आसान नहीं होगी नार्थ की लड़ाई, एक म्यान में दो तलवारें आई
भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में नार्थ हलके में दो दिग्गजों के बीच उम्मीदवारी की दावेदारी को लेकर शीतयुद्ध शुरू हो चुका है।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर
भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में नार्थ हलके में दो दिग्गजों के बीच उम्मीदवारी की दावेदारी को लेकर शीतयुद्ध शुरू हो चुका है। इस सीट से दो बार विधायक व मुख्य संसदीय सचिव रह चुके केडी भंडारी के साथ-साथ राकेश राठौर ने भी घुसपैठ तेज कर दी है। बीते कुछ दिनों से राठौर ने अपने समर्थकों के साथ नार्थ हलके में बैठकों का सिलसिला बढ़ा दिया। अपने हलके में राठौर की घुसपैठ होती देख भंडारी ने भी अपने समर्थकों के साथ बैठकों का दौर शुरू कर दिया। भाजपा के हजारों काडर वोट बैंक वाली इस सीट पर भाजपा ने हमेशा सम्मानजनक प्रदर्शन किया है लेकिन केडी भंडारी एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने लगातार दो चुनाव जीते। 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में भंडारी ने इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री अवतार हैनरी को शिकस्त दी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव पार्टी विरोधी लहर के चलते भंडारी हार गए थे। उन्हें हैनरी के बेटे अवतार हैनरी जूूनियर उर्फ बाबा हैनरी ने हराकर पिता की हार का बदला लिया था।
राकेश राठौर 2007 के बाद सत्ता में आई अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में शहर के मेयर बने थे। उसके बाद से ही राठौर ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी थी। भाजपा व संघ से जुड़े परिवार से होने के नाते राठौर को पार्टी ने विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारने के बजाय संगठन में रखना ज्यादा बेहतर समझा था। अब राठौर को संगठन में काम करते हुए दस साल हो रहे हैं। नतीजतन उन्होंने अंदरखाते अपनी दावेदारी पेश कर दी है। पार्टी ने इस बार पंजाब के चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है, इसलिए भाजपा के तमाम नेताओं के चेहरे फूल की तरह खिल उठे हैं। जालंधर शहर की चार विधानसभा सीटों में पहले भाजपा नार्थ, सेन्ट्रल व वेस्ट में अपने उम्मीदवार उतारती थी। इस बार कैंट की सीट से भी भाजपा को अच्छा चेहरा चाहिए होगा। पहले राठौर को कैंट हलके से चुनाव लड़वाने पर विचार किया जा रहा था। इसे लेकर राठौर, भंडारी व मनोरंजन कालिया के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक करके रणनीति भी तय कर दी थी। राठौर ने कैंट में अपनी वर्किंग भी शुरू कर दी थी, लेकिन कुछ समय से राठौर ने नार्थ का रुख कर लिया है। नतीजतन, भंडारी खेमा भी सक्रिय हो गया है और लगातार संपर्क अभियान पर काम तेज कर दिया गया है।
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ज्योति ने भी शुरू की कूटनीति
पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने भी इसी हलके से उम्मीदवारी को लेकर सियासी कूटनीति तेज कर दी है। ज्योति को मेयर बनाने में केडी भंडारी ने काफी जोर लगाया था। अलबत्ता यह भी कहा जाता है कि शहर के विधायक व मेयर अगर एक ही हलके से हो तो यह पहला मौका था जब भंडारी ने काफी कवायद के बाद नार्थ हलके से ही खुद विधायक व सीपीएस रहते हुए ज्योति को मेयर बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। इस बात को ज्योति भी अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन सियासी वर्चस्व की लड़ाई में एक दौर वह भी आया जब दोनों के समर्थकों ने ज्योति और भंडारी के बीच इतनी दूरियां बढ़ा दीं कि अब दोनों एक दूसरे का सियासी कद कम करने में लगे हैं। सत्ता के गलियारे में इस बात की भी चर्चाएं गर्म हैं कि कहीं दोनों की लड़ाई में तीसरा बाजी न मार ले।