समस्याओं से जूझते रहे लोग, अधिकारी हैं व्यस्त, सुलझाने का नहीं है वक्त
पानी व सीवरेज कनेक्शन अपनी आंखों से देखने के बाद इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का इंजीनियिरंग विभाग तीन दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंप सका है।
सत्येन ओझा, जालंधर
अवैध कॉलोनी के लिए सूर्या एंक्लेव से लिए गए पानी व सीवरेज कनेक्शन अपनी आंखों से देखने के बाद इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का इंजीनियिरंग विभाग तीन दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंप सका है। इतना ही नहीं अधिकारी तीन दिन में सूर्या एंक्लेव का लेआउट भी नहीं चेक कर पाए हैं। हालांकि एंक्लेव का लेआउट दैनिक जागरण के हाथ लगा है। इस लेआउट में अवैध कॉलोनी की ओर जाने के लिए कोई रास्ता रिकार्ड में नहीं है। तीन दिन की प्रोग्रेस के संबंध में जब इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के ईओ राजेश चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि अभी इस पर कार्रवाई में टाइम लगेगा। लेडी ¨सघम तीन दिन बाद पहुंची
ये हाल है समस्याओं से जूझती जनता के प्रति इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के अधिकारियों का। यही नहीं नगर निगम के डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत ¨सह बंटी ने नगर निगम की बि¨ल्डग ब्रांच की जिस इंस्पेक्टर को लेडी ¨सघम बताकर अवैध कॉलोनी का मौके पर जाकर निरीक्षण करने को कहा था। उन्होंने आवंटियों से 14 मई को लंच के बाद पहुंचने का वादा किया था, लेकिन पहुंचने का टाइम उन्हें 16 मई की शाम को लगभग साढ़े चार बजे मिल सका। मौका मुआयना करने के बाद वे लोगों को ये कहकर मौके से चली गईं कि वे कंसर्न विभाग को रिपोर्ट लिखकर देंगी।
क्या था मामला
सूर्या एंक्लेव के आवंटियों ने 14 मई की सुबह निगम कमिश्नर बसंत गर्ग, डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत ¨सह बंटी व इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के ईओ राजेश चौधरी को अपनी पीड़ा सुनाई थी। ईओ निगम कमिश्नर के आदेश पर उसी दिन दोपहर लगभग एक बजे मौके पर पहुंच गए थे। उन्होंने अपनी आंखों से अवैध रूप से सीवरेज व पानी के कनेक्शन के साथ ही तीन स्थानों पर सूर्या एंक्लेव की दीवार टूटी देखी थी। कार्रवाई के संबंध में उन्होंने कहा कि इंजीनिय¨रग विभाग से रिपोर्ट लेकर वे सीवरेज व पानी के कनेक्शन बंद कराएंगे, साथ ही सूर्या एंक्लेव का ले आउट प्लान चेक कर अगर प्लान में रास्ता नहीं है तो तीन स्थानों से तोड़ी गई दीवार को बंद कराकर रास्ता बंद कराएंगे।
ये है बड़ा सच
ट्रस्ट के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने जो रिकार्ड दिखाया वह हैरान करने वाला है। ट्रस्ट की शहर में लगभग 2000 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी है, जिसकी वसूली होनी है। मुलाजिमों के निजी से¨टग न हो पाने के कारण मामले लंबित पड़े हैं। ईमानदारी से अधिकारी इसे निपटा लें तो सौ करोड़ के बैंक कर्जे को भी चुकाया जा सकता है। पूरे शहर में ट्रस्ट की योजनाओं का भी कायाकल्प किया जा सकता है। कुछ सौ करोड़ के लिए ट्रस्ट बैंक का डिफॉल्टर है। क्या कहते हैं आवंटी
साल-2006-07 में सूर्या एन्क्लेव अस्तित्व में आने के बाद से अभी तक अधिकारियों के झूठे वादे ही सुनते आए हैं। एंक्लेव को सुरक्षा के लिए चारों ओर दीवार करने का वादा कर दीवार बनाई थी, लेकिन बाद में ध्वस्त कर दी गई। सड़कें, पार्कों की हालत दिन प्रतिदिन खस्ताहाल होती जा रही है। हर साल ट्रस्ट सूर्या एंक्लेव से नॉन कंन्ट्रक्शन चार्जेव व अन्य चार्जेज से ही लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपये हर साल आवंटियों से वसूलता है, यही पैसा मेंटेनेंस में लग जाय तो सूर्या एनक्लेव की दशा सुधर जाएगी।
- राजीव धमीजा, सूर्या एंक्लेव वेलफेयर सोसायटी सीधी बात- राजेश चौधरी ईओ, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट
सवाल-सूर्या एंक्लेव मामले को आज तीसरा कार्य दिवस गुजर गया, क्या कार्रवाई हुई?
जवाब-अभी तो समय लगेगा, अभी इंजीनिय¨रग विभाग से रिपोर्ट नहीं मिली है।
सवाल-जो कुछ आंखों से मौके पर देखा, उसे कागज पर लिखने में आखिर कितना समय लगेगा?
जवाब-आपको पता है ऑफिस में इतना व्यस्त रहता हूं, अभी वक्त लगेगा, कितना लगेगा, ये नहीं अभी नहीं बता सकते।
सवाल-लेआउट प्लान तो आपके ऑफिस में तैयार पड़ा है, सर्वे प्लान भी मौजूद है, उसे चेक किया?
जवाब-अभी चेक नहीं कर पाया।
सवाल-मतलब कार्रवाई की उम्मीद कब समझी जाय?
जवाब-होगी कार्रवाई, लेकिन अभी समय लगेगा।