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शहर में पानी के 42 सैंपल फेल, बीमारियों का मंडराया खतरा

बरसात के मौसम में ऐसे सूरतेहाल में लोगों के कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होने की आशका बनी रहती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 03:34 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 03:34 PM (IST)
शहर में पानी के 42 सैंपल फेल, बीमारियों का मंडराया खतरा
शहर में पानी के 42 सैंपल फेल, बीमारियों का मंडराया खतरा

जागरण संवाददाता, जालंधर : शहर में भी होशियारपुर जैसे हालात बनने का खतरा मंडरा रहा है। सफाई व्यवस्था पहले से ही ठप है। सड़कों के किनारे लगे कचरे के ढेर बदबू फैला रहे हैं। बरसात के मौसम में ऐसे सूरतेहाल में लोगों के कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होने की आशका बनी रहती है। उसपर अब शहर के कई इलाकों में दूषित जल सप्लाई होने की बात सामने आने के बाद परेशानी और बढ़ गई है। हालाकि, शहर के लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनने वाले हालात से भलीभाति परिचित होने के बावजूद निगम प्रशासन बेपरवाह बना हुआ है।

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शहर के कई इलाकों में निगम की लापरवाही के चलते लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। हंस राज स्टेडियम के पास स्थित नगर निगम की वाटर टेस्टिंग लैब में जनवरी महीने से लेकर 25जुलाई तक शहर के विभिन्न इलाकों से लिए गए पानी के 281 सैंपलों में से 42 सैंपलों की रिपोर्ट फेल आई है। बताया जा रहा है कि शहर के गोपाल नगर, करार खा मोहल्ला, गुरुनानक पुरा, लम्मा पिंड, गोबिंद गढ़ मोहल्ला, आबादपुरा, भार्गव कैंप, बूटा मंडी के कुछ इलाकों, अशोक विहार और अवतार नगर के कुछ इलाकों से निगम की टीम द्वारा इलाके में दूषित पानी सप्लाई होने की शिकायतों पर सैंपलों लिए गए थे। बूटा मंडी इलाके में पहले ही हड्डा रोड़ी से आने वाली बदबू ने लोगों की जीना निकाल कर रखा है। उस पर दूषित पानी सप्लाई से इलाके के लोगों के बीमार होने की आशका बढ़ गई है। इस पर परेशानी वाली बात यह है कि पानी के सैंपल फेल होने के बावजूद निगम प्रशासन फिलहाल इन इलाकों में की जा रही पानी सप्लाई को दुरुस्त नहीं कर पाया है। निगम के सूत्रों के मुताबिक निगम की टीम को अब तक गोपाल नगर में पीली कोठी के पास स्थित एक हलवाई की दुकान के पास ही लीकेज होने के कारण पानी दूषित होने का पता चल सका है। अन्य कहीं भी दूषित सप्लाई के कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है।

वहीं, इस पूरे मामले की जानकारी देने वाले निगम ते सूत्र ने बताया कि निगम की वाटर टेस्टिंग लैब भी बहुत बुरे हाल में है। बताया जा रहा है कि करीब एक साल पहले लैब की हालत सुधारने के लिए एक कमरा बनवाने और पानी टेस्ट करने के लिए नई मशीन खरीदने को पाच लाख रुपये का बजट मंजूर हुआ था। पर अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हो सका है।


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