लगातार गिर रहा है दरिया में गंदा पानी, साफ किया पानी भी नहीं हो रहा इस्तेमाल
शहर के ट्रीटमेंट प्लाटों में रोजाना करीब 300 एमएलडी पानी आ रहा है। लेकिन गंदा पानी साफ करने की क्षमता सिर्फ 235 एमएलडी है।
जालंधर, जेएनएन। दरियाओं में गंदे पानी को जाने से रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बेहद सख्त है। इसके बावजूद गंदे पानी की दरियाओं में निकासी रुक नहीं रही है। इसमें अभी समय लगना तय है क्योंकि नगर निगमों, कौसिलों और पंचायतों के पास इतना इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है कि वह गंदे पानी को साफ कर सकें। जालंधर नगर निगम के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों की पानी साफ करने की क्षमता 235 एमएलडी है जबकि पानी का इस्तेमाल 300 एमएलडी से ज्यादा है। करीब 75 एमएलडी पानी बिना साफ किए ही दरियाओं में जा रहा है।
यही नहीं जितना पानी साफ किया जा रहा है वह भी दरिया में जा रहा है जबकि इसे दोबारा इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वहीं, दूसरी तरफ सुल्तानपुर लोधी में ट्रीट किए गए पानी को किसान इस्तेमाल कर रहे हैं। वह बिना खाद इस्तेमाल किए 20 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाने में सफल रहे हैं। अगर इसी तरह जालंधर में भी साफ किया पानी प्रयोग में लाया जाता है तो जमीन के नीचे के पानी का इस्तेमाल भी कम होगा। ट्रीट किए पानी को इस्तेमाल करने के लिए साल 2003 में प्लान बना, उसके बाद भी कई प्लान बनते रहे लेकिन अभी तक कोई भी सिरे नहीं चढ़ा है। शहर के ट्रीटमेंट प्लाटों में रोजाना करीब 300 एमएलडी पानी आ रहा है। लेकिन गंदा पानी साफ करने की क्षमता सिर्फ 235 एमएलडी है।
फोलड़ीवाल ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 150 एमएलडी की है जबकि पानी 200 एमएलडी जा रहा है। यहां 100 एमएलडी के पुरानी तकनीक के प्लांट को अपग्रेड किया जाना है और 50 एमएलडी का नया प्लांट लगाया जाना है। जमशेर डेयरी का गंदा पानी भी ड्रेन के जरिए सतलुज दरिया में ही मिलता है। यहां भी ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है। जैतेवाली में 25 और बंबियांवाल में 10 एमएलडी का प्लांट है।
दिसंबर 2021 तक पूरी करनी है ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब सरकार को दरियाओं में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एक्शन प्लान दिया हुआ है। इसे दिसंबर 2021 तक पूरा करने के आदेश दिए थे। एनजीटी की सख्ती के बाद सरकार ने जालंधर एरिया के लिए जो शेडयूल दिया है उसके मुताबिक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट और बायोगैस लगाने की समय सीमा तय कर दी है।
जालंधर में बस्ती पीरदाद, फोलड़ीवाल, फोकल प्वाइंट, फिल्लौर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, जमेशर डेयरी कांप्लेक्स और फोकल प्वाइंट में एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है। जमेशर में बायोगैस प्राजेक्ट 31 दिसंबर 2019 तक लगाने का समय तय किया गया है। लेदर कांप्लेक्स में सीईटीपी 31 मार्च 2020 तक लगाना होगा और सभी एसटीपी 31 दिसंबर 2021 तक पूरे करने होंगे। इसके अलावा कस्बों में भी सीवरेज प्लांट लगाने हैं। उसकी समय सीमा भी दिसंबर 2021 ही तय की गई है।
दिसंबर 2021 से पहले पूरे करने होंगे ये प्रोजेक्ट
- जमेशर में ईटीपी 5 एमएलडी 20 सितंबर 2021
- जमशेर में बायोगैस प्रोजेक्ट 31 दिसंबर 2019
- लेदर कांप्लेक्स में कॉमन एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट 31 मार्च 2020
- फोकल प्वाइंट में एसटीपी
- फिल्लौर एसटीपी टेंडर के बाद 21 महीने
- फोल्ड़ीवाल में 100 एमएलडी प्लांट अपग्रेडेशन 31 दिसंबर 2021
- फोलड़ीवाल में 50 एमएलडी प्लांट 31 दिसंबर 2021
- बस्ती पीरदाद में 25 एमलडी प्लांट 31 दिसंबर 2021
स्मार्ट सिटी एरिया में दोबारा इस्तेमाल होगा साफ किया पानी
ट्रीटमेंट प्लांटों में साफ किए जा रहे पानी को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए अभी कोई कारगर योजना नहीं बनी है। इसकी शुरूआत स्मार्ट सिटी के एबीडी एरिया के तहत आते इलाके से हो सकती है। स्मार्ट सिटी में यह प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है कि बस्ती पीरदाद के प्लांट में ही 15 एमएलडी का प्लांट लगाया जाए और इसमें साफ किया पानी एबीडी एरिया में दोबारा सप्लाई किया जाए। इसके लिए अलग से पाइप लाइन भी बिछाई जाएगी। साफ किया पानी फर्श, गाड़ियां धोने, टायलेट्स में इस्तेमाल करने, पौधों को पानी देने के काम आएगा।
कंस्ट्रक्शन वर्क पर नहीं इस्तेमाल हो रहा साफ किया पानी
नगर निगम के बिल्डिंग डिपार्टमेंट ने तय किया हुआ है कि कंस्ट्रक्शन वर्क पर सिर्फ जमीन के नीचे का पानी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। निर्देश है कि ट्रीटमेंट प्लांट में साफ किया पानी ही निर्माण कार्याें में प्रयोग होगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। निगम इस नियम को भी लागू नहीं करवा पाया है। कंस्ट्रक्शन वर्क के छोटे-बड़े हर तरह के प्रोजेक्ट में जमीन के नीचे का पानी ही इस्तेमाल हो रहा है। यह पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है लेकिन निगम इस पर अभी तक कोई प्लान नहीं बना पाया है।