हमारे योद्धाः लोगों की आशंकाएं दूर कर कोरोना से जीतने के टिप्स दे रहे जगजीत
जगजीत बताते हैं कि वे सुबह करीब साढ़े पांच बजे उठते हैं और रात को एक-दो बजे तक फील्ड में रहते हैं। काम के दौरान लंच और डिनर का रुटीन गड़बड़ हो गया है।
जालंधर [मनीष कुमार]। हल्की खांसी और जुकाम वाले मरीजों को भी कोरोना वायरस का डर सता रहा है। विभाग की ओर से लोगों को डर के चक्रव्यूह से निकालने के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन की ओर से क्वारंटाइन किए लोगों के घर जाकर उनका हाल जानने के अलावा उन्हें जागरूकता का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मी जगजीत सिंह इस टीम का अहम हिस्सा हैं। जगजीत कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही खतरे का अहसास किए बिना ही मौके पर पहुंच जाते हैं और भरपूर मदद करते हैं।
वह कहते हैं कि भले ही ऐसे लोग मरीजों की श्रेणी में नहीं हैं, लेकिन उनकी हालत मरीजों से भी ज्यादा खराब होती है। उनमें कोरोना के लक्षण कब सामने आ जाए, पता नही हैं। इसके अलावा अस्पताल में स्क्रीनिंग करवाने के लिए आने वाले लोगों से मिलकर उनकी काउंसिलिंग भी की जाती है। इन सब कामों के बीच वे तीन सप्ताह से अपने घरों को नहीं जा सके हैं, घरवालों से फोन पर ही बात हो पाती है। ऐसे में परिवार भी उनका हौसला बढ़ा रहा है। इससे उन्हें एक अलग ऊर्जा भी मिल रही है।
जगजीत बताते हैं कि वे सुबह करीब साढ़े पांच बजे उठते हैं और रात को एक-दो बजे तक फील्ड में रहते हैं। सुबह वाहेगुरु का नाम लेने के लिए चंद मिनट का समय जरूर निकालते हैं। सुबह नाश्ता जल्दबाजी में कर लेते है और दोपहर के खाने का कोई समय नही रहा। रात का खाने का समय भी बिगड़ चुका है।
बीमार हैं पिता, फिर भी ड्यूटी पर डटी हैं एसआई मंजू
कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार पुरजोर कोशिशें कर रही है। हर कोई इस बीमारी से बचने के लिए अपने-अपने तरीके से लड़ाई में जुटा हैं। पुलिस विभाग की सब इंस्पेक्टर मंजू बाला इन दिनों पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी पर डटी हैं। कर्फ्यू के दौरान सड़क पर बेवजह आ रहे भी जो लोगों को वे सख्ती से घर भेज रही हैं।
मंजू बाला फाजिल्का में अपने बीमार पिता को छोड़कर शहर वासियों की सुरक्षा में लगी हुई हैं। वह शहरवासियों के प्रति अपना कर्तव्य समझकर सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक ड्यूटी दे रही हैं। कोई इमरजेंसी आ जाए तो इन्हें वहां पर भी जाना पड़ता है। जो लोग समाज सेवा में जुटे हुए हैं और जरूरतमंदों तक राशन और जरूरी चीजें पहुंचा रहे हैं, उन्हें पूछताछ के जाने दिया जाता है।
मंजू कहती हैं कि कुछ लोग इनसे बहस करने लग जाते हैं तो उन्हें सख्ती से घर भेजा जाता है। उन्हें समझाया जाता है कि जान है तो यह संसार है। जो लोग अभी यह सोच रहे हैं कि हमारा नुकसान हो रहा है, अगर जान बची रही तो सब नुकसान धीरे-धीरे पूरे हो जाएंगे। इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप हमारा सहयोग करें और घर से बाहर न निकलें।
शहर की सफाई का ध्यान रख रहे टिप्पर चालक मनीष
जालंधर : ऐसे समय में जब कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लोग घरों में कैद हो रहे हैं, तब भी निगम के वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े लोग अपने काम पर डटे हुए हैं। कूड़े के टिप्पर की जिम्मेदारी संभालने वाले ड्राइवर रिषी नगर के रहने वाले मनीष कुमार शहर को साफ रखने में योगदान दे रहे हैं। मनीष कुमार का कहना है कि इस समय पूरा देश संकट का सामना कर रहा है। यह समय पीछे हटने का नहीं, बल्कि लोगों को राहत देने के लिए काम पर डटने का है। मनीष ने नगर निगम प्रशासन से अपील की है कि सभी मुलाजिमों को सेफ्टी किट दी जाएं। इस जंग को जीतना है, लेकिन निगम को अपने सैनिकों को पूरे हथियार भी देने होंगे।
कठिन हालात में भी लोगों की मदद को तैयार शंकर दास
कोरोना वायरस से दहशत में आए लोग घरों में दुबक चुके हैं। थोक विक्रेता हो या रिटेलर, हर कोई अपने व परिवार के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है। इस विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए कोई भी घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। इस बीच मकसूदां सब्जी मंडी में सब्जी की सप्लाई व बिक्री करने वाले शंकर दास आज भी लोगों को सेवा करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। भले ही किसी ने मुलाजिमों के लिए लंगर तैयार करना हो या फिर घर में कोई बीमार आदमी हो, शंकर दास एक फोन पर सब्जी उपलब्ध करवाने को तैयार रहते हैं। शंकर दास बताते हैं कि उनका एक ही उद्देश्य है, सब्जी की कमी से किसी भी घर के लोग भूखे न रहें। इसलिए वे दिन-रात सेवाएं देने को तैयार हैं।
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