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फगवाड़ा में बैंक आफ बड़ौदा के पूर्व सीनियर मैनेजर गिरफ्तार, जालसाजी कर 24 करोड़ के 19 लोन किए थे पास

आरोप है कि बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से जालसाजी करके 24 करोड़ रुपये के 19 लोन को पारित किया गया था। मुख्य आरोपित विक्रम सेठ पर आईपीसी की धारा 120-बी 420 467 468 और 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

By DeepikaEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 08:51 AM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 08:51 AM (IST)
फगवाड़ा में बैंक आफ बड़ौदा के पूर्व सीनियर मैनेजर गिरफ्तार, जालसाजी कर 24 करोड़ के 19 लोन किए थे पास
फगवाड़ा के बैंक आफ बड़ौदा के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक गिरफ्तार। (सांकेतिक)

जागरण संवाददाता जालंधर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फगवाड़ा के बैंक आफ बड़ौदा के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक को मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम के एक मामले में गिरफ्तार किया है। आरोपित बैंक अधिकारी कुलदीप सिंह को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में लिया गया।

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बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से दस्तावेजों की जालसाजी

बता दें कि, मामला जनवरी 2015 के बैंक कर्ज धोखाधड़ी के मामले से संबंधित है। आरोप है कि बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से दस्तावेजों की जालसाजी करके 24 करोड़ रुपये के 19 लोन को पारित किया गया था। ईडी ने मोहाली की विशेष पीएमएलए अदालत में फगवाड़ा के व्यवसायी विक्रम सेठ, उनके भाई सुरेश सेठ और उनके परिवार के 6 अन्य सदस्यों सहित 14 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने चंडीगढ़ में दर्ज कराया था मामला

आरोपितों ने कथित तौर पर नई संपत्ति खरीदने और अपने पिछले ऋण चुकाने के लिए ऋण राशि का निवेश किया था। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने चंडीगढ़ में मामला दर्ज कराया था। मुख्य आरोपित विक्रम सेठ पर आईपीसी की धारा 120-बी, 420, 467, 468 और 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। ईडी ने पिछले साल 22 सितंबर को विक्रम को गिरफ्तार किया था।

गलत तरीके से खरीदी लग्जरी कारें

उसके भाई सुरेश को इसी साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था। यह पाया गया कि उसने पंजाब और हिमाचल प्रदेश में संपत्तियों में निवेश करने के लिए 18.17 करोड़ रुपये के कर्ज का इस्तेमाल किया था। ईडी को आवासीय, औद्योगिक, कृषि और वाणिज्यिक सहित 42 ऐसी संपत्तियां मिलीं। संपत्तियों के अलावा लग्जरी कारों और एसयूवी को भी मामले में कथित रूप से गलत तरीके से कमाए गए पैसे से खरीदा गया था।

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