बिना नोटिस अतिरिक्त बिल चार्जेस वसूली पर फोरम ने लगाई रोक
फोरम ने टिप्पणी की कि बिल भेजने से पहले शिकायतकर्ता को इस संबंध में कोई नोटिस नहीं दिया गया जो नियमों के खिलाफ है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : बिना नोटिस उपभोक्ता से वसूले जा रहे अतिरिक्त चार्ज को चार्जेस को जिला कंज्यूमर फोरम ने खारिज कर दिया और पावरकॉम के सीएमडी व एसडीओ को हर्जाने व केस खर्च के तौर पर बीस हजार रुपये देने के आदेश दिए।
रामा मंडी के जोगिदर नगर निवासी सुरिदर कुमार ने पावरकॉम के सीएमडी व कैंट डिवीजन के एसडीओ कामर्शियल के खिलाफ शिकायत दी कि उनके घर में बिजली का घरेलू कनेक्शन लगा हुआ है। जबकि उन्हें 29110 रुपये का बिल भेज दिया गया है, जिसमें 24,453 का अतिरिक्त चार्ज जोड़ा गया है। चार्ज 12 मार्च 2018 से 12 मई 2018 की समयावधि के हैं, जिसमें 548 यूनिट की खपत दिखाई गई है। उन्होंने दस हजार रुपये जमा करवा दिए और 16 मई को आवेदन देकर इतना बिल भेजने का कारण पूछा। इस पर एसडीओ ने इसे हाफ मार्जिन रिकवरी बताते हुए कहा कि यह रिकवरी सितंबर व नवंबर 2017 के संबंध में की जा रही है तो शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्हें उस दौरान जो भी बिल आए, उन्होंने जमा करा दिए। इसके बावजूद न तो उनका बिल ठीक किया गया और न ही अतिरिक्त चार्जेस हटाए गए। इस पर सुरिदर ने कंज्यूमर फोरम में केस दायर कर दिया।
फोरम के नोटिस पर एसडीओ व सीएमडी पावरकॉम ने संयुक्त जवाब दाखिल किया कि अतिरिक्त चार्जेस सही मांगे गए हैं, क्योंकि उस दौरान शिकायतकर्ता का मीटर डिफेक्टिव निकला। उन्होंने दावा किया कि शिकायतकर्ता को फोरम में आने से पहले पावरकॉम की डिस्प्यूट सेटलमेंट कमेटी या संबंधित अधिकारी के पास जाना चाहिए था। वहीं, दस हजार रुपये भी शिकायतकर्ता ने अपनी मर्जी से जमा किए।
सुनवाई के बाद फोरम ने टिप्पणी की कि बिल भेजने से पहले शिकायतकर्ता को इस संबंध में कोई नोटिस नहीं दिया गया, जो सप्लाई कोड एंड रेगुलेशन 2014 में जरूरी है। ऐसे में पावरकॉम अतिरिक्त चार्ज वसूलने का हकदार नहीं है। पावरकॉम द्वारा दिए तर्क कि इस मामले उनके समक्ष लाना चाहिए था, के जवाब में फोरम ने कहा कि कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के सेक्शन तीन में उपभोक्ता तो यहां आने का अधिकार है। डिफेक्ट मीटर बदलने के दावे को भई फोरम ने खारिज किया, क्योंकि उसका कोई दस्तावेज नही मिला।
इसके बाद फोरम के प्रेजिडेंट करनैल सिंह व मेंबर ज्योत्सना ने 24,543 के अतिरिक्त चार्जेस की रिकवरी पर रोक लगा दी। वहीं, पावरकॉम को आदेश दिए कि वो शिकायतकर्ता को मानसिक परेशानी के तौर पर 15 हजार और केस खर्च के तौर पर पांच हजार रुपये अदा करे। इसके लिए एक महीने का वक्त दिया गया है।