निगम के मुलाजिमों को आज जारी हो जाएगा वेतन, 13 करोड़ जारी
नगर निगम के मुलाजिमों को संभवत: बुधवार को वेतन जारी हो जाएगा। इसको लेकर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू से मिलने चंडीगढ़ पहुंचे मेयर जगदीश राज राजा ने यह जानकारी दी।
जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम के मुलाजिमों को संभवत: बुधवार को वेतन जारी हो जाएगा। इसको लेकर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू से मिलने चंडीगढ़ पहुंचे मेयर जगदीश राज राजा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम होने के चलते सिद्धू से मंगलवार को उनकी मुलाकात नहीं हो सकी है, पर निगम के मुलाजिमों की बात उनतक पहुंचाई गई। स्थानीय निकाय मंत्री ने नगर निगम के मुलाजिमों के वेतन के लिए 13 करोड़ एक लाख, 58 हजार 21 रुपये का फंड जारी करने के निर्देश दिए हैं।
मेयर ने बताया कि बुधवार को सभी मुलाजिमों को वेतन मिल जाएगा। हर महीने सात से दस तारीख तक मुलाजिमों को वेतन जारी होने की मांग के संबंध में मेयर ने कहा कि अभी इस पर कोई बात नहीं हो सकी है। साथ ही उन्होंने कहा कि मुलाजिमों को समय पर वेतन मिलना चाहिए। यह उनका हक है। फिलहाल जून के वेतन की समस्या हल हुई है। जुलाई के वेतन पर भी समय रहते सरकार से मांग की जाएगी। गौरतलब है कि मंगलवार को चंडीगढ़ में कॉलोनियों के लिए पॉलिसी बनाने के मामले में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक थी। इसमें स्थानीय निकाय मंत्री और वित्त मंत्री मनप्रीत बादल भी सदस्य हैं। इसके चलते ही दोनों मंत्रियों की मेयर से मुलाकात नहीं हो सकी।
मुलाजिमों को बहाल करने पर नहीं हुई बात
निलंबित मुलाजिमों को बहाल करने की मांग के विषय में मेयर ने कहा कि स्थानीय निकाय मंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी।
समय पर जीएसटी नहीं मिलने से होती है दिक्कत
हर महीने नगर निगम को 13 से 14 करोड़ रुपये के करीब बतौर जीएसटी किश्त मिलती है। प्रदेश सरकार की ओर से निगम को जीएसटी किश्त मिलने तक हर महीने 22 से 25 तारीख तक हो जाती है। ऐसे में मुलाजिमों को हर महीने 20 तारीख के बाद ही वेतन मिल पाता है। हड़ताल पर बैठे मुलाजिमों का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद से यह लगातार हो रहा है। इससे बहुत से मुलाजिम बैंकों के डिफाल्टर हो गए हैं। किसी ने बैंक से हाउ¨सग लोन लिया है तो किसी ने कार लोन। किसी ने पर्सनल लोन लिया है तो किसी ने कंज्यूमर अथवा कोई अन्य तरह का लोन। बैंक की लोन किश्त देने की निश्चित तारीख होती है, पर वेतन आने तक लोन की किश्त अदा करने की तारीख गुजर चुकी होती है। ऐसे में मुलाजिमों को लोन किश्त के ब्याज पर ब्याज भरना पड़ रहा है।