आइपीएल शुरू होते ही गर्म हुआ सट्टे का बाजार, बड़ी कोठियों व घरों में लग रहा करोड़ों का दांव
बीते दो साल में पुलिस ने शहर में 12 सट्टेबाज पकड़े हैं। उनसे करोड़ों रुपये के साथ-साथ दर्जनों लैपटाप कंप्यूटर मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। लाकडाउन में भी पुलिस ने वर्कशाप चौक के पास सवा करोड़ रुपये की राशि के साथ एक बड़े बुकी को गिरफ्तार किया था।
जालंधर, [सुक्रांत]। आइपीएल शुरू होते ही शहर में सट्टे का बाजार फिर गर्म हो गया है। शहर में बड़ी-बड़ी कोठियों से लेकर छोटे-छोटे घरों में भी करोड़ों के दांव लग रहे हैं। सारा कारोबार मोबाइल से हो रहा है। जालंधर के बुकी पंजाब भर में अपना कारोबार फैलाकर बैठे हैं।
बीते दो साल में पुलिस ने जालंधर शहर में 12 से ज्यादा सट्टेबाज पकड़े हैं। उनसे करोड़ों रुपये के साथ-साथ दर्जनों लैपटाप, कंप्यूटर, मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। लाकडाउन में भी पुलिस ने वर्कशाप चौक के पास सवा करोड़ रुपये की राशि के साथ एक बड़े बुकी (सट्टा खिलवाने वाला) को गिरफ्तार किया था। उससे मिले मोबाइल फोन से सामने आया था कि वह दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों से लाइन ले रहा था।
वहीं पुलिस ने इसी के साथ बीटी कालोनी में छापेमारी कर क्रिकेट मैच पर सट्टा लगा रहे आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। उनसे भी पुलिस को हजारों की नगदी, 34 मोबाइल, वायरलेस सिस्टम, लैपटाप बरामद हुआ था। इन लोगों ने भी दिल्ली मुंबई की लाइन ले रखी थी जिससे पंजाब भर में बैठे अपने ग्राहकों को सट्टा लगवा रहे थे। बीते समय में पुलिस ने जितने भी बुकी पकड़े हैं, उनकी मोबाइल फोन से पुलिस को विदेशों में बैठे बुकियों के नंबर मिले। वहीं लैपटाप में भी विदेशों में बैठे कुछ बड़े बुकियों के लिंक और लाइन मिले थे।
प्रति मैच 25 से 30 करोड़ रुपये का दांव
आइपीएल के मैचों पर चल रहे सट्टे पर सिर्फ जालंधर शहर में ही प्रति मैच 25 से 30 करोड़ रुपये का दांव लग रहा है। यह दांव भी जालंधर में बैठे लोग ही लगा रहे हैं। मैच के दौरान हर बाल पर सट्टे का दांव निकलता है और हर स्कोर पर दांव बोला जाता है। ऐसा नहीं है कि पुलिस सट्टेबाजों को पकड़ती नहीं लेकिन कुछ लाेगाें को मैचों पर लगने वाले सट्टे का हिस्सा पहुंच जाता है जिसके चलते उनकी छत्रछाया में यह धंधा चल रहा है। वहीं सट्टा लगाने वालों को राजनीतिक शरण भी प्राप्त है। पुलिस जब भी सट्टा लगाने वालों को पकड़ती है तो उन्हें छड़ाने के लिए कई नेता पहुंच जाते हैं।
सट्टा लगाने के लिए फोन पर बोला जाता है कोड वर्ड
सट्टा लगाने वाले सीधे तौर पर दांव नहीं बोलते बल्कि उनके कोड वर्ड होते हैं। खिलाड़ियों के साथ-साथ ओवर, कैच और विकेट के लिए कोड वर्ड का प्रयोग होता है। उदाहरण के तौर पर यदि ओवर के दौरान लगने वाले सट्टे में अगर 5-7 बोला जाए तो उसका मतलब होता था कि एक ओवर में पांच रन नहीं बनेंगे या सात रन बनेंगे। दोनों पर सट्टा लगाने वाला पैसा लगा सकता है और इसके लिए यस और नो करने को कहा जाता है।
वहीं, खिलाड़ियों के नाम पर भी सट्टा लगता है, जिसमें बताया जाता है कि एक खिलाड़ी कितने रन बनाएगा या कितने पर आउट होगा। उसी हिसाब से रकम भी पैसों में नहीं बल्कि सट्टेबाज के बनाए गए कोड वर्ड से बोली जाती है।रनों का लक्ष्य भी तय होता है और उसी पर बड़ा सट्टा लगता है। सट्टे की खास बात यह है कि पहले दो ओवर का सट्टा नहीं लगता। दो ओवर तक सट्टा लगाने वाले मैच का रुख देखते हैं।
जीतने वाले को एक घंटे में पहुंच जाता है पैसा
जालंधर में कई बुकियों ने सट्टे को डिब्बे का नाम दिया है। डिब्बा खुलने और बंद होने का टाइम मैच शुरू होने से खत्म होने तक ही है। उसके पास लेन-देन इतना साफ होता है कि मैच खत्म होने के एक घंटे बाद जीतने वाले को पैसे पहुंचा दिए जाते हैं और हारने वाले के पास पैसे लेने वाला पहुंच जाता है। वहीं, नए व्यक्ति को सट्टे में पैसे लगाने के लिए पुराने ग्राहक की जिम्मेदारी पर ही इजाजत मिलती है।
शहर में चल रहे क्रिकेट मैच के सट्टे पर पुलिस की पूरी नजर है। पुलिस ने कई बड़े बुकी गिरफ्तार किए हैं और इस समय सट्टा लगाने वाले न के बराबर हैं। फिर भी पुलिस पूरी निगरानी कर रही है और सट्टे में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस का कोई आदमी सट्टेबाजों के साथ मिला हुआ नहीं है और न ही कोई पैसा लेता है। यदि ऐसा कुछ हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। गुरमीत सिंह, डीसीपी