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कॉलेज एससी विद्यार्थियों से नहीं माग सकते फीस

जासं, जालंधर:शहर में पिछले चार दिनों से अपने ही कॉलेज प्रशासन के खिलाफ आदोलन कर रहे एसस

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 03:23 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 03:39 PM (IST)
कॉलेज एससी विद्यार्थियों से नहीं माग सकते फीस
कॉलेज एससी विद्यार्थियों से नहीं माग सकते फीस

जासं, जालंधर:शहर में पिछले चार दिनों से अपने ही कॉलेज प्रशासन के खिलाफ आदोलन कर रहे एससी छात्र-छात्राओं के मामलों का निपटारा करते हुए एडिशनल डिप्टी कमिश्नर जसबीर सिंह ने स्पष्ट रूप से कालेज प्रिंसिपलों को बता दिया है कि केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों का बहुत स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी कॉलेज एसएसी-एसटी विद्यार्थियों से फीस नहीं माग सकता है। बच्चों के खातों में जब पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप आएगी, तभी वे कॉलेज को फीस देंगे। अगर कॉलेज का कोई फंड सरकार पर बताया है तो वे सरकार से मागे, बच्चों का उत्पीड़न न करें। कॉलेज प्रबंधन ने अगर इस पर अमल नहीं किया तो फिर प्रशासन को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा। एडीसी ने ये भी स्पष्ट किया कि किसी कॉलेज को कोई गलतफहमी है तो डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से पंजाब व केन्द्र सरकार के आदेशों की जानकारी सभी कॉलेज प्रिंसिपलों के पास जल्द भेज दी जाएगी।

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एडीसी जसबीर सिंह ने ये आदेश जिला प्रबंधकीय कॉम्पलेक्स में आदोलन कर रहे विद्यार्थियों के पक्ष में पहुंचे पंजाब सफाई मजदूर फैडरेक्शन के अध्यक्ष चंदन ग्रेवाल, कॉलेज प्रशासन की ओर से पहुंचे दोआबा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.नरेश कुमार धीमान की मौजूदगी में दिए।

डॉ.धीमान ने तर्क दिया कि वे भी नहीं चाहते हैं कि बच्चों से फीस मागी जाय, लेकिन दो साल का सरकार पर 2.80 करोड़ रुपया फंड बकाया है, कॉलेज वेंटीलेटर पर है। बिजली, पानी का खर्चा है, सरकार कुछ तो मदद करे। एडीसी ने इसका जवाब दिया कि बकाया सरकार पर है तो सरकार से लें, बच्चों से नहीं। उन्होंने कहा कि कॉलेज की अपनी दलील सही है,लेकिन उसमें से कोई न कोई रास्ता निकालना होगा, क्योंकि सरकार के नियम के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकते हैं।

बाद में प्रिंसिपल ने चंदन ग्रेवाल को भी ऑफर किया कि कोई बीच का रास्ता बैठकर निकाल लेते हैं, लेकिन ग्रेवाल ने कहा कि वे बच्चों की अनदेखी कर कोई फैसला नहीं कर सकते हैं, फैसला बच्चों की मौजूदगी में ही होगा।

ये कॉलेज बना मिसाल

एक ओर जहा शहर के तीन प्रमुख कॉलेजों में फीस को लेकर विद्यार्थियों को सड़कों पर आना पड़ा है, वहीं इस विवाद के बीच लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर ग‌र्ल्स इन सबके बीच एक उदाहरण बना हुआ है। कॉलेज में पढ़ने वाली 80 प्रतिशत छात्राएं अनुसूचित जाति के संबंधित हैं। इसके बावजूद कॉलेज में फीस को लेकर विवाद नहीं है। अनुसूचित जाति वर्ग की छात्राओं की फीस माफ है, सामान्य वर्ग की आर्थिक रूप से कमजोर कोई छात्रा यहा प्रवेश लेती है तो उसे भी कॉलेज प्रबंधन खुद मदद करता है। इसके लिए दो तरह के कोष कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ.नवजोत के निर्देशन में बनाए गए हैं।

एक सरदार बलबीर सिंह मेमोरियल स्कॉलरशिप फंड हैं, जिसके माध्यम से मेधावी छात्राओं को स्कॉलरशिप दी जाती है। दूसरा गरीब छात्राएं फीस जमा नहीं कर पाती हैं, उनकी मदद के लिए यहा कॉलेज के अध्यापक हर महीने अपने वेतन से सहायता कोष में फंड जमा कराती हैं, जितना फंड एक अध्यापिका देती हैं, उसका 10 गुना फंड प्रिंसिपल अपने वेतन से हर महीने इस कोष में जमा कराती हैं। इसके अलावा कुछ एनआरआई से भी मदद लेकर गरीब छात्राओं की फीस जमा करने में मदद की जाती है।

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