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तीन साल में ब्लैक स्पॉट ने उजाड़ दिए कई घर, प्रशासन नहीं कर रहा समाधान Jalandhar News

आने वाले दिनों में धुंध का प्रकोप बढ़ेगा तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाएगी। यातायात पुलिस द्वारा चिन्हित किए गए ब्लैक स्पॉट में 21 अति संवेदनशील हैं और ज्यादातर नेशनल हाईवे पर हैैं।

By Vikas KumarEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 07:28 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 09:35 AM (IST)
तीन साल में ब्लैक स्पॉट ने उजाड़ दिए कई घर, प्रशासन नहीं कर रहा समाधान Jalandhar News
तीन साल में ब्लैक स्पॉट ने उजाड़ दिए कई घर, प्रशासन नहीं कर रहा समाधान Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। शहर की सड़कों पर ब्लैक स्पॉट को लेकर जिला प्रशासन और हाईवे अथॉरिटी गंभीर नहीं हैं। नतीजतन हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है और लोग जान गंवा रहे हैं। पिछले तीन साल में ब्लैक स्पॉट पर हुए सड़क हादसों में 265 लोगों की जान जा चुकी है। इसके बावजूद प्रशासन ने अभी तक इस दिशा में कोई कारगर उपाय नहीं किए हैं। आने वाले दिनों में धुंध का प्रकोप बढ़ेगा तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ जाएगी। यातायात पुलिस द्वारा चिन्हित किए गए ब्लैक स्पॉट में 21 अति संवेदनशील हैं और ज्यादातर नेशनल हाईवे पर हैैं। जालंधर-पानीपत सिक्स लेन हाईवे प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे हाईवे पर इतने अति संवेदनशील ब्लैक स्पॉट का होना ही हाईवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।

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20 किलोमीटर की दूरी में 21 ब्लैक स्पॉट

विधिपुर फाटक से लेकर परागपुर तक सिक्स लेन हाईवे जालंधर शहर को छूता हुआ निकलता है। इस 20 किलोमीटर की दूरी में 21 ब्लैक स्पॉट हैं। एनएचएआइ द्वारा सुरक्षा को लेकर कदम नहीं उठाया गया है। वेरका अंडरपास, ट्रांसपोर्ट नगर, सुच्ची पिंड, चौगिट्टी चौक, पीएपी चौक, दकोहा, धन्नोवली, परागपुर आदि क्षेत्रों में अब भी स्थिति ज्यों की त्यों ही बनी हुई है। डिप्टी कमिश्नर वरिंदर कुमार शर्मा ने निर्माण करवा रही कंपनी की लगातार खिंचाई कर हाईवे पर रुके हुए काम तो शुरू करवाए लेकिन ब्लैक स्पॉट को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया।

सीमा विवाद बन रहा कारण

ब्लैक स्पॉट को लेकर जरूरी कदम न उठाने के पीछे एक बड़ा कारण नगर निगम और हाईवे प्रशासन के बीच सीमा विवाद भी है। नगर निगम अपनी सीमा के बाहर सड़कों की मरम्मत नहीं करवा सकता है। इसलिए निगम ने इस मामले में अपने हाथ पीछे खींच रखे हैं और हाईवे प्रशासन इस दिशा में ध्यान नहीं दे रहा है। जिला प्रशासन भी इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहा।

नेशनल हाईवे पर हर एक किमी में औसत चार लोगों की हुई मौत

जिले से गुजरने वाला 42 किमी नेशनल हाईवे मौत का हाईवे बन चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल में सड़क हादसों में 93 फीसद मौतें नेशनल हाईवे और निगम की सड़कों पर हुई हैं। इनमें 59 फीसद मौतें अकेले नेशनल हाईवे पर हुई हैं। 34 फीसद मौतें निगम की सड़कों पर हुई हैं। हाईवे पर प्रति किलोमीटर में औसतन चार लोगों की मौत हुई है। जोकि राज्य में औसतन मौतों से चार गुणा ज्यादा है।

पैदल व दोपहिया वाहन चालक सबसे ज्यादा हादसों के शिकार

हाईवे पर हुए हादसों में मरने वाले 168 लोगों में से 69 लोग पैदल चलने वाले हैं। वहीं 63 दोपहिया वाहन चालकों या सवारों ने अपनी जान गवां दी। उधर, शहर की अंदरूनी सड़कों पर तीन सालों में 97 लोगों की मौत हुई। इनमें 39 दोपहिया वाहन चालक या सवार और 35 पैदल जाने वाले लोग शामिल हैं।

रिफलेक्टर, सफेद पट्टी और रोशनी का हो प्रबंध

हाईवे पर बने ब्लैक स्पॉट को चिन्हित जरूर किया गया है, लेकिन विधिपुर चौक से लेकर परागपुर तक ब्लैक स्पॉट पर रिफलेक्टर भी नहीं लगाए गए हैं। जानकारों के अनुसार अगर जिला प्रशासन या हाईवे प्रशासन ने ऐसा न किया तो धुंध के दौरान सड़क सुरक्षा की स्थिति बिगड़ सकती है। वहीं, हाईवे पर जिन स्थानों पर ब्लैक स्पॉट हैं वहां पर जेब्रा लाइनिंग और सफेद पट्टी के साथ-साथ रात के समय रोशनी (स्ट्रीट लाइट) का इंतजाम होना चाहिए। ताकि तेज रफ्तार जाने वाले वाहन चालक धुंध के कारण होने वाले किसी भी तरह के नुकसान से बच सकें।

- सड़कों पर पड़े गड्ढों को ठीक करवाना नगर निगम का काम है। यातायात पुलिस लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करती है ताकि किसी की भी लापरवाही की वजह से होने वाली दुर्घटना के समय किसी की जान न जाए। लोगों को यातायात नियमों का पालन करना चाहिए ताकि खुद का और दूसरों का बचाव कर सकें।

नरेश डोगरा, डीसीपी ट्रैफिक।

-हाईवे का निर्माण पूरा करवा कर सारी खामियों को दूर करने के प्रयास जारी हैै। निर्माण एजेंसी और एनएचएआइ को इस बारे में कई बार कहा जा चुका है।

वरिंदर कुमार शर्मा, डीसी जालंधर।


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