डोप टेस्ट के नाम पर आंखों में धूल झोंकना संभव, यूं बच सकते हैं नशेड़ी
पंजाब में डोप टेस्ट का खूब शोर मचा हुआ है। कर्मचारियों के लिएडोप टेस्ट जरूरी करने के बाद नेताओं ने भी इस दिशा में पहल की है। लेकिन, इस टेस्ट के नाम पर धोखा भी दिया जा सकता है।
जालंधर, [जगदीश कुमार]। पंजाब में नशे के मुद्दे पर हंगामा मचा हुआ है। राज्य की कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सरकारी कर्मचारियों के लिए डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद नेताअों के लिए इसी लागू करने की बात उठी। इससे राजनीति गर्मा गई आैर विभिन्न दलाें के नेता डोप टेस्ट करवाने आने लगे। इन सब के बीच खुलासा हुआ है कि डोप टेस्ट के नाम पर बड़ा खेल भी संभव है आैर इसके नाम पर आसानी से आंखों में धूल झोंकी जा सकती है।
डोप टेस्ट यूरिन यानि मूत्र से किया जाया जाता है। डोप टेस्ट के लिए यूरिन का नमूना लिया जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, कोई भी केमिकल निर्धारित समय तक यूरिन में रहता है। इसके बाद जब तक दोबारा इस रसायन या दवा या नशा का प्रयोग नहीं किया जाता उसका टेस्ट में पता नहीं चलता। यानि ड्रग या नशा लेने वाला व्यक्ति डोप टेस्ट से कुछ दिन पहले इसका इस्तेमाल बंद कर जांच में साफ बच सकता है।
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राज्य सरकार ने डोप टेस्ट को लेकर फरमान जारी किया है। नशे का सहारा लेने वाले नेता, अफसर या अन्य लोग इसका फायदा उठा कर डोप टेस्ट की अग्निपरीक्षा को पास कर सकते हैं। ऐसे में अचानक डोप टेस्ट (रेंडम टेस्ट) करवाने से ही राज्य सरकार का नशे की गिरफ्त में फंसे कर्मचारियों व अन्य लोगों पर शिकंजा कसने का उद्देश्य पूरा हो सकता है।
आइएमए के प्रधान डॉ. मुकेश गुप्ता का कहना है कि डोप टेस्ट यूरिन के सैंपल से किए जाते हैं। नशीले केमिकल का सेवन करने के बाद वो एक निर्धारित समय तक ही यूरिन के सैंपल टेस्ट में आते हैं। इसके बाद जांच में नहीं आते हैं। डोप टेस्ट अचानक करवाने से ही सही पता चलेगा कि टेस्ट करवाने वाले व्यक्ति ने कौन सा नशा किया है।
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माइक्रोबायोलाजिस्ट डॉ. एलफर्ड का कहना है कि अलग-अलग नशीले पदार्थ शरीर में एक अलग अलग समय तक रहते हैं। हर नशीले पदार्थ का यूरिन में बरकरार रहने की एक छोटी अवधि रहती है। डोप टेस्ट में कुछ केमिकल ऐसे हैं जिनका खून व पेशाब में असर खत्म होने के पहले ही शरीर डिमांड करने लगता है। इसका इस्तेमाल करने वाले उसके बिना रह नहीं सकते हैं। डोप टेस्ट में नशा आने की एक निर्धारित अवधि है, इसके बाद रिपोर्ट नेगेटिव आती है।
नशीला पदार्थ व केमिेकल और इस्तेमाल के बाद उसका अंश यूरिन में पाए जाने का समय-
एमफीटामाइंस- 2 दिन
बारबीच्यूरेट्स- 2-15 दिन
बैजोडाइजीपाइन्स- 2-10 दिन
कैनाबिस'- 3-30 दिन मात्रा पर निर्भर
कोकीन- 2-10 दिन
मिथाडॉन- 2-7 दिन
मिथाक्यूलोन- 10-15 दिन
ओपीयोड्स-1-3 दिन
फैंसीक्लीडाइन- 8 दिन
प्रॉपोक्सीफिन- 2 दिन।
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