फादर एंथनी के घर नहीं थी कैश वैन, सिर्फ कैश गिनने को मशीन मंगाई थी
प्रतापपुरा स्थित फादर एंथनी के घर से करोड़ों की कैश बरामदगी के मामले में एक और चौकाने वाली सचाई उजागर हुई है।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। प्रतापपुरा स्थित फादर एंथनी के घर से करोड़ों की कैश बरामदगी के मामले में एक और चौंकाने वाली सच्चाई उजागर हुई है। फादर ने चाहे दावा किया हो कि यह पैसा बैंक के कर्मचारी लेने आए थे लेकिन फादर के घर के आसपास रहने वालों कहना है कि उस दिन यहां कोई कैशवैन नहीं दिखी। सीसीटीवी फुटेज में भी कैश वैन नजर नहीं आ रही। इसकी पुष्टि फादर को दफ्तर के लिए लद्देवाली में बिल्डिंग में किराए पर देने वाले हरपाल सिंह ने भी की, जो पादरी के बुलाने पर प्रतापपुरा पहुंचे थे। हरपाल ने भी कहा कि उन्होंने अपनी कार पादरी के घर के परिसर में खड़ी की थी, लेकिन उन्हें कैश वैन नजर नहीं आई।
हालांकि उन्होंने बैंक का स्टाफ भी नहीं देखा लेकिन तब पादरी ने कहा कि वह घर की पहली मंजिल पर कैश गिन रहे हैं। इससे यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या बैंक से सिर्फ कैश गिनने वाली मशीन ही मंगवाई गई थी और यह कैश बैंक में जमा ही नहीं होना था। अगर ऐसा नहीं तो फिर फादर के दावे के हिसाब से ही मानें तो 16.65 करोड़ किस तरीके से बैंक पहुंचाया जाना था। वह भी तब, जब लोकसभा चुनाव के लिए कोड ऑफ कंडक्ट लगा हुआ है और 50 हजार से ज्यादा के कैश की आवाजाही के लिए पर्याप्त सुबूत जरूरी हैं। ये सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि बैंक ने जिन दो लोगों की कैश लाने के लिए ड्यूटी लगाई थी, उनमें से एक बैंक के स्टाफ के तौर पर संदीप विलियम था, जिसे चपरासी बताया जा रहा है और दूसरा गनमैन गुरदीप सिंह था।
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद करोड़ों के कैश के लिए सिर्फ दो और वह भी जूनियर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने पर भी सवाल उठ रहा है कि वाकई कैश पादरी एंथनी के घर से बाहर आना भी था या नहीं। इस मामले में साउथ इंडियन बैंक की चुप्पी भी रहस्यमय बनी हुई है। बैंक ने पहले तेजी से अपना स्पष्टीकरण देते हुए पुष्टि की थी कि उन्होंने दो कर्मचारी भेजे थे लेकिन अब आगे उठ रहे इन सवालों पर पूरा स्टाफ 'नो कमेंट्स' कहकर किनारा कर रहा है।
चार बजे तक कैश गिना जा रहा तो जमा कब होता?
बड़ा सवाल यह है कि पुलिस रेड चार बजे से थोड़ी देर बाद हुई है, ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि बैंक की टाइमिंग शाम पांच बजे तक होती है। अगर कैश जमा कराया जाना था और बैंक के लेटर के मुताबिक उन्होंने तब तक छह करोड़ रुपये गिने थे तो फिर फादर के दावे के मुताबिक 16.65 करोड़ कब तक गिना जाता और कब बैंक में जमा होता। इससे इस बात तो लेकर शक पैदा हो रहा है कि पादरी के घर में सिर्फ कैश गिना जाना था।
बिल्डिंग मालिक ने खन्ना पुलिस पर उठाए सवाल
पादर एंथनी की फर्म सहोदया को बिल्डिंग किराए पर देने वाले पूर्व एआइजी (जेल) सुरिंदर कौर के दामाद हरपाल सिंह निवासी छोटी बारादरी ने कहा कि एंथनी उन्हें दोपहर ढाई बजे से फोन कर रहे थे। जब वो पहुंचे तो फादर के आगे कैश से भरा बैग खुला पड़ा था। उन्होंने इसके बारे में पूछा तो फादर ने कहा कि फर्स्ट फ्लोर पर बैंक कर्मी कैश गिन रहे हैं, हालांकि उन्होंने अपनी आंखों से किसी बैंक कर्मचारी को नहीं देखा और घर में कैश वैन भी नहीं दिखी। इसके बाद पुलिस की रेड हो गई और वो मुझे भी ले गए। मैंने उन्हें सारे सुबूत दिखाए लेकिन वो खन्ना ले गए और अगले दिन सुबह सात बजे छोड़ा। हरपाल ने कहा कि उनकी बिल्डिंग में साल 2012-13 से सहोदया कंपनी का ऑफिस चल रहा है। इसके लिए बकायदा एग्रीमेंट भी हुआ है। जब भी बिजली-पानी की कोई दिक्कत होती तो वो वहां जाते थे। उस दिन भी बिजली की खराबी की बात कहकर उन्हें बुलाया गया था। उन्हें नहीं पता था कि पादरी उनकी बिल्डिंग से करोड़ों का कारोबार चला रहे हैं। वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि उनकी बिल्डिंग से कुछ गलत कारोबार हो भी रहा है तो इसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
बैंक वालों से भी होगी पूछताछ
कैश बरामदगी के आंकड़ों में अंतर और बरामदगी की जगह को लेकर उठे विवाद के बाद डीजीपी दिनकर गुप्ता की आइजी क्राइम प्रवीन सिन्हा की अगुवाई में बनाई टीम के मुताबिक अभी जांच हो रही है कि फादर के 16.65 करोड़ और खन्ना पुलिस के 9.66 करोड़ पकड़े जाने के दावे का सच क्या है?। यह रकम प्रतापपुरा से बरामद हुई या दोराहा नाकाबंदी से। इसके बाद बैंक से भी पूछताछ कर इस मामले की जांच को आगे बढ़ाया जाएगा।