जिंदगी की डोर काट रही खूनी ड्रैगन डोर को कहें ना
चीन में बनी डोर नायलॉन की होती है। इस पर लोहे का बुरादा चढ़ा दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : चीन में बनी डोर नायलॉन की होती है। इस पर लोहे का बुरादा चढ़ा दिया जाता है। इससे ये आसानी से टूटनी नहीं। इस कारण ये पशु पक्षियों व लोगों के लिए और भी खतरनाक हो गई है। डोर में उलझकर आसमान में उड़ने वाले पंछी बुरी तरह से जख्मी हो रहे हैं। यही नहीं इस डोर ने इंसानी खून भी चख लिया है। इस डोर की चपेट में आने से कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो चुके हैं और कई अपनी जान गंवा चुके हैं।
ये डोर जब जब बिजली की तारों के संपर्क में आती है तो उसमें करंट आता है। इस कारण भी कई लोग झुलस चुके हैं। ऐसे में सभी इस खून पीने वाली ड्रैगन डोर का बहिष्कार कर सामान्य मांजे वाली डोर का इस्तेमाल करके अपनी और दूसरों की कीमती जानें बचाएं। इसी उद्देश्य को मुख्य रखते हुए दैनिक जागरण के अभियान 'नो मोर ड्रैगन डोर' के तहत स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों को इस खूनी चाइनीज डोर से होने वाले नुकसान के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक किया गया। उन्हें शपथ दिलाई गई कि वे न तो इस डोर का इस्तेमाल करेंगे और साथ ही लोगों को इसके नुकसान के बारे में जागरूक करेंगे। आरकेएम गीती मेमोरियल सीसे स्कूल
आरकेएम गीता मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मॉडल टाउन में 'से नो मोर चाइना डोर' विषय पर प्रार्थना सभा हुई। इसमें स्कूल का हर बच्चा शामिल हुआ। प्रिसिपल अवकार सिंह ने कहा कि चाइनीज डोर काफी खतरनाक है। बसंत पंचमी व मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का क्रेज है। मगर पर्व की गरिमा धागे की डोर से पतंग उड़ाने में हैं, न की पतंग कटे न इसलिए प्लास्टिक की डोर लगाकर अपनी और दूसरों की जान को जोखिम में डालने की। धागे की डोर से ज्यादा अब बाजारों में चाइनीज डोर आने लगी है। इसमें कांच व लोहे का बुरादा लगाए जाने से इस डोर को धारदार बना दिया गया है। यह डोर जिस रास्ते से गुजरती है, वहां से गुजरने वालों को अपनी चपेट में लेकर जख्म दे रही है। इसलिए इसके प्रति सभी जागरूक होकर इसका इस्तेमाल बंद करें। ताकि अपनी और दूसरों की जान को सुरक्षित बनाया जा सके। सेंट सोल्जर स्कूल नंगल करार खां
सेंट सोल्जर स्कूल नंगल करार खां में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें स्कूल के सभी बच्चे और सारा स्कूल स्टाफ शामिल हुआ। प्रिसिपल अवनीत कौर भट्ट ने कहा कि चाइनीज डोर का क्रेज तेजी से बढ़ता जा रहा है। क्योंकि यह आसानी से टूट न पाने से पतंग भी नहीं आसानी से कटती। इस डोर की वजह से होने वाली हानियों के प्रति भी सभी को जागरूक होना होगा। यह डोर बेहद खतरनाक है। रोजाना किसी न किसी को अपनी चपेट में लेकर घायल कर रही है। ऐसे में सभी को चाहिए कि पहले तो वे खुद को सुरक्षित रखें। इसके इस्तेमाल से परहेज करें। साथ ही अपने आसपास के लोगों को भी इसका इस्तेमाल करने से रोकें। अंत में सभी ने चाइनीज डोर का इस्तेमाल न करने की शपथ भी ली और 'से नो मोर चाइना डोर' के बैनर लेकर जागरूकता रैली निकाली। सेंट सोल्जर स्कूल नकोदर
सेंट सोल्जर स्कूल नकोदर में सुबह की प्रार्थना सभा में 'से नो मोर चाइन डोर' के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक किया गया। बच्चों को प्रिसिपल ज्योति भारद्वाज ने बताया कि चाइनीज डोर की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। जिससे केवल लोग ही नहीं बल्कि बेजुबान पशु-पक्षी भी दर्द झेल रहे हैं। इस डोर का सिर्फ नुकसान ही नुकसान है। केवल पतंग न जल्द कटे इसलिए इसका इस्तेमाल करना सही नहीं है। साधारण व सामान्य मांजा ही अपनाएं। यह पर्व खुशियां देने व मिलकर मनाने का है, न की अपनी स्वार्थ भावना की वजह से किसी को इस पर्व की आड़ में जख्म देने का है। प्लास्टिक डोर के जरिए ऐसे कई केस सामने आए हैं, जिसमें बच्चों को डोर के बिजली की तारों के संपर्क में आने से करंट लगा है। इसलिए खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक डोर का बायकॉट करें। अंत में बच्चों ने डोर का इस्तेमाल न करने की शपथ ली।