मोक्ष का एेसा धाम जो बन गया पर्यटक स्थल, यहां अाकर मिलता है लोगों को सुकून
हरियाना की शिवपुरी (श्मशान घाट) में अद्भुत सौंदर्यीकरण का काम किया गया है। यह काम किया है पटियाला के वरिष्ठ नाटककार प्राणनाथ शाही ने।
जालंधर [वंदना वालिया बाली]। सामान्य रूप से कोई भी व्यक्ति शिवपुरी (शमशानघाट) जाने से कतराता है, लेकिन होशियारपुर के हरियाना कस्बे का यह स्थल इतना आकर्षक है कि लोग यहां आकर सुकून के पल बिताना पसंद करते हैं। हरियाना की शिवपुरी में अद्भुत सौंदर्यीकरण का काम किया है पटियाला के वरिष्ठ नाटककार प्राणनाथ शाही ने।
जड़ों से उनके जुड़ाव ने उनसे यह काम करवाया है। अपने माता-पिता की याद में उन्होंने अपनी पैतृक जमीन पर शिवपुरी को सजाकर एक अनोखी मिसाल प्रस्तुत की है। सेवानिवृति पर मिले धन से उन्होंने इसके सौंदर्यीकरण का काम करवाया। यहां करीब 20 फुट चौड़े प्लेटफार्म पर कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिव की विशाल प्रतिमा है, जिसमें भगवान के चेहरे के शांत भाव स्पष्ट झलकता है।
आसपास सजी विभिन्न जीवों की मूर्तियां विशेष संदेश देती हैं। इनमें पायल पहनकर खुशी से नाचते मोर, प्रसन्नचित हंस व खरगोश की प्रतिमाओं के पास लिखा है 'कंटेंटमेंट लीड्स टू हैपीनेस' यानी संतुष्टि प्रसन्नता का मार्ग है। शेर व हिरन की मूर्तियां पास-पास लगाई गई हैं, जो मनुष्य को भेदभाव भुलाकर आपसी प्रेम का संदेश देती हैं और इनके पास लिखा है 'गुडविल अमंग ह्यूमन बींग्स'।
शिवपुरी का सौंदर्यीकरण करने वाले प्राणनाथ शाही।
इसके नजदीक ही एक अन्य अनोखी प्रतिमा है। इसमें बंदरिया कुत्ते के पिल्ले को दूध पिलाती दर्शाई गई है। इसके पास लिखा संदेश है- 'लव नोज़ नो बाउंड्स' यानी प्रेम की कोई सीमा नहीं है। इनके अलावा प्रार्थना में मग्न एक लंगूर की प्रतिमा के साथ लिखे संदेश 'प्रेयिंग फॉर हारमोनीट के अनुसार वह लोगों में सामंजस्य के लिए प्रार्थना कर रहा है।
आधी सदी बाद साकार हुआ सपना
86 वर्षीय शाही बताते हैैं कि 1964 में उनके पिता का देहांत हुआ तो इसी शिवपुरी में उनका संस्कार किया गया। वह कहते हैं, 'मेरे मन में आया कि उनकी याद में एक समारक बनाऊं, लेकिन उस समय इतने पैसे नहीं थे इसलिए पिता की अस्तियां इस पुश्तैनी जमीन में कहीं दबा दी।
करीब 25-30 साल बाद जब सेवानिवृति के पैसे मिले तो उन्हें वह अस्तियां नहीं मिली। कई साल और बीत गए लेकिन समय की धूल को मन की इच्छा पर नहीं जमने दिया। 2011 में पिता की याद में एक छोटे स्मारक की जगह पूरी जमीन को ही सजाने की ठान ली और नतीजा सबके सामने है। इस जगह का नाम पंडित गुरजी राम मेमोरियल स्थल रखा है।
शिवपुरी, जहां प्राणनाथ शाही ने सौंदर्यीकरण का काम करवाया।
मोहाली में बनवाई मूर्तियां
पटियाला में चौथी पीढ़ी के नाटककार के रूप में पहचान रखने वाले पंजाबी रंगमंच पटियाला के निदेशक प्राणनाथ शाही बताते हैं कि इस स्थल पर लगी मूर्तियों को उन्होंने मोहाली स्थित गैरी आट्र्स (कॉमनवेल्थ खेलों का मैस्कट शेरा बनाने वाले) से विशेषतौर पर बनवाया और ट्राले पर यहां लाकर स्थापित किया। इनके अलावा मकराना (राजस्थान) से लाकर एक सात फुट ऊंचा फव्वारा भी यहां लगवाया। स्थल के सौंदर्यीकरण के लिए करीब चार हजार पौधे यहां लगाए गए हैं।
मोक्ष मार्ग हो सुंदर
पीएन शाही कहते हैैं कि 'इस स्थान को सुंदर सजाने के पीछे मेरी मंशा यह थी कि इंसान का अंतिम सफर भी खूबसूरत हो। सारी उम्र अपने आशियाने को सजाने में लोग लगा देते हैैं लेकिन जो मोक्ष मार्ग है उसे सजाना सब भूल जाते हैं। इसी सोच से इसे सजाया है कि जीवन की सच्चाई को लोग खुशी से कुबूल करें। इस स्थान से कोई डरे नहीं, बल्कि बच्चे भी खुशी से यहां आएं।'
शाही का परिचय
प्राणनाथ शाही करीब 40 साल से रंगमंच की दुनिया से जुड़े हैं। एक दर्जन नाटक लिख चुके शाही का नाटक 'युग वरतारा' काफी लोकप्रिय है। इसके करीब 30 शो विभिन्न कालेजों में मंचित हो चुके हैं और इस नाटक की पुस्तक भी प्रकािशत हुई है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में इस नाटक पर एमफिल भी हुई है। इनके नाटकों की पांच पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं जो प्रोडक्शन एडिशन हैं यानी इन्हें पढ़ते हुए पाठक को साउंड व लाइट आदि का भी ब्योरा मिलता है और रंगमंच पर नाटक देखने का एहसास होता है।
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