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रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों बोले, वन रैंक वन पेंशन योजना सही तरीके से लागू करे केंद्र सरकार Jalandhar News

केंद्र सरकार वन रैंक वन पेंशन योजना को पूरी तरह से लागू नहीं कर सकी जिससे देश में हजारों सेवानिवृत्त जवानों और अधिकारियों को अब भी इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाया।

By Sat PaulEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 07:59 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 07:59 AM (IST)
रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों बोले, वन रैंक वन पेंशन योजना सही तरीके से लागू करे केंद्र सरकार Jalandhar News
रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों बोले, वन रैंक वन पेंशन योजना सही तरीके से लागू करे केंद्र सरकार Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। एनडीए सरकार पांच साल पहले वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) के बारे में जारी अपने जनादेश को लागू करना भूल गई है। यही नहीं देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करना सरकार की मनोदशा और भावना पर सवाल उठाता है। यह विचार ऑल इंडिया डिफेंस ब्रदर्सहुड एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में व्यक्त किए।

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वन रैंक वन पेंशन योजना को पूरी तरह से लागू नहीं कर सकी, जिससे देश में हजारों सेवानिवृत्त जवानों और अधिकारियों को अब भी इसका पूरा फायदा नहीं मिल पाया। हालांकि प्रधानमंत्री और कुछ अन्य नेता यह बयान दे रहे हैं कि ओआरओपी योजना लागू कर दी गई है। उन्होंने सवाल किया कि अगर केंद्र ने इस योजना को ठीक से लागू किया होता तो सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप क्यों करना पड़ता। ब्रिगेडियर काहलों ने पीएम मोदी के नेतृत्व में संसद में वन रैंक वन पेंशन को मंजूरी देने के उपरांत पहली जुलाई 2014 से इस स्कीम को लागू करने बारे नोटिफिकेशन सात नवंबर 2015 को जारी कर दिया था।

इस नोटिफकेशन में यह स्पष्ट किया गया था कि पांच साल बाद जुलाई 2019 में इसकी बराबरी कर दी जाएगी पर अफसोस की बात है कि केंद्र ने अपने ही आदेशों का पालन करने की बजाए एक बार फिर स्कीम का पुन: निरीक्षण करने के लिए कमेटी बनाकर सैनिकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि बिना शक पेंशन में एक बार वृद्धि हुई है, लेकिन मंजूर हुए वन रैंक वन पेंशन सिद्धांत को लागू नहीं किया जा रहा है।

काहलों ने कहा कि एनडीए द्वारा 2015 में जारी किए गए नोटिफकेशन में भी कई त्रुटियां सामने आईं तो तत्कालीन रक्षा मंत्री स्व. मनोहर पारिकर ने सेवामुक्त जज नरिसम्हा रेड्डी की एक मैंबरी जुडीशियल कमेटी बना दी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अक्तूबर 2016 में रक्षा मंत्री को सौंप दी थी पर यह रिपोट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई।

काहलों के साथ पहुंचे एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष सेवानिवृत्त मेजर जगदीप सिंह ने कहा कि स्कीम लागू होने से पहले सेवामुक्त हुए मेजर रैंक के अधिकारियों एवं एमएनएस (सैन्य नर्सिंग सेवा) अधिकारियों से भेदभाव किया गया है। इसके खिलाफ आइईएमएस के चेयरमैन मेजर जनरल सतबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मई में सुप्रीमकोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को आदेश जारी किए कि पटीशनरों को बुलाकर त्रुटियां दूर की जाएं।

उन्होंने खेद जताया कि प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री व अन्य संबंधित अधिकारियों को 10 के करीब पत्र लिखे जा चुके हैं पर अभी तक किसी को भी नहीं बुलाया गया। मेजर जगदीप सिंह ने कहा कि उनके साथ लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर्ड हुए अफसरों व मेजर रैंक के अफसरों की पेशन में हजारों रुपये का अंतर है, इस कारण उनमें निराशा पाई जा रही है। रिटायर्ड ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों और मेजर जगदीप सिंह ने केंद्र से मांग की है कि वन रैंक वन पेंशन योजना को ठीक से लागू किया जाए। इसकी त्रुटियों को दूर करके देश की रक्षा में सेवारत जवानों और अधिकारियों को उनका हक दिया जाए। 

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