आलू पर मंडराया बड़ा खतरा, ये रोग फैला तो जालंधर के उत्पादकों का होगा बड़ा नुकसान
जनवरी में बारिश और कोहरे के कारण अब आलू पर झुलसा रोग का खतरा मंडराने लगा है। इसे लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं।
जालंधर [जगदीश कुमार]। दिसंबर में तीन चार दिन लगातार बारिश के कारण भले ही खेत में लगे आलू खराब होने का खतरा टल गया है लेकिन जनवरी में बारिश और कोहरे के कारण अब आलू पर झुलसा रोग का खतरा मंडराने लगा है। इसे लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचने लगी हैं। मौसम विभाग की ओर से अगले सप्ताह बारिश होने की भविष्यवाणी के मद्देनजर किसानों ने भी खेत से पानी निकालने की रणनीति तैयार कर ली है। बारिश गेंहू की फसल के लिए भी नुसानदायक होगी। वैसे भी पिछले पांच वर्ष से आर्थिक संकट में फंसे किसानों ने आलू से मुंह मोड़ लिया। नतीजतन, इस साल पंजाब मे आलू के रकबे में करीब 7 फीसद गिरावट आई है।
पंजाब बागवानी विभाग जालंधर के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ. नरेश कुमार ने बताया कि झुलसा रोग के आने पर पत्तों के किनारों पर पानी से भरे धब्बे बन जाते हैं जोकि बाद में काले पड़ जाते हैं। इसके बाद पत्तों के निचली तरफ सुबह सफेद फफूंद भी नजर आती है। यदि समय पर इसकी रोकथाम न की गई तो आलू पर भूरे रंग के निशान पड़ जाते हैं। आलू पुटाई से पहले ही जमीन में गल जाते हैं। ऐसे में फसल पर रिडोमिल गोल्ड या करजेट एम-8 या फिर सेक्टिन 60 डब्ल्यूजी 700 ग्राम या एकुएशन प्रो. 200 मिलीलीटर या 250 एमएल रीवस प्रति एकड़़ के हिसाब से 10 दिन के अंतराल में कम से कम दो बार स्प्रे करने चाहिए। इसके बाद इंडोफिल एम-15, एंटराकोल, कवच 700 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए। बारिश होने की सूरत में पानी जरूरत अनुसार ही लगाना अच्छा रहता है।
पांच साल से नुकसान झेल रहे हैं आलू किसान
गांव रहीमपुर के किसान सौदागर सिंह का कहना है कि पिछले पांच साल से आलू की फसल से किसानों को भारी भरकम नुकसान हुआ है। किसान को फसल की लागत से भी कम दाम मिले और आलू सड़कों पर फेंकने पड़े। इस साल किसानों ने आलू के बजाय दूसरी फसलों को तव्वजो देनी शुरू कर दी है। पहले वह 80 खेतों में आलू की खेती करते थे। आलू की खेती में नुकसान के बाद इस बार 30 खेतों में ही आलू की खेती की है। अगर अगले सप्ताह बारिश होती है आलू और गेंहू की फसल को भारी नुकसान होगा। झुलसा रोग से आलू को बचाने के लिए दवाइयों का छिड़काव शुरू करवा दिया है। खेतों से बारिश का पानी निकालने के लिए भी व्यवस्था करवाई जा रही है। इसकी वजह से किसानों का फसल पर खर्च बढ़ जाएगा।
सबसे बड़ा आलू उत्पादक प्रदेश है पंजाब
डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि पंजाब आलू उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष 2015-16 में 92359 हेक्टेयर में लगभग 22,62,404 टन आलू का उत्पादन हुआ था। 2016-17 में 97 हजार हेक्टेयर और 2018-19 में 1.03 लाख हेक्टेयर में आलू की फसल बिजाई की गई थी और 27 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई थी। साल 2019-20 में 95790 हेक्टेयर में आलू की खेती हुई और 23 से 25 लाख मीट्रिक टन पैदावार होने की संभावना है।
सबसे ज्यादा कुफरी पुखराज आलू की खेती
राज्य में आलू की खेती में सबसे 50- 60 फीसद रकबे में कुफरी पुखराज किस्म की खेती होती है। कुफरी ज्योति 30, चिपसोना 3, चंद्रमुखी 6 फीसद रकबे में खेती हो रही है।
जालंधर में आलू का रकबा सबसे ज्यादा, पठानकोट में सबसे कम
जिला रकबा (हेक्टेयर)
जालंधर 22 हजार
होशियारपुर 12,612
लुधियाना 10,016
कपूरथला 9,256
होशियारपुर 12612
अमृतसर 6,786
मोगा 6,175
बठिंडा 5,468
फतेहगढ़ साहिब 4,483
पटियाला 4,313
एसबीएस नगर 2,415
तरनतारन 1,785
बरनाला 1,702
एसएएस नगर 1,220
रोपड़ 863
गुरदासपुर 704
संगरूर 630
फिरोजपुर 516
फरीदकोट 205
मुक्तसर 178
मानसा 152
फाजिल्का 72
पठानकोट 04
15.49 लाख आलू भेजा जाता है अन्य राज्यों को
डाॅ. नरेश कुमार के अनुसार पंजाब में करीब 9.70 लाख मीट्रिक टन आलू की जरूरत है। इसमें 5.82 लाख टन की खाने और 3.88 लाख टन की बीज के लिए जरूरत पड़ती है। 15.49 लाख टन आलू दूसरे राज्यों में निर्यात किया जाता है। इनमें 9 लाख टन बीज व 6.49 लाख टन खाने वाला आलू शामिल है।
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें