पावरकॉम चीफ इंजीनियर के खाते से काटे 11 हजार, अब देने होंगे 60 हजार
पावरकॉम के सेवामुक्त चीफ इंजीनियर के खाते से लगभग 11 हजार रुपये काटने बैंक व बजाज फिनजर्व को महंगे पड़ गए।
जागरण संवाददाता, जालंधर : पावरकॉम के सेवामुक्त चीफ इंजीनियर के खाते से लगभग 11 हजार रुपये काटने बैंक व बजाज फिनजर्व को महंगे पड़ गए। अब उन्हें यह राशि 12 फीसद ब्याज समेत लौटाने के साथ हर्जाने व केस खर्च के तौर पर 60 हजार रुपये भी देने होंगे। जिला कंज्यूमर फोरम ने इंजीनियर गोपाल शर्मा की शिकायत पर यह आदेश दिए हैं।
जीटी स्कूल के नजदीक ग्रेटर कैलाश निवासी पावरकॉम के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर (इंफोर्समेंट) गोपाल शर्मा ने कंज्यूमर फोरम को दी शिकायत में बताया कि उनका स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शास्त्री नगर ब्रांच में बचत खाता है। वह बजाज फिनजर्व कंपनी के उपभोक्ता भी हैं। पांच मई 2018 को बैंक ने उनके खाते से बजाज फिनजर्व कंपनी के हक में 10,999 रुपये अदा कर दिए। जब उन्होंने बैंक से पूछा तो कहा गया कि उन्होंने बजाज कंपनी से 32,997 रुपये का लोन लिया है। शर्मा ने कहा कि उन्होंने न तो कोई लोन लिया और न ही कोई ऐसा सामान बजाज के जरिए खरीदा। उन्होंने ऐसे किसी फार्म पर भी हस्ताक्षर नहीं किए, जिसमें बैंक को यह अधिकार दिया हो कि वह बजाज के हक में पैसों की अदायगी करे। उन्होंने इसके खिलाफ पत्र, ई-मेल, लीगल नोटिस और पुलिस में शिकायत तक की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके खिलाफ वह जिला कंज्यूमर फोरम पहुंचे।
फोरम ने बैंक व कंपनी को नोटिस भेजा। जिसके जवाब में बजाज कंपनी ने कहा कि रिकॉर्ड के मुताबिक मार्च 2018 में शिकायतकर्ता ने बजाज ईएमआइ कार्ड के जरिए 32,997 रुपये की ऑनलाइन अदायगी की थी। यह लोन की राशि जारी करने से पहले उनके कंपनी के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस के जरिए वन टाइम पासवर्ड यानि ओटीपी भेजा गया था। बजाज ने दावा किया कि यह ओटीपी शिकायतकर्ता ने किसी तीसरे व्यक्ति को बता दिया और उस वजह से कंपनी ने लोन पास कर दिया। ऐसे में उन्हें इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि ओटीपी के साथ यह भी लिखा गया था कि इसे किसी के साथ शेयर न करें। शिकायतकर्ता ने किसी अज्ञात फोन करने वाले को यह ओटीपी बता दिया, जिस वजह से उनके खिलाफ शिकायत को स्वीकार नहीं किया जा सकता। बैंक ने जवाब में कहा कि बजाज कंपनी के साथ हुए तालमेल की वजह से उन्होंने शिकायतकर्ता के बैंक खाते से यह पैसा जारी किया। उनको बेवजह इस केस में खींचा गया है। यह मुद्दा कंपनी व शिकायतकर्ता के बीच का है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद फोरम ने टिप्पणी दी कि शिकायतकर्ता ने कंपनी व बैंक को कई ई-मेल भेजे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। जिससे जाहिर होता है कि मामले में कुछ लापरवाही या गड़बड़ी है। अगर शिकायतकर्ता ने उन्हें इलेक्ट्रोनिक क्लीयरेंस सर्विस (ईसीएस) का फार्म साइन कर दिया था कि बैंक बजाज कंपनी को पैसे ट्रांसफर कर सकता है तो फिर ई-मेल के जवाब क्यों नहीं दिए गए?। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी ने शिकायतकर्ता के पहले लिए लोन के बदले दिए ईसीएस मंजूरी को ही इसमें इस्तेमाल किया। अगर ऐसा नहीं है तो कंपनी व बैंक शिकायतकर्ता को जवाब दे सकते थे कि उनके द्वारा ईसीएस फार्म के जरिए दी मंजूरी की वजह से ही पैसे बैंक से कंपनी को ट्रांसफर किए गए।
फोरम के प्रेजिडेंट करनैल सिंह व मेंबर ज्योत्सना ने बजाज फिनजर्व कंपनी को आदेश दिए कि वो शिकायतकर्ता को शिकायत देने की तिथि यानि पांच मई 2018 से लेकर अदायगी तक 12 फीसद ब्याज के साथ लोन की किश्त के तौर पर खाते से काटे 10,999 रुपये लौटाए। साथ ही मानसिक परेशानी के तौर पर 50 हजार और 10 हजार रुपये केस खर्च देने को कहा। यह 60 हजार रुपये बजाज व बैंक आधे-आधे शिकायतकर्ता को देंगे।