अमृतसर में जीएनडीएच की 'झुलसी व्यवस्था' पर सरकार ने लगाया मरहम, मुख्यमंत्री मान ने 1.31 करोड़ के दो नए ट्रांसफार्मर भिजवाए
अमृतसर में जीएनडीएच में आगजनी की घटना के बाद मुख्यमंत्री मान ने दो नए ट्रांसफार्मर भिजवा दिए।वहीं जायजा लेने पहुंचे बिजली मंत्री ने आगजनी की घटना का ठीकरा पिछली सरकार पर फोड़ा। पिछली सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया।
नितिन धीमान, अमृतसर : गुरुनानक देव अस्पताल में लगी आग से 'झुलसी व्यवस्था' पर सरकार ने मरहम लगाया है। आगजनी की घटना के बाद ही मुख्यमंत्री भगवंत मान शनिवार रात को ही एक करोड़ 32 लाख के दो ट्रांसफार्मर भिजवा दिए। रविवार को बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने अस्पताल में पहुंच स्थिति का जायजा लिया। पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ईटीओ ने कहा कि उन्होंने कहा कि आगजनी की घटना का ठीकरा पिछली सरकारों पर फोड़ा। कहा, सौभाग्यवश जानी नुकसान नहीं हुआ। पिछली सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। नए चिकित्सा उपकरण व नई इमारतें बनती गईं, जिससे ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ता गया, पर ये नए नहीं लगाए गए।
अस्पताल में दो हजार डाक्टरों सहित सहयोगी स्टाफ है। प्रतिदिन दो हजार मरीजों की ओपीडी और 250 एमबीबीएस छात्र भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। इतने लोगों की जिंदगी हमेशा खतरे में थी। हरभजन सिंह ने कहा कि दोनों नए ट्रांसफार्मर आधुनिक हैं और यह 500 केवीए के हैं। अब ये खुले में लगाए जाएंगे। एक सप्ताह में इन्हें इंस्टाल करने का काम पूरा किया जाएगा। इसके अलावा राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में जो खामियां हैं उसकी रिपोर्ट मंगवाई गई है। इनका जल्द समाधान किया जाएगा।
46 साल पुराने थे दोनों ट्रांसफार्मर
शनिवार को जिन दो ट्रांसफार्मरों में आग लगी थी वे 46 वर्ष पुराने थे। 500 केवीए के ये ट्रांसफार्मर 1976 में इंस्टाल किए गए थे। चार दशकों में अस्पताल में बिजली का लोड बढ़ता चला गया और इन्हीं पुराने ट्रांसफार्मरों से काम चलाया जाता रहा। इसका दुष्परिणाम शनिवार को सबने देखा। भयानक आग लगी और देखते ही देखते दूसरी मंजिल तक पहुंचने लगी। शुक्र है फायर ब्रिगेड ने स्थिति पर काबू पाया था।
डायलिसिस मशीनें बंद, एसी चलाने पर रोक
गुरुनानक देव अस्पताल में शनिवार को आग लगने की घटना के बाद यहां पांचों डायलिसिस मशीनों को बंद कर दिया गया है। आपरेशन थियेटर व वार्डों में एयर कंडीशनर चलाने पर भी रोक लगा दी गई है। रविवार को अधिकारियों ने डायलिसिस यूनिट का जायजा लिया। मशीनें सुरक्षित हैं, पर वायरिंग जलने की वजह से इन्हें चलाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा आक्सीजन व पानी की पाइपें भी पिघल गई हैं। डायलिसिस करवाने के लिए प्रतिदिन दस मरीज यहां आते हैं। जब तक वायरिंग दुरुस्त नहीं होती इन मरीजों को कोरोना वार्ड में इंस्टाल की गई दो डायलिसिस मशीनों से डायलिसिस किया जाएगा। हालांकि अस्पताल परिसर में लगे अन्य ट्रांसफार्मरों व हाटलाइन से बिजली की सप्लाई पूरी तरह से सुचारू है।
वाइस प्रिंसिपल डा. कुलार ने जोखिम में डाली थी अपनी जान
मेडिकल कालेज के वाइस प्रिंसिपल डा. जेएस कुलार ने अपनी जान जोखिम में रखकर पार्किंग एरिया में खड़े दोपहिया वाहनों को हटाया था। वह कुछ कर्मचारियों के साथ आग के बिल्कुल करीब पहुंचे और वाहनों को निकालने लगे। लाक होने की वजह से वाहनों को हटाने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। यदि ये वाहन न हटाए जाते तो पेट्रोल से भरे इन वाहनों की वजह से आग कितनी तेजी से फैलती, यह कल्पना से परे है। डा. कुलार के इस साहसिक कार्य को 'सरकारी मेडिकल कालेज अमृतसर डाक्टर्स' के ट्विटर अकाउंट पर अपलोड किया गया है।