अमृतसर में बड़ा शोध, कोरोना से लड़ने वाला वायरस बनाने की तैयारी, ICMR से मांगी इजाजत
कोरोना वायरस से निपटने के लिए पंजाब के अमृतसर में बड़ा शोध हो रहा है। अमृतसर के सरकारी अस्पताल में कोरोना से लड़ने वाले वायरस डवलप करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए आइसीएमआर से अनुमति मांगी गई है।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। दुनिया भर में कोरोना पर रिसर्च जारी है। कोरोना वैक्सीन भी इसी रिसर्च का एक अहम हिस्सा है। अमृतसर स्थित सरकारी मेडिकल कालेज में ऐसी ही एक रिसर्च चल रही है, यहां वायरस लाइक पार्टिकल (वीएलपी) बनाने की तैयारी की जा रही है। कोरोना से लड़ने में सक्षम वीएलपी एक कृत्रिम वायरस है, लेकिन इनमें जेनेटिक मेटीरियल नहीं होते। यह व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचा पाता और शरीर में प्रवेश होने के बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय कर देता है।
वायरस लाइक पार्टिकल (वीएलपी) को वैक्सीन के जरिए मनुष्य शरीर में भेजा जाएगाअ
दरअसल, कोरोना वायरस में डीआक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) व राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) नामक जेनेटिक मेटीरियल होता है। सिर्फ कोरोना ही नहीं, बल्कि कोई भी वायरस बिना जेनेटिक मेटीरियल के अधूरा है। यदि ये मेटीरियल वायरस में न हो तो यह इंसान को क्षति नहीं पहुंचा सकता। अमृतसर मेडिकल कालेज स्थित वायरल डिजीज रिसर्च लैब में वीपीएल पर शोध करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से स्वीकृति मांगी गई है। लैब के प्रोफेसरों ने सारा स्ट्रक्चर तैयार कर आइसीएमआर को भेजा है।
कैसे बनेगी एंटीबॉडी
मेडिकल कालेज में तैयार किए जाने वाले वीएलपी की संरचना एवं आकार कोरोना वायरस जैसे ही होंगे। जैसे ही वैक्सीन के जरिए इन्हें मानव शरीर में भेजा जाएगा तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को आभास होगा कि कोरोना वायरस का अटैक हुआ है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय हो जाएगी और शरीर वीएलपी से लड़ना शुरू कर देगा।
वीएलपी में डीएनए व आरएनए जैसे जेनेटिक मेटीरियल नहीं होंगे, इसलिए इसका दुष्प्रभाव मानव शरीर पर नहीं पड़ेगा, पर इस वायरस से लड़ने के लिए बड़ी मात्रा में एंटीबाडी तैयार हो जाएगी। यदि भविष्य में वास्तविक कोरोना वायरस इंसान पर प्रहार करेगा तो पूर्व में विकसित हो चुकी रोग प्रतिरोधक क्षमता इसका खात्मा करने में सक्षम होगी। ऐसे भी कह सकते हैं कि एंटी बाडी तैयार हो जाएगी, जो वर्षो तक इस वायरस से रक्षा करेगी।
दिल्ली में होगा क्लिनिकल ट्रायल
कोरोना वायरस की तरह दिखने वाले वीएलपी से दुनिया भर में कई वैक्सीन तैयार की जा रही हैं। कई वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में पास भी हो चुकी हैं। कोविशील्ड व कोवैक्सीन भी इसी सिद्धांत पर आधारित है। वीएलपी के रूप में बूस्टर डोज लगाकर शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित की जाती है। अमृतसर में बनने वाले वीएलपी के क्लिनिकल ट्रायल दिल्ली में होंगे। इन्हें आइसीएमआर ही करवाएगा।
कोरोना के नए वैरिएंट्स के निदान में भी सहायक
अहम बात यह है कि निकट भविष्य में यदि कोरोना के कई वैरिएंट्स सक्रिय होंगे तब भी कृत्रिम वीएलपी की मदद से इनका निदान किया जा सकेगा। वीएलपी तैयार करने की तकनीक को जीनोम सीक्वेंसिंग कहा जाता है। माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. केडी सिंह का कहना है कि हमारी पूरी टीम आश्वस्त है कि वे वीएलपी बना सकते हैं। इसके लिए रिसर्च पेपर तैयार किए गए हैं। अब हमें केवल आइसीएमआर की अनुमति का इंतजार है।