तुहाडी टिकट दा खर्चा कांग्रेस दे रही, हकीकत- आपदा राहत कोष से दिए 5.58 करोड़
टिकट खर्चे के अलावा श्रमिकों को ट्रेन में भेजने के साथ उनके मेडिकल चेकअप के लिए बनाए शेल्टरों का खर्च भी सरकार ने ही किया है।
जालंधर, जेएनएन। कर्फ्यू के वक्त बठिंडा में कांग्रेस पार्टी के विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो सभी को याद होगा, जिसमें वो ट्रेन से घर लौट रहे श्रमिकों से कह रहे थे कि उनकी टिकट का खर्चा कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी व कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उठाया है। जबकि हकीकत में यह सारा खर्चा आपदा राहत कोष से किया गया है। यही नहीं श्रमिकों को ट्रेन में भेजने के साथ उनके मेडिकल चेकअप के लिए बनाए शेल्टरों का खर्च भी सरकार ने ही किया है।
जिला प्रशासन ने सरकार को कोरोना से निपटने के लिए हुए खर्च की जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें यह स्वीकार किया गया है। स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड से रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन पर जिला प्रशासन ने 5.58 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यही नहीं, श्रमिकों को इकट्ठा करने के लिए बनाए शेल्टरों से लाने पर भी 3.34 लाख रुपये खर्च किए गए। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगे कर्फ्यू में प्रशासन अभी तक सवा नौ करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। जिसमें सबसे ज्यादा पैसा श्रमिकों पर ही खर्च किया गया है। अब कोई भी अधिकारी इस बारे में अधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह रहा है। उनका कहना है कि सरकार से जो हिदायत आई, उसके आधार पर आगे इसकी अदायगी रेलवे व अन्य संबंधित लोगों को कर दी गई।
सरकार से आया राशन, फिर भी खर्चे 2.57 करोड़ रुपये
सरकार को भेजी रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने बताया कि राशन व अन्य खाना वितरण में पौने तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें दिलचस्प बात यह है कि सरकार की तरफ से भी प्रशासन को जरूरतमंदों व खासकर श्रमिकों के लिए राशन के पैकेट भेजे गए थे। इसके बावजूद अपने स्तर पर भी प्रशासन ने इतना खर्चा कर दिया।
यह हैं अन्य खर्चे
3.34 लाख - आवाजाही पर आरटीए के जरिए खर्च।
24.17 लाख - सिविल अस्पताल का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने पर खर्च किया।
28 लाख : कोविड केयर सेंटर बनाए मेरिटोरियस स्कूल की रिपेयर पर खर्च।
96 हजार - बाहर से आई टीमों के जांच-पड़ताल के लिए जाने पर खर्च।
1.25 लाख - एनआइटी को कोविड केयर सेंटर बनाने पर खर्च।
18 हजार - लोगों की शिकायतें सुऩने के लिए जिला प्रशासकीय परिसर में कंट्रोल रूम बनाया। बीएसएनएल को बिल अदा किया
20 लाख - जालंधर वन व टू दफ्तर ने पनबस को ट्रैवङ्क्षलग चार्जेस के लिए दिए। इसमें बसों के जरिए श्रमिकों को भी उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में भेजा गया था।
न मास्क बांटे, न सैनिटाइजर
राज्य आपदा राहत कोष के जरिए कोरोना संक्रमण के वक्त कर्फ्यू लगने से परेशान लोगों को अधिकारियों ने ज्ञान जरूर बांटा लेकिन मास्क व सैनिटाइजर किसी को नहीं दिए गए। इस पर राहत कोष से कोई खर्चा नहीं हुआ। लोगों को महंगे मास्क व सैनिटाइजर खरीदकर कालाबाजारियों के हाथों लुटने को जरूर मजबूर होना पड़ा। इस लिहाज से श्रमिकों व जरूरतमंदों को छोड़ दें तो अधिकतर जनता पर आपदा राहत कोष से कोई खर्च नहीं हुआ।
राहत कोष में बचे सिर्फ 81.48 लाख
जिला प्रशासन को राज्य आपदा राहत कोष से 9.56 करोड़ रुपये मिले थे। 30 लाख रुपये सेहत विभाग व 20 लाख जिला राहत कोष से मिले थे। कुल मिले 10.06 करोड़ में से अब तक 9.24 करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च हो चुके हैं। हालांकि जिला राहत कोष से मिले 20 लाख वापस मंगवा लिए गए हैं। इस लिहाज से अब प्रशासन के पास सिर्फ 81.48 लाख रुपये ही बचें हैं।
सरकार से जो भी लिखित आदेश आए हैं, उसके आधार पर श्रमिकों को स्पेशल ट्रेन से भेजने का खर्चा दिया गया है। कांग्रेस पार्टी के टिकट के पैसे के दावे के बारे में मुझे कुछ नहीं पता। मैं इस पर कोई कमेंट नहीं कर सकता।
जश्नजीत सिंह, इंचार्ज, जिला आपदा राहत कोष।