च करके एंबुलेंस करके लौटना पड़ा। उन्होंने अब आयुष्मान भारत सेहत बीमा योजना के तहत निजी अस्पताल से इलाज करवाने की बात कही।