जालंधर में कच्चे तेल की सस्ती कीमतों में आसमान छू रहा पेट्रोल, उपभोक्ता ही नहीं पेट्रोलियम डीलर भी परेशान
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के साथ जोड़कर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने का फॉर्मेट बनाने वाली तेल कंपनियां अब उलटी गंगा बहाती नजर आ रही है। देश में मात्र उपभोक्ता ही नहीं बल्कि पेट्रोलियम डीलर भी पेट्रोल डीजल की कीमतों से परेशान हैं।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के साथ जोड़कर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने का फॉर्मेट बनाने वाली तेल कंपनियां अब उलटी गंगा बहाती नजर आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें न्यूनतम छूने को तैयार हैं, लेकिन देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत आसमान छूती दिखाई दे रही है। हालात यह है कि देश में मात्र उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि पेट्रोलियम डीलर भी पेट्रोल डीजल की बढ़ती हुई कीमतों से परेशान नजर आ रहे हैं। तेल कंपनियों की तरफ से डेली प्राइजिंग फॉर्मेट के तहत रोजाना पेट्रोल डीजल की कीमत तय की जा रही है लेकिन इसका कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत के साथ कोई संपर्क ही नजर नहीं आ रहा है।
अपना मुनाफा बढ़ाने की कवायद में तेल कंपनियां कुछ इस तरह से तेल के रेट बढ़ा रही हैं कि किसी को भी यह गणना समझ ही नहीं आ रही है। मई 2014 में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगभग 105 डॉलर प्रति बैरल थी तब देश में पेट्रोल की कीमत 71 रुपए तथा डीजल की कीमत 56 रुपए प्रति लीटर के आसपास थी। अब हालात यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगभग 47 डॉलर प्रति बैरल है और पेट्रोल की कीमत तेजी के साथ 90 रुपए प्रति लीटर की तरफ बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसा ही कुछ हाल डीजल का भी है, जिसकी प्रति लीटर कीमत 80 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी है। जालंधर में बुधवार को पेट्रोल की कीमत 85.04 तथा डीजल की कीमत 75.76 रुपये प्रति लीटर थी।
इस बारे में पैट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन, पंजाब के अध्यक्ष परमजीत सिंह दोआबा एवं जनरल सेक्टरी डॉ मंजीत सिंह ने कहा कि देश की जनता के ऊपर भारी आर्थिक भार मात्र तेल कंपनियां अपने मुनाफे के लिए डाल रही हैं और सरकार चुप्पी साध कर बैठी हुई है। उन्होंने कहा कि तेल की बढ़ती हुई कीमतों से पेट्रोलियम डीलर भी परेशान है, क्योंकि व्यवसाय में इन्वेस्टमेंट बढ़ रही है, लेकिन पेट्रोलियम डीलर को कोई मुनाफा नहीं हो रहा है। तेल महंगा हो जाने से तेल की बिक्री कम हुई है। पेट्रोलियम डीलर्स को तो मात्रा के ऊपर प्रॉफिट मिलता है। जब बिक्री ही कम हो गई तो मुनाफा भी कम हो गया। इसके अलावा महंगा पेट्रोल डीजल खरीदने के लिए पेट्रोलियम डीलर्स को एडवांस में तेल कंपनियों को पैसा देना पड़ता है। राज्य सरकारें अपना खजाना भरने के लिए तेल की बिक्री पर भारी-भरकम वैट लगा रही है। इसी वजह से पंजाब जैसे राज्य का पेट्रोलियम व्यवसाय पड़ोसी हरियाणा एवं चंडीगढ़ को शिफ्ट हो गया है।
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