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गरीबों का राशन डकारने वालों को दे दी क्लीन चिट, जानें इस फैसले पर क्यों उठ रहे सवाल

शहर में काजीमंडी इलाके से लगे अमरीक नगर के नीले कार्डो के नाम पर हुए कथित घोटाले के मामले में विभाग ने यह कहकर क्लीन चिट दे दी है कि पुरानी सीरीज के नंबरों पर अमरीक नगर के 45 नए नीले राशन कार्ड बनाए गए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 12:26 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 12:26 PM (IST)
गरीबों का राशन डकारने वालों को दे दी क्लीन चिट, जानें इस फैसले पर क्यों उठ रहे सवाल
गरीबों का राशन डकारने वालों को दे दी क्लीन चिट, जानें इस फैसले पर क्यों उठ रहे सवाल

सत्येन ओझा, जालंधर: शहर में काजीमंडी इलाके से लगे अमरीक नगर के नीले कार्डो के नाम पर हुए कथित घोटाले के मामले में विभाग ने यह कहकर क्लीन चिट दे दी है कि पुरानी सीरीज के नंबरों पर अमरीक नगर के 45 नए नीले राशन कार्ड बनाए गए थे। नए नीले कार्ड स्मार्ट कार्ड के रूप में जारी होने हैं, जो अभी जारी नहीं हुए हैं। पिछले महीने 45 कार्डो का गेहूं का कोटा बचने पर जांच कराई तो यह कार्ड अमरीक नगर के ही निकले थे। 45 में से 28 कार्ड धारकों का पता लग गया है, शेष कार्ड धारकों का पता किया जा रहा है। विभाग की इस क्लीन चिट पर बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुरानी सीरीज पर नए कार्ड जारी करने की क्या जरूरत पड़ी। स्मार्ट कार्ड बनने ही शुरू नहीं हुए तो फिर वे कार्ड अस्तित्व में कैसे आ गए। हैरानी की बात है कि विभाग के पास पिछले तिमाही में बंटे गेहूं व सितंबर के तिमाही में बंटे गेहूं का कंपाइल आंकड़ा नहीं है फिर भी क्लीन चिट दे दी। ये हैं संदेह के आधार

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जुलाई की तिमाही में जिले में कुल कितने नीले कार्ड धारकों को गेहूं दिया गया, कुल कितना गेहूं बांटा गया, सितंबर की तिमाही में कुल कितने लोगों को गेहूं मिला, कितना गेहूं बंटा। (गेहूं तीन महीने के अंतराल पर बांटा जाता है) विभाग के आला अधिकारियों का कहना है कि ये डाटा कंपाइल हो रहा है। डाटा उपलब्ध होने से पहले ही अमरीक नगर मामले में क्लीन चिट दे दी।

-डीएफएससी खुद इस मामले में उत्तर देने से बच रहे हैं?

-पुरानी सीरीज के कुल कितने नीले कार्ड अब तक जारी हुए, विभाग के पास डाटा नहीं।

-भ्रष्टाचार होने का दावा करने वाले पार्षद भी अब इस मामले में किसी भी प्रतिक्रिया से बच रहे हैं। क्या है मामला

अमरीक नगर के लोगों ने चार साल पहले नीले कार्ड के लिए आवेदन किया था। सितंबर के अंतिम सप्ताह में कार्ड की बजाय अचानक गेहूं की पर्चियां मिलनी शुरू हुई तो वे हैरान रह गए। क्षेत्रीय कांग्रेसी पार्षद पल्लनी स्वामी ने इस मामले में अपने स्तर पर जांच की तो दावा किया था कि नीले कार्डो के नाम पर बड़ा घोटाला है। उनके क्षेत्र में करीब 300 के लगभग लोग ऐसे हैं, जिन्होंने चार साल पहले आवेदन किया था, उनके हिस्से का गेहूं अधिकारी खा रहे हैं। पुरानी सीरीज 5 लाख 70 हजार की सीरीज के नंबर के कार्ड की पर्चियों से साफ जाहिर है कि यह कार्ड 2014-15 में बने होंगे, उस समय कार्डो की वही सीरीज चल रही थी। वर्तमान में सात लाख की सीरीज के नीले कार्ड बन रहे हैं। पर्चियां भी लोगों को लगभग 10-12 किलोमीटर दूर दानिशमंदा के राशन डिपो होल्डर की मिली थीं। क्या कहते हैं अधिकारी

डिस्ट्रिक्ट फूड सप्लाई एंड कंट्रोलर तर¨वदर ¨सह कुछ भी कहने से बच रहे हैं। वह कहते हैं कि इस मामले में संबंधित इंस्पेक्टर जगजीत ¨सह से बात करें। इंस्पेक्टर जगजीत ¨सह का कहना है कि नीले कार्डों के नाम पर किसी प्रकार का घोटाला नहीं हुआ है। गेहूं का कोटा बचने पर जांच की तो वह अमरीक ¨सह नगर का निकला। इसलिए उन्हें गेहूं की पर्चियां दी गईं। 45 में 28 परिवार मिल गए हैं। बाकी अभी नहीं मिले हैं। 12 किलोमीटर दूर दानिशमंदा में कार्ड लगने को उन्हें क्लेरीकल मिस्टेक बताया है।


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