कभी कोरोना से सुरक्षा के लिए की थी बैरिकेडिंग, अब लोगों के लिए मुसीबत बन रहे अवरोधक
कर्फ्यू और लॉकडाउन होने पर लोगों को घरों से बाहर न निकलने की हिदायतें जारी हुई थीं।
जालंधर [सुक्रांत]। कोरोना वायरस से बचने के लिए शहर में कर्फ्यू लगा और लोगों को घरों से बाहर न निकलने की हिदायतें जारी हुईं। माहौल ज्यादा बिगड़ा और जालंधर रेड जोन में आ गया। शहर में तीस से ज्यादा कंटेनमेंट एरिया बन गए। इसके बाद पुलिस ने अस्थायी बैरिकेड्स लगाकर 100 से ज्यादा गलियां पूरी तरह बंद कर दी थीं। एहतियात के तौर पर शहर की आधी आबादी ने भी अपनी गलियों में बांस आदि लगकर रास्ता बंद कर दिया था। अब शहर में कंटेनमेंट जोन खत्म हो गए हैं, ये अस्थाई बैरिकेड्स लोगों के लिए समस्या बनने लगे हैं।
पुलिस ने अपने बैरिकेड्स तो खोल दिए हैं, अब भी बहुत सी गलियां ऐसी हैं, जहां बैरिकेड लगे हुए हैं। वहां से निकलने वाले वाहन चालक इनकी वजह से दुर्घटनाओं का शिकार होने लगे हैं। खासतौर पर रात को कोई वाहन सवार निकलता है तो वो इनकी चपेट में आ जाता है।
पुलिस ने बैरिकेड हटाए, लोग नहीं हटा रहे
दरअसल पुलिस ने तो अपने बैरिकेड्स हटा लिए हैं, लेकिन शहर के लोगों द्वारा लगाए बांस आदि अभी ज्यों के त्यों हैं। हालांकि इनमें से कई इलाके तो कोरोना मुक्त हो गए हैं। कोरोना वायरस के डर के चलते यह बैरीकेड्स लगाए गए थे तो किसी ने इसका विरोध नहीं किया था, लेकिन अब जब शहर खुलने लगा है तो लोग इसका विरोध कर रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तो उन इलाकों में हैं, जिनकी गलियां मुख्य मार्ग को निकलती हैं। दूसरे इलाकों से आने वाले लोग जब इन गलियों से निकलते हैं तो या उनको रास्ते बंद मिलते हैं या उतनी ही जगह मिलती है, जिसमें से एक वाहन ही निकल सके। इस वजह से कई लोग दुर्घटनाग्रस्त भी हुए हैं।
पार्षदों और विधायकों की मंजूरी से लगे थे कई बैरीकेड्स
शहर के कई इलाकों में गलियों को बंद करने वाले अस्थायी बैरीकेड्स लोगों ने खुद ही लगा लिए, लेकिन कई जगहों पर पार्षदों और विधायकों की मंजूरी से रास्ते बंद किए गए थे। अब जब कर्फ्यू खत्म हो गया है और लॉकडाउन में सरकार व पुलिस ने कई सुविधाएं दे दी हैं तो सारे रास्ते खुल जाने चाहिए थे। रास्ते बंद करवाने वाले पार्षदों और विधायकों को आगे आकर ये रास्ते खुलवाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। शहर का कोई इलाका ऐसा नहीं है, जहां सभी गलियां खोल दी गई हों। हर इलाके की कोई न कोई गली बंद की गई थी और उसे खोलने के लिए किसी भी स्तर पर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
पुलिस ने जो रास्ते बंद किए थे वो सारे खुलवा दिए गए हैं। यदि कहीं बांस या लोहे का बैरिकेड रह गया है तो उसे भी हटा लिया जाएगा। लोगों को गलियां बंद करने की सहूलियत कोरोना की वजह से दी गई है, लेकिन किसी भी आपातकालीन स्थित में रास्ता हर हाल में खोला जाना चाहिए। चाहे वो स्थायी गेट लगाए गए हों या फिर बांस इत्यादि से बने अस्थायी बैरीकेड्स, वहां पर कोई न कोई ध्यान रखने वाला होना चाहिए।
- गुरमीत सिंह, डीसीपी