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घरों के बाहर लगेंगी E-Name Plate, क्यूआर कोड से होगी बिल पेमेंट

ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) लागू करने के लिए नगर निगम शहर में ई-नेम प्लेट्स लगा सकता है जिसमें प्रॉपर्टी संबंधी जरूरी डाटा फीड रहेगा। यह डाटा जीआइएस सर्वे के तहत लिंक होगा।

By Edited By: Published: Sat, 04 May 2019 01:06 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 09:00 AM (IST)
घरों के बाहर लगेंगी E-Name Plate,  क्यूआर कोड से होगी बिल पेमेंट
घरों के बाहर लगेंगी E-Name Plate, क्यूआर कोड से होगी बिल पेमेंट

जेएनएन, जालंधर। ग्लोबल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) लागू करने के लिए नगर निगम शहर में ई-नेम प्लेट्स लगा सकता है, जिसमें प्रॉपर्टी संबंधी जरूरी डाटा फीड रहेगा। यह डाटा जीआइएस सर्वे के तहत लिंक होगा। निगम समय-समय पर डाटा अपडेट करता रहेगा। खास बात है कि इस नेम प्लेट पर क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड भी होगा, जिसमें प्रॉपर्टी टैक्स, पानी-सीवर के बिल समेत सभी विभागों से जुड़ी रिकवरी स्टोर रहेंगी। निगम पानी के बिल ऑनलाइन अपडेट करेगा तो यह हरेक यूनीक आइडी के अकाउंट में दिखेगा। अपने स्मार्टफोन से क्यूआर कोड स्कैन कर बिल का भुगतान भी किया जा सकेगा। इससे निगम की रिकवरी बढ़ेगी और पारदर्शिता भी आएगी।

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जीआइएस सर्वे के तहत हर घर के लिए जारी की गई यूनीक आइडी पहले घरों के बाहर पेंट से लिखने की योजना थी। इसका टेंडर भी लग गया था, लेकिन अब प्लान बदलकर फिर से ई-नेम प्लेट्स पर आ गया है। लोकल बॉडी डिपार्टमेंट ने पेंट से यूनीक आइडी लिखने की मंजूरी नहीं दी है। जीआइएस सर्वे करने वाली कंपनी 'दाराशॉ' के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को मेयर जगदीश राजा को ई-नेम प्लेट्स के सैंपल दिखाए। उन्होंने बताया कि ई-नेम प्लेट्स साउथ इंडिया के कई शहरों में लगाई गई हैं, जिनके अच्छे नतीजे सामने आए हैं। मेयर जगदीश राजा ने भी इस पर अमल करने की बात कही है।

शहर में आएगा 5 करोड़ का खर्च

निगम के सर्वे में शहर में खाली प्लाटों को मिलाकर 2.82 लाख यूनिट्स हैं। निगम ने इन सभी यूनिट्स को यूनीक आइडी जारी की है। अब यहां लगाई जाने वाली ई-नेम प्लेट एलुमीनियम की हो सकती। एक प्लेट पर कम से कम 150 रुपये के खर्च के हिसाब से करीब 5 करोड़ रुपये तक का खर्च आ सकता है।

सिर्फ निगम स्कैन कर सकेगा क्यूआर कोड

जीआइएस सर्वे के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एक्सईएन जोगिंदर सिंह और दाराशॉ कंपनी के सीनियर अफसर मृणाल ने कहा कि क्यूआर कोड पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। पहले फेस में सिर्फ नगर निगम के अधिकृत मुलाजिम ही कोड ओपन कर सकेंगे। हालांकि निगम हर प्रॉपर्टी के मालिक को क्यूआर कोड खोलने के लिमिटेड राइट्स दे सकता है, जिसमें बिल देखने और पेमेंट करने की सुविधा होगी।

ई-नेम प्लेट्स के फायदे

  • सभी घरों का डाटा निगम से ऑनलाइन जुड़ा रहेगा।
  • प्रॉपर्टी टैक्स, पानी के बिल का डाटा स्टोर रहेगा।
  • क्यूआर कोड के जरिए डाटा आसानी से देखा जा सकेगा।
  • निगम को ऑनलाइन पेमेंट हो सकेगी।
  • निगम के जिस बैंक खाते से ई-नेम प्लेट्स कनेक्ट होंगी, उसमें बिल, टैक्स ट्रांसफर कर सकेंगे।
  • क्यूआर कोड स्कैन करके किसी को लोकेशन भेजेंगे तो वह जीपीएस सिस्टम से घर तक पहुंच सकेगा।

पार्षदों की ली जाएगी राय : मेयर

कंपनी के दावों के बावजूद क्यूआर कोड के सुरक्षित होने पर स्थिति साफ नहीं है। शहर के 2.82 लाख, घरों, दुकानों का डाटा भी किस के हाथ में रहेगा यह भी सवाल है। कोड की सुरक्षा को लेकर अभी अफसर भी आश्वस्त नहीं हैं। एसई अश्विनी चौधरी ने कंपनी से कहा है कि क्यूआर कोड की सुरक्षा पर लिखित जानकारी दें। मेयर राजा ने कहा कि रिकवरी तेज करने के लिए इस सिस्टम को अपनाया जाना है। हालांकि प्रोजेक्ट पर खर्च कौन करेगा, यह अभी तय नहीं है। प्रोजेक्ट को निगम हाउस में लाएंगे। इसे पास करना या न करना पार्षदों के हाथ में है।  

जीआइएस सर्वे लागू करने में देरी से नुकसान

दाराशॉ कंपनी ने जमीनी सर्वे और मैपिंग की है। हैदराबाद से मंगवाई सेटेलाइट इमेज और सर्वे की जमीनी रिपोर्ट को मैच किया है। जमीनी फोटोग्राफी (टोपोग्राफी) और सेटेलाइट इमेज जोड़कर डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया है। इसे लागू करने में देरी हो रही है। सर्वे किए करीब पौने दो साल हो गए हैं। अगर इसे निगम मुलाजिम अपने तौर पर लागू कर देंगे तो सर्वे का फायदा मिल जाएगा।

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