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मेयर की शिकायत पर फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी पर छह माह बाद केस दर्ज Jalandhar News

कंपनी पर आरोप है कि हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट में मैन पावर सप्लाई करने का कांट्रैक्ट लेने के लिए ईपीएफ और वैट के फर्जी दस्तावेज जमा करवाए थे।

By Vikas KumarEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 08:32 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 09:50 AM (IST)
मेयर की शिकायत पर फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी पर छह माह बाद केस दर्ज Jalandhar News
मेयर की शिकायत पर फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी पर छह माह बाद केस दर्ज Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। नगर निगम में साल 2015 में टेंडर लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करवाने के मामले में अमृतसर की कांट्रैक्ट कंपनी वीएच इंटरप्राइजिज पर थाना तीन की पुलिस ने केस दर्ज किया है। कंपनी का पता अमृतसर के कोट खालसा रोड का है, जो जालंधर के एक भाजपा नेता की बताई जा रही है।

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कंपनी पर आरोप है कि हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट में मैन पावर सप्लाई करने का कांट्रैक्ट लेने के लिए ईपीएफ और वैट के फर्जी दस्तावेज जमा करवाए थे। जांच के दौरान ये पकड़ में आ गए थे। नगर निगम के अफसर इस पर तब कार्रवाई करना चाहते थे, लेकिन राजनीतिक दबाव में कार्रवाई नहीं हो सकी थी। कांग्रेस सत्ता में आई तो मेयर जगदीश राजा ने मार्च 2019 में घोटाले की फाइल दोबारा खुलवाई और जांच में गड़बड़ी पाए जाने के बाद 25 जून को पुलिस कमिश्नर को लेटर लिखकर वीएच इंटरप्राइजिज के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए कहा था। पुलिस ने छह महीने तक कार्रवाई नहीं की। तीन दिन पहले जब मेयर जगदीश राजा की पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर से किसी प्रोग्राम में मुलाकात हुई तो मेयर ने इस पर चर्चा की। उस समय सीपी ने जानकारी होने से इंकार किया और एक दिन में इसकी जानकारी लेकर एक्शन की बात कही। इसके दो दिन बाद थाना तीन की पुलिस ने वीएच इंटरप्राइजिज पर केस दर्ज कर दिया। पुलिस अब रिकार्ड अपने कब्जे में लेकर कंपनी के खिलाफ जांच शुरू करेगी।

अकाली-भाजपा सरकार के समय हुआ था घोटाला

निगम के बीएंडआर डिपार्टमेंट ने साल 2015 में अकाली-भाजपा सरकार के समय 55.11 लाख रुपये का टेंडर निकाला था। इसमें कांट्रैक्ट कंपनी ने फर्जी दस्तावेज दिए थे। कंपनी पीएफ और एक्साइज मे रजिस्टर्ड नहीं थी। इसलिए एक स्कूल के दस्तावेजों को फर्जीवाड़े से बदलकर टेंडर जमा करवाया। फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर नगर निगम ने दस्तावेज पीएफ दफ्तर में जांच के लिए भेजे थे। पीएफ ऑफिस ने 6 फरवरी 2015 को दी रिपोर्ट में साफ किया था कि वीएच इंटरप्राइजिज, 456-बी, मेन रोड कोट खालसा, अमृतसर ने पीएफ से जुड़े जो दस्तावेज दिए हैं, वह गलत हैं।

बैंक अकाउंट से भी हो सकती है जांच

पुलिस इस मामले की जांच के लिए वीएच कंपनी के बैंक अकांउट भी खंगाल सकती है। जांच में कंपनी की जानकारी लेकर पता किया जा सकता है कि ई-टेंडर भरने के लिए कंपनी ने किस बैंक अकाउंट से फीस जमा करवाई थी। निगम को अर्नेसट मनी के जो चेक वीएच इंटरप्राइजिज ने दिए थे, वह निगम ने चेक की समय सीमा खतम होने के बाद लौटा दिए थे। इसके अलावा वह सभी रास्ते अपनाए जा रहे हैं जो कंपनी के मालिक तक पहुंच सकें।

जांच रिपोर्ट भी नगर निगम आफिस से गायब

जब यह घोटाला सामने आया था, तब इसकी जांच करवाई गई थी। अकाली-भाजपा सरकार के समय हुई जांच की रिपोर्ट भी निगम ऑफिस से गायब हो गई। इस मामले में मेयर जगदीश राजा ने भी जांच करवाई थी और जांच रिपोर्ट गायब होने के मामले में बीएंडआर डिपार्टमेंट के एक जूनियर असिस्टेंट के खिलाफ कार्रवाई की थी। अकाली-भाजपा सरकार के समय एफएंडसीसी की मीटिंग में भी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव आया था, लेकिन तब भाजपा के सीनियर नेताओं के दबाव में कार्रवाई को पेंडिंग कर दिया था।


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