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Corona Fighters: नवजात जुड़वा बच्‍चाें का 10 दिन तक नहीं किया दीदार, निभाते रहे फर्ज

कोरोना से जंग में कर्मी जज्‍बे से कार्य कर रहे हैं। एक कोराेना योद्धा अफसर की पत्‍नी ने जुड़वां बच्‍चों को जन्‍म दिया लेकिन पति अपना फर्ज निभाते रहे व बच्‍चों काे10 दिन बाद देखा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 09 Apr 2020 01:45 PM (IST)Updated: Thu, 09 Apr 2020 06:54 PM (IST)
Corona Fighters: नवजात जुड़वा बच्‍चाें का 10 दिन तक नहीं किया दीदार, निभाते रहे फर्ज
Corona Fighters: नवजात जुड़वा बच्‍चाें का 10 दिन तक नहीं किया दीदार, निभाते रहे फर्ज

जालंधर, [मनीष शर्मा]। Corona Fighters कोरोना वायरस COVID-19 पर लगाम लगाने में जुटे अधिकारी दिन-रात एक कर रहे हैं और अपनी पारिवारिक जिंदगी की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। ये कोरोना योद्धा (Corona warrior) अपनी खुशियों का त्याग कर फर्ज निभाने में जुटे रहते हैं। इन कोरोना याेद्धाओं में शामिल हैं 2016 बैच के आइएएस अधिकारी अमित कुमार पंचाल।

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नकोदर में कर्फ्यू और सरकारी आदेशों को लागू करवाने के लिए वह पुलिस टीम के साथ फ्लैग मार्च कर रहे थे तो उसी समय इसी शहर में उनकी पत्‍नी का सिजेरियन आपरेशन चल रहा था। उनकी पत्‍नी ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। यह डिलीवरी प्री-मेच्योर थी और उसके बाद दोनों नवजन्मे बच्चों को एक हफ्ते तक अस्पताल की नर्सरी में भर्ती किया गया। अमित फर्ज निभाते रहे और 10 दिन बाद अपने जुड़वां बच्‍चों का दीदार किया।

पत्नी का हो रहा था सिजेरियन, 2016 बैच के आइएएस अमित कुमार नकोदर में कर थे फ्लैग मार्च

पंजाब में 23 मार्च को कर्फ्यू लागू किया गया था और 25 मार्च को एसडीएम अमित की पत्‍नी का सिजेरियन हुआ। क्योंकि वह लगातार ड्यूटी के लिए फील्ड में जा जा रहे थे और लोगों से मिल रहे थे इसलिए कोरोना संक्रमण से बचाव को मुख्य रखते हुए न तो 10 दिन तक पत्नी से मिले और न ही नवजन्मे बच्चों का दीदार किया। अब भी वह सुबह पांच बजे से रात को करीब दो बजे तक लगातार अपने क्षेत्र में व्यस्त रहते हैं।

पूरा देश हमारा परिवार, हम किसी का भरोसा नहीं तोड़ सकते

एसडीएम अमित कुमार कहते हैं कि पूरा देश हमारा परिवार ही है। कोरोना के खिलाफ जंग जारी है। लोग घरों में बैठकर प्रशासन पर भरोसा जता रहे हैैं तो हम भी उनका भरोसा किसी कीमत पर तोड़ नहीं सकते। निजी जिंदगी के बारे में उन्होंने कहा कि यह सब भगवान की मर्जी है। अब भी बच्चों को छूता नहीं हूं, बस स्नान करने के बाद दूर से निहार लेता हूं। पहले कोरोना से जंग जीतेंगे और फिर बच्चों को समय देंगे।

उन्‍होंने कहा कि तसल्ली इस बात की है कि अभी तक नकोदर में कोई भी कोरोना पीडि़त नहीं है। कोशिश यही रहेगी कि नकोदर इससे अछूता ही रहे। अब लोगों से सीधा मिलना-जुलना तो नहीं होता लेकिन हर रोज बड़ी संख्या में फोन कॉल सुननी पड़ती हैं। कुछ सरकार की हिदायतों को लेकर तो बाकी लोगों की जरूरत को लेकर।

राशन देने और लेने के लिए चलाया नेकी का रथ

कर्फ्यू में दानी लोगों से मदद लेने और उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने अनोखी पहल करते हुए नेकी का रथ चलाया है। छोटे हाथी पर बना यह रथ पूरे नकोदर में घूमता है। जिस किसी को सूखे राशन की मदद देनी हो, वो इसमें डाल देता है और जिसे राशन की जरूरत हो वह रथ रुकवाकर राशन ले लेता है। मुश्किल घड़ी में मदद करने वालों से जुड़ाव रहे, इसलिए राशन देने वालों के नंबर ले लिए जाते हैैं। इसके बाद शाम को उन्हें फोन करके प्रशासन की तरफ से मदद के लिए धन्यवाद का मैसेज भी भेजा जाता है।

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