Move to Jagran APP

वारंटी पीरियड में भी नहीं बदला मोबाइल, हर्जाने के आदेश

वारंटी पीरियड में ही मोबाइल में खराबी आने पर उसे बदला या पैसा वापस नहीं किया गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 08:45 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 06:10 AM (IST)
वारंटी पीरियड में भी नहीं बदला मोबाइल, हर्जाने के आदेश
वारंटी पीरियड में भी नहीं बदला मोबाइल, हर्जाने के आदेश

जागरण संवाददाता, जालंधर : वारंटी पीरियड में ही मोबाइल में खराबी आने पर उसे बदला या पैसा वापस नहीं किया गया। इस पर उपभोक्ता ने मोबाइल कंपनी, उसके दो अधिकारियों, बेचने व रिपेयर करने वाले सर्विस सेंटर के खिलाफ जिला उपभोक्ता अदालत को शिकायत कर दी। अदालत ने सुनवाई के बाद मोबाइल में मैन्युफेक्चरिग डिफेक्ट की बात मानते हुए मोबाइल को बदलने के आदेश दिए। साथ ही हर्जाने व केस खर्च के तौर पर भी 32 हजार रुपये देने को कहा।

loksabha election banner

राजेंद्र सिंह निवासी परहार हाउस, 120 फुट रोड, दशमेश नगर मिट्ठापुर ने अदालत को शिकायत देकर बताया कि 16 सितंबर 2016 को रूद्रम एजेंसीज प्राइवेट लिमिटेड से 56,900 रुपये में सैमसंग एस सिक्स एज प्लस मोबाइल खरीदा था। जिसकी एक साल की वारंटी थी। इसे खरीदने के बाद वो खराब चलता रहा और जिससे उनका कारोबार भी प्रभावित हुआ। वह अपने रिश्तेदारों से भी संपर्क नहीं कर सके। इसके बाद वो मोबाइल को रिप्लेस करने या ठीक करने के लिए कई बार गए लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह मोबाइल शिकायत के वक्त भी फुटबॉल चौक के पास न्यू रे इंटरप्राइजेज में पड़ा हुआ है। वह कई बार यहां गए और हर बार मरम्मत के लिए उन्हें अलग जॉब शीट दी गई। उन्होंने कहा कि मोबाइल बेचते वक्त भरोसा दिया गया था कि वारंटी पीरियड में कोई खराबी पाए जाने पर उसे बदल दिया जाएगा या पैसे लौटा दिए जाएंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस बारे में नोटिस भेजने के बावजूद रूद्रम एजेंसीज व न्यू रे इंटरप्राइजेज सुनवाई में शामिल नहीं हुए। मामले में तीन अन्य पार्टी बनाए सैमसंग कंपनी व उनके दो अधिकारियों ने संयुक्त जवाब देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के गलत रख रखाव के कारण मोबाइल की डिस्प्ले में दिक्कत आई है। तीन बार उसे ठीक करके दिया गया। आखिरी बार जब फोन पूरी तरह डेड कंडीशन में आया तो न्यू रे इंटरप्राइजेज ने उसका पीबीए बोर्ड बदला। वारंटी पीरियड में फोन को फ्री में ठीक कर दिया गया। अब भी शिकायतकर्ता का फोन ठीक हो चुका है लेकिन वो उसे लेने के लिए नहीं जा रहे हैं।

मोबाइल बेचने व रिपेयर करने वाली दोनों पार्टियों को सुनवाई में न आने पर एक्स पार्टी करार देते हुए अदालत ने टिप्पणी की कि अगर शिकायतकर्ता का फोन ठीक हो गया है तो इसके बारे में उन्हें कोई नोटिस क्यों नहीं भेजा गया?। यहां तक कि फोन करके भी सूचना नहीं दी गई। इससे साफ है कि फोन रिपेयर होने की स्थिति में नहीं है। जिसका मतलब उसमें मैन्युफैक्चरिग डिफेक्ट है। एक साल के भीतर मोबाइल को चार बार सर्विस सेंटर लाने की जरूरत से स्पष्ट है कि उसमें पहले से ही खराबी थी। कंपनी के मोबाइल को ठीक से न रखने के आरोप को भी अदालत ने यह कहकर दरकिनार कर दिया कि अगर ऐसा था तो उन्हें अपने इंजीनियर या मैकेनिक से उसकी जांच करवानी चाहिए थी। इसका कोई दस्तावेज भी अदालत में पेश नहीं किया गया। फोरम के प्रेजिडेंट करनैल सिंह व मेंबर ज्योत्सना ने फैसला दिया कि एक महीने के भीतर मोबाइल को उसी मॉडल से बदला जाए। इसके अलावा मानसिक परेशानी के एवज में हर्जाने के तौर 25 हजार और केस खर्च के भी सात हजार रुपये दिए जाएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.