Civil Hospital के डॉक्टरों का कारनामा, बिना टेस्ट किए मरीज की पर्ची पर लिख दिया स्वाइन फ्लू पीड़ित
रीज का इलाज तो अस्पताल ने मुफ्त किया लेकिन उसे स्वाइन फ्लू था भी या नहीं इसकी पुष्टि करने का प्रयास तक नहीं किया गया।
जालंधर, जेएनएन। नए साल के पहले हफ्ते में ही शहर में स्वाइन फ्लू से एक व्यक्ति की मौत होने से इस बीमारी के फैलने का भय बन गया है। वहीं इस संबंध में सिविल अस्पताल की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं। सिविल अस्पताल के डाॅक्टरों ने मरीज का इलाज स्वाइन फ्लू के आधार पर तो किया परंतु इसकी पुष्टि के लिए मरीज के सैंपल तक पीजीआइ चंडीगढ़ नहीं भेजे। मरीज की मौत के बाद सिविल अस्पताल के डाक्टरों व आइडीएसपी में तन गई है।
भार्गव कैंप में रहने वाले रोशन लाल (48) साल को दो जनवरी को इमरजेंसी में दाखिल किया गया था। इसके बाद उसे मेडिकल वार्ड में रखा गया और तबीयत बिगड़ने पर उसे ट्रोमा सेंटर के आइसीयू में शिफ्ट किया गया। मरीज की रविवार शाम को मौत हो गई। मरीज की मौत को लेकर अस्पताल में हंगामा भी हुआ। सोमवार को ट्रोमा सेंटर के नर्सिंग स्टाफ ने फाइल जमा करवाई तो देखा कि उस पर अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से बड़े अक्षरों में स्वाइन फ्लू लिखा गया और मौत का कारण दर्शाने वाले फार्म में भी स्वाइन फ्लू बीमारी का जिक्र किया गया।
मरीज को दवा भी स्वाइन फ्लू के इलाज की दी जा रही थी। हालांकि मरीज का इलाज तो अस्पताल ने मुफ्त किया लेकिन उसे स्वाइन फ्लू था भी या नहीं इसकी पुष्टि करने का प्रयास तक नहीं किया गया। सिविल अस्पताल के डॉ. तरसेम लाल ने कहा कि मरीज को सांस चढ़ती थी। उसके लक्षण टीबी वाले थे। उसे इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस (आइएलआइ) केटेगिरी में रखा था। मौके पर मौजूद डाॅक्टर ने फाइल सही शब्दावली का इस्तेमाल नहीं किया। संदिग्ध स्वाइन फ्लू के आधार पर बी कैटेगिरी में रखा था। इसे एंटी वायरल दवा दी जा रही थी।
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पड़ सकती है भारी
सिविल अस्पताल प्रशासन ने मरीज के सेंपल लिए बिना ही उसे स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि तो कागजों में कर दी लेकिन इसके बाद भी लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर दिया। नियमों के अनुसार ऐसे मरीज की मौत के बाद उसके शव को सील कर परिजनों को सौंपना होता है और सील खोले बिना ही उसका अंतिम संस्कार करना होता है। इसके अलावा मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को भी जरूरी दवाएं दी जाती हैं, जिससे उन्हें बीमारी न हो। इसके बावजूद सिविल अस्पताल प्रशासन ने शव को बिना सील किए ही परिजनों को सौंप दिया। स्वाइन फ्लू के लक्षण नजला, जुकाम, बुखार बदन दर्द, गला खराब, सास लेने में दिक्कत, छींके आना व खासी।
साल मरीज मौतें
2014 4 3
2015 35 11
2016 05 02
2017 19 07
2018 01 00
2019 15 00
इन बातों का रखें ध्यान
- खांसी व छींकते समय मुंह व नाक को साफ कपड़े से ढक लें।
- अपने नाक, मुंह व आंखों को छूने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं।
- भीड़ वाले इलाके में न जाएं।
- खांसी, नाक का चलना, छींके तथा बुखार से पीड़ित मरीजों से एक मीटर की दूरी रखें।
- पूरी नींद लें, शारीरिक तौर पर चुस्त रहें तथा तनाव मुक्त रहें।
- पानी का अत्याधिक प्रयोग करें व पौष्टिक आहार लें।
- गर्भवती महिलाएं, 65 साल से अधिक आयु के लोग खास परहेज करें।
- गर्म पानी में नमक डाल कर पीएं।
यह न करें
- हाथ न मिलाएं, गले न मिलें।
- जगह-जगह न थूकें।
- बिना जांच के दवाई न लें।
मामले की होगी जांच : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. गुरिंदर कौर चावला ने बताया कि इस संबंध में सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. कश्मीरी लाल से बात कर समस्या का समाधान किया जाएगा। सिविल अस्पताल में आइडीएसपी की टीम भी भेजी जाएगी और मामले की गहन जांच पड़ताल करवाई जाएगी। मरीज के परिजनों के भी जानकारी ली जाएगी उसके आधार पर अगली कार्रवाई होगी।
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